
आलोक मित्तल

बिलासपुर विधायक शैलेश पांडे ने विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान बिलासपुर के शासकीय जेपी वर्मा कॉलेज का प्लेग्राउंड बेचने का मुद्दा उठाया। उन्होंने पूछा कि बिलासपुर के ऐतिहासिक जेपी वर्मा महाविद्यालय के खेल मैदान के विवादित प्रकरण में राजस्व विभाग द्वारा विगत 3 वर्षों में क्या-क्या फैसले लिए गए है ? उन्होंने यह भी जानना चाहा कि महाविद्यालय को किस ट्रस्ट ने जमीन दान की ओर कब कितनी जमीन दान में दी गई । शैलेश पांडेय ने सवाल उठाया कि 1944 में एक लाख रुपए से ट्रस्ट ने महाविद्यालय का निर्माण किया था, जिसके लिए 2.3 एकड़ जमीन दान दी गई । कालांतर में इस महाविद्यालय का 1972 में सरकार द्वारा अधिग्रहण कर लिया गया लेकिन कांग्रेस शासन में अचानक इसकी जमीन ट्रस्ट द्वारा बेचने का मामला सामने आया।
इस मामले के हाई कोर्ट में होने की बात कहकर राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल जवाब देने से बचते दिखे। उनके द्वारा जानकारी दी गई कि शिव भगवान रामेश्वर लाल चैरिटेबल ट्रस्ट के ट्रस्टी कमल बजाज द्वारा जरहाभाटा स्थित भूमि खसरा नंबर 107/ 3, 108/3 और 109 कुल रकबा 0.962 हेक्टेयर भूमि को बेचने की अनुमति बाबत आवेदन को 5 अगस्त 2021 को निरस्त किया गया था। उन्होंने आगे बताया कि पंजीयक लोक न्यास एवं अनुविभागीय अधिकारी बिलासपुर के अभिलेख में भूमि ट्रस्ट के द्वारा दान दिए जाने के संबंध में कोई दस्तावेज नहीं है । शिव भगवान रामेश्वर लाल चैरिटेबल ट्रस्ट पंजीयन क्रमांक 13 वर्ष 1944 के ट्रस्टी के रूप में वर्तमान पंजी में कमल बजाज पिता आर एन बजाज का नाम दर्ज है।

दरअसल एसबीआर कॉलेज के सामने की जमीन को लेकर विवाद चल रहा है। कॉलेज परिसर की जमीन को ट्रस्ट की जमीन बता कर बेचने की तैयारी चल रही है। मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया हैं, जिसके बाद इस पर रोक लगा दी गई है।
छत्तीसगढ़ विधानसभा बजट सत्र के दौरान मंगलवार को नगर विधायक शैलेष पांडेय ने बिलासपुर स्थित जेपी वर्मा महाविद्यालय खेल के मैदान के विवादित प्रकरण के निराकरण का मुद्दा उठाया। नगर विधायक शैलेष पांडेय ने सदन में कहा कि वर्ष 1944 का ऐतिहासिक कॉलेज जो पहले एसबीआर कॉलेज के नाम से जाना जाता था और वर्तमान में जेपी वर्मा के नाम से संचालित है। उस कॉलेज का जो खेल मैदान है वह अचानक से गायब हो गया। यानी कि वर्ष 1944 में ट्रस्टियों ने 2.3 एकड़ भूमि दान कर 1 लाख रुपए में महाविद्यालय का निर्माण कराया था। उसके बाद यहां से हजारों बच्चे शिक्षा लेकर आगे बढ़ गए। अब ट्रस्टी उस खेल मैदान को बेचने का निर्णय कैसे कर सकते हैं। जबकि राज्य शासन ने महाविद्यालय की भूमि को वर्ष 1972 में अधिग्रहण किया था। तब से लेकर वर्तमान तक यह भूमि महाविद्यालय की थी लेकिन ट्रस्टियों ने खेल मैदान की भूमि बेचने का निर्णय कैसे ले लिया।
आगे शैलेष पांडेय ने कहा कि यदि ट्रस्टी लालच में जमीन को बेचना चाह रहे हैं तो इसकी जांच शासन को करनी चाहिए और हस्तक्षेप करना चाहिए। यह महाविद्यालय की जमीन है छात्रों के हित के लिए है उस भूमि को बेचने कैसे दे सकते हैं। जिस ट्रस्टी का बेटा ट्रस्टी ही नहीं है वह जमीन को बेचने का आवेदन कैसे कर सकता हैं।
विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने आसंदी से कहा कि शासन को हस्तक्षेप करना चाहिए और जांच के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि मामला उलझा हुआ है नगर विधायक शैलेष पांडेय और राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल बैठकर इस मामले को सुलझाने के लिए क्या व्यवस्था हो सकती है इस पर कार्य कीजिए और मुझे जानकारी भेजें।
ज्ञात हो कि नगर विधायक शैलेष पांडेय ने बिलासपुर स्थित जेपी वर्मा महाविद्यालय खेल मैदान के विवादित प्रकरण के संदर्भ में राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल से पूछा था कि राजस्व विभाग द्वारा विगत 3 वर्षों में क्या-क्या फैसले लिए गए। महाविद्यालय को किस ट्रस्ट ने कितनी और कब जमीन दान की थी।
राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने अपने जवाब में कहा कि शिव भगवान रामेश्वर लाल चैरिटेबल ट्रस्ट के ट्रस्टी कमल बजाज के द्वारा मौजा जरहाभाठा स्थित भूमि खसरा नंबर 107/3, 108/3 शामिल 109 कुल रकबा 0.962 हेक्टेयर भूमि को विक्रय की अनुमति बाबत प्रस्तुत आवेदन को पंजीयक एवं लोक न्याय तथा अनुविभागीय अधिकारी राजस्व बिलासपुर में दिनांक 5 अगस्त 2021 को निरस्त किया है। पंजीयक न्यास एवं अनुविभागीय अधिकारी राजस्व बिलासपुर के अभिलेख में भूमि ट्रस्ट के द्वारा दान किए जाने के संबंध में कोई दस्तावेज नहीं है। शिव भगवान रामेश्वर लाल चैरिटेबल ट्रस्ट पंजीयन क्रमांक-13 वर्ष 1944 के ट्रस्टी के रूप में वर्तमान पंजी में कमल बजाज पिता आर एन बजाज का नाम दर्ज है।
