संजय अनंत
भारत रत्न स्व.भूपेन हजारिक की आज पुण्यतिथि है। बंगाल,आसाम ,त्रिपुरा सहित भारत का पूरा नार्थ ईस्ट झूमता है ,गाता है गुनगुनाता है जिन के गीत । भूपेन दा शरीर छोड़ कर इस संसार से जा चुके है किंतु उनका संगीत अमर है । गंगा आमार माँ पद्मा आमार माँ .. ओ गंगा बहती हो क्यू .. एक कली दो पत्तियां .. दिल हुम् हुम् करे … भूपेन दा कितना बड़ा नाम है वो समझ सकते है जो बांग्ला असमी संस्कृति ,साहित्य या संगीत को समझते है । हेमंत दा के बाद मेरे दूसरे सबसे पसंदीदा गायक । बहुत गंभीर ,किसी गहरी घाटी से आती आवाज़ ,गज़ब का सम्मोहन । क्या कहूं, क्या लिखूं । वो अपने को सांस्कृतिक मज़दूर कहते थे । सादगी भरा जीवन उच्च कोटि का संगीत ।असम में जब देश का सबसे बड़ा सेतू भूपेन दा के नाम किया गया तो लता जी ने प्रसन्न्ता व्यक्त की थी । गंगा आमार माँ पद्म आमार माँ । हिंदी में उनका गाया कालजयी गीत याद कर रहा हु
बिस्तिर्नो पारोरे, अशंख्य जोनोरे
हाहाकार खुनिऊ निशोब्दे निरोबे
बुढ़ा लुइत तुमि, बुढ़ा लुइत बुआ कियो ? माफ़ करियेगा हिंदी में………
विस्तार है आपार, प्रजा दोनों पार
करे हाहाकार निःशब्द सदा
ओ गंगा तुम, गंगा बहती हो क्यूँ ?