खाने में जहर मिलाकर देने से सरजू बगीचा इलाके में बड़ी संख्या में हो गई स्ट्रीट डॉग की मौत, कई अब भी गंभीर रूप से बीमार, क्षेत्र के एनिमल लवर्स ने पुलिस से की है दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग

आकाश दत्त मिश्रा

जिस प्रकार इंसानों में अमीरों और गरीबों की दो प्रजाति होती है ठीक उसी तरह डॉग की भी दो प्रजाति इस दुनिया में पाई जाती है। एक तो हैं महंगे और पालतू डॉग, जिन्हें हजारों- लाखों रुपए में खरीदा जाता है और उनकी खूब सेवा कर उन्हें आलीशान जिंदगी दी जाती है। तो वहीं सड़क पर विचरने वाले कथित आवारा कुत्ते भी है, जिन्हें हर तरफ से केवल दुत्कार , अपमान और बेवजह पिटाई मिलती है। हद तो तब हो जाती है जब जानवरों के प्रति क्रूर लोग इनकी जान लेने पर भी आमादा हो जाते हैं।


ऐसी ही एक घटना बिलासपुर के सरजू बगीचा इलाके में हुई है। हर गली मोहल्ले की तरह यहां भी स्ट्रीट डॉग बड़ी संख्या में है, जो आसपास के लोगों की दया पर आश्रित है। पता नहीं किस निर्दयी ने ऐसे ही सड़क पर रहने वाले कुत्तों को खाने में मिलाकर जहर दे दिया। 18 अक्टूबर को सरजू बगीचा में रहने वाले कुत्तों को खाने में जहर मिला कर दे दिया गया था, जिससे 4 स्वान की तो उसी दिन मौत हो गई और अब भी बड़ी संख्या में इलाके के स्वान जिंदगी और मौत से लड़ाई लड़ रहे हैं ।
जहर खुरानी की वजह से बीमार कुत्ते उल्टी कर रहे हैं। निस्तेज पड़े हैं या उन्होंने खाना-पीना तक छोड़ दिया है । सही इलाज न होने से धीरे-धीरे ये सभी मौत के आगोश में समाते जा रहे हैं ।


18 अक्टूबर की घटना के बाद क्षेत्र के एनिमल लवर्स ने इसकी सूचना नगर निगम को दी थी, जिनके कर्मचारियों ने मौके पर पहुंचकर मृत स्वान शवों का अंतिम संस्कार किया, लेकिन बीमार पड़े कुत्तों का इलाज अब भी नहीं हो पा रहा है, जिसे लेकर एनिमल लवर्स शगुफ्ता परवीन जैसे कई और लोग भी परेशान है।


इन लोगों के द्वारा इस घटना के बाद सिविल लाइन पुलिस में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की भी मांग की गई है।


इस दुनिया में ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जो सभी पशु पक्षियों से बेइंतहा प्रेम करते हैं, इनमें सड़क पर रहने वाले स्ट्रीट डॉग भी शामिल है , जिन्हें स्नेह और दुलार के साथ यथा साध्य भोजन उपलब्ध कराया जाता है।


लेकिन कुछ लोग इन्हें बिल्कुल पसंद नहीं करते। वजह उनके पास भी कई है। कुत्तों से नफरत करने वालों का कहना है कि वे कभी भी किसी को भी काट कर परेशानी में डाल सकते हैं। इधर-उधर पॉटी कर गंदगी फैलाते हैं। दिन हो या रात, तेज भौंककर लोगों को डिस्टर्ब करते हैं और उन्हें सोने नहीं देते। बच्चों को काटने की आशंका भी हमेशा बनी रहती है। रात को घर लौटने वालों को दौड़ाकर उन्हें काटने की घटनाएं भी अक्सर सामने आती है। इसलिए सड़क पर घूमने वाले डॉग से नफरत करने वालों की भी कमी नहीं है। क्योंकि हर कोई मेनका गांधी तो नहीं है।


इसी वजह से कुत्तों को देखते ही उन पर पत्थर फेंकने वालों की कमी नहीं है, लेकिन शगुफ्ता परवीन का कहना है कि सरजू बगीचा में जिन कुत्तों को जहर देकर मारा गया है, वे मासूम थे। उनकी दिमागी हालत दुरुस्त थी। उन्होंने कभी किसी को नहीं काटा था और उन्हें रैबीज भी नहीं था। बिना वजह निरीह कुत्तों की जान ली गई है। इसे अमानवीय बताते हुए शगुफ्ता परवीन ने ऐसे लोगों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की है।


हालांकि इस मामले में बिलासपुर नगर निगम की भी गलती कम नहीं है। जिन्होंने ऐसे स्ट्रीट डॉग की नसबंदी का बीड़ा उठाया है, लेकिन यह कार्यवाही केवल कागजों पर हो रही है। जमीनी हकीकत कुछ और ही है। हर साल बिलासपुर में ही हजारों पिल्ले पैदा होते हैं और प्रशासन की अनदेखी के चलते कुत्ते की मौत मारे जाते हैं, जिसे लेकर शगुफ्ता परवीन जैसे एनिमल लवर्स तकलीफ में है।

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