परम पावन श्रावण एवं पुरुषोत्तम मास श्री शारदेश्वर पारदेश्वर महादेव का श्री महारूद्राभिषेकात्मक महायज्ञ,एवं पीताम्बरा हवनात्मक महायज्ञ में दी जा चुकी है 9,24,000 आहुतियाँ

श्रावण मास में श्री पीताम्बरा पीठ सुभाष चौक सरकंडा स्थित त्रिदेव मंदिर में सावन महोत्सव एवं परम पावन पुरुषोत्तम मास पर श्री शारदेश्वर पारदेश्वर महादेव का महारूद्राभिषेकात्मक महायज्ञ 4 जुलाई से लेकर 31अगस्त तक प्रातः8:30 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक किया जा रहा है।श्री दिनेश राजपूत ठाकुर (गुरुजी)सपत्नीक बिलासपुर छत्तीसगढ़ द्वारा महारुद्राभिषेक नमक चमक विधि द्वारा किया गया।

पीताम्बरा पीठ में 18 जून से प्रारंभ हुए पीताम्बरा हवनात्मक महायज्ञ में 33 दिनो मे 9,24,000(9लाख 24 हजार)आहुतियाँ दी जा चुकी है।हवनात्मक महायज्ञ 27 नवंबर 2023 तक निरन्तर चलेगा।जिसमें 36 लाख आहुतियाँ दी जाएगी।प्रतिदिन रात्रि 8:30 से रात्रि 1:30बजे तक हवनात्मक महायज्ञ तत्पश्चात रात्रि1:30बजे ब्रह्मशक्ति बगलामुखी देवी का महाआरती किया जा रहा है।

पीताम्बरा पीठाधीश्वर आचार्य दिनेश जी महाराज ने बताया कि प्रत्येक राशि, नक्षत्र, करण व चैत्रादि बारह मासों मे सभी के स्वामी है। परंतु मलमास का कोई स्वामी नही था।स्वामीविहीन होने के कारण अधिक मास को ‘मलमास’ कहने से उसकी बड़ी निंदा होने लगी। इस बात से दु:खी होकर मलमास श्रीहरि विष्णु के पास गया और उनसे दुखड़ा रोया।भक्तवत्सल श्रीहरि उसे लेकर गोलोक पहुंचे, वहां श्रीकृष्ण विराजमान थे। करुणासिंधु भगवान श्रीकृष्ण ने मलमास की व्यथा जानकर उसे वरदान दिया- अब से मैं तुम्हारा स्वामी हूं। इससे मेरे सभी दिव्य गुण तुम में समाविष्ट हो जाएंगे। मैं। पुरुषोत्तम के नाम से विख्यात हूं और मैं तुम्हें अपना यही नाम दे रहा हूं। आज से तुम मलमास के बजाय पुरुषोत्तम मास के नाम से जाने जाओगे।इसीलिए प्रति तीसरे वर्ष (संवत्सर) में तुम्हारे आगमन पर जो व्यक्ति श्रद्धा-भक्ति के साथ कुछ अच्छे कार्य करेगा, उसे कई गुना पुण्य मिलेगा। इस प्रकार भगवान ने अनुपयोगी हो चुके अधिक मास/मलमास को धर्म और कर्म के लिए उपयोगी बना दिया। अत: इस दुर्लभ पुरुषोत्तम मास में स्नान, पूजन, अनुष्ठान एवं दान करने वाले को कई गुणा पुण्य फल की प्राति होती है।

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