अधिवक्ता परिषद छत्तीसगढ़ के प्रांतीय अधिवेशन में पहुंचे अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष के श्रीनिवास मूर्ति, न्यायालय में लंबित मामले हमारे लिए चुनौती, देश के नागरिकों को न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा -आरसीएस सामंत

बिलासपुर। अधिवक्ता परिषद प्रांतीय अधिवेशन में मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश आर सी एस सामंत ने प्रांतीय अधिवेशन में अधिवक्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज परशुराम जयंती है अक्षय तृतीया की सभी को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि नई व्यवस्था से तात्पर्य न्यायाधीश के न्याय से नहीं है। न्याय व्यवस्था में सारे विचार अधिवक्ताओं की ओर से न्यायालय में आते हैं इसके बाद ही न्यायालय किसी निष्कर्ष पर पहुंचता है। न्याय पालिका एक ऐसी प्रक्रिया है, अपने अपने तरीके से मामले को गंभीरता से रखते हैं। भारतीय न्याय व्यवस्था के बढ़ते आयाम क्या है उसके लिए हमें हमें न्याय की यात्रा पर नजर डालनी होगी। यह व्यवस्था तीन स्तंभों पर निर्भर है। पहली न्याय व्यवस्था, कानून व्यवस्था एवं इन सब को पालन कराने की व्यवस्था। कानून का पालन कराने के लिए । वर्तमान न्याय व्यवस्था सिस्टम से है। स्वतंत्रता के बाद संविधान में बदलाव संविधान लागू होने के बाद कानून में कई परिवर्तन हुआ। समय परिस्थितियां और आवश्यकता के अनुसार कानून को लेकर कहा कि संविधान हमारा मौलिक अधिकार है। सविधान एक रचना है। इसलिए वैधानिक अधिकारों की चर्चा करते हुए मुख्य अतिथि ने कहा कि हमारे संविधान में सभी नागरिकों को वादा किया गया है । सुप्रीम कोर्ट के दिए गए फैसले तथा उनके विचार को लागू करना आवश्यक है। , हाई कोर्ट तथा सुप्रीम कोर्ट के कई मामलों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि कानून के संविधान की रचना का क्रियान्वयन उपयोगी तरीके से किया जाए। कानून की नई व्यवस्था में कई चुनौतियां सामने आ रही है। न्यायालय में लंबित मामले यह हमारे लिए चुनौती दी है। नागरिकों को न्याय व्यवस्था पर पूरा विश्वास है। इस चुनौती का सामना करने के लिए अधिवक्ताओं को कार्य करना चाहिए। नियमित न्याय व्यवस्था का पालन होना चाहिए। न्यायालय के द्वारा समय-समय पर विधायिका में कई फैसले प्रस्तुत किए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट तथा हाईकोर्ट के महत्वपूर्ण फैसलों पर चर्चा करते हुए कहा कि ऐसे बहुत से मामले हैं जिस के फैसले पर जनमानस पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। उच्च न्यायालय और जिला न्यायालय के फैसले के आधार पर चर्चा करते हुएउन्होंने कहा कि उन्नत करने की आवश्यकता है। समाज की आवश्यकता की पूर्ति कर सकें ऐसा कुछ फैसले ने देखा है कि सर्वोच्च न्यायालय ने अधिवक्ताओं को जानकारी दी। उन्होंने एनजीबीटी पर भी चर्चा की। अधिवक्ता परिषद ने जो सम्मेलन बुलाया है उसमें मेरा विचार यह है कि नए नए विचार जो भी लाने का उत्तम मंच सामने लाने का उत्तम मंच न्यायालय है। नए विचार के संबंध में न्यायालय के द्वारा समक्ष में आते हैं तो तो न्यायालय के समक्ष लाने पर विचार जरूर करें। कानून व्यवस्था के बदलते सिस्टम पर विचार करने की जरूरत है। सरस्वती शिशु मंदिर कोनी बिलासपुर के सभागार में आयोजित प्रांतीय अधिवेशन में विशिष्ट अतिथि छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के सीनियर अधिवक्ता अभिषेक सिन्हा ने अमृत काल में भारतीय न्याय व्यवस्था थी बदलते आयाम पर कहा कि आजादी के 75 साल के रूप में आज भारत विश्व शक्ति के रूप में उभर रहा है। हमारे देश की न्याय व्यवस्था भी तीन भागों में कहीं जा सकती है। संविधान की विधियों का रजिस्ट्रेशन संविधान के मौलिक अधिकार दायित्व को लेकर चर्चा करते हुए अभिषेक सिन्हा ने कहा कि समय में निरंतर बदलाव हुए।अब सामाजिक क्षेत्र में परिवर्तन शुरू हो गया है। ऐसी स्थिति में न्यायपालिका की भूमिका महत्वपूर्ण है क्या। हम सभी अधिवक्ताओं को इस बात की जानकारी है। जब व्यवस्था में परिवर्तन हो रहे हैं भारत निर्माण में हमें देखना होगा। जब हम राष्ट्रीय स्तर पर बात करते हैं तो राष्ट्र पहले होता है। जब राष्ट्र की प्रगति होगी तो हम सबकी प्रगति होगी। इसी भावना के साथ कार्य करें तो हम राष्ट्र निर्माण की ओर आगे बढ़ेंगे । सिर्फ अदालतों में जाकर हकों के निर्धारण को लेकर उन्होंने कहा कि बढ़ते मामलों की व्यवस्था महंगी न्याय व्यवस्था, को लेकर चर्चा करते रूल रेगुलेशन सिस्टम को सफल बनाने के लिए हमारी जिम्मेदारी है। जब पक्षकार हमारे पास आता है तो उससे बहुत ज्यादा जानकारी नहीं होती जैसे बताते हैं वैसे वह काम करता है। पक्षकार को अधिवक्ताओं पर भरोसा होता है। उसे सही दिशा में जानकारी दें। पक्षकार के हित में उसे सलाह देवे। लोक अदालत की चर्चा की और कहा कि एक स्तर पर जाकर समझौता को अपनाना पड़ता है। अधिवक्ताओं को देखना चाहिए कि वक्त के साथ कानून में बदलाव हो रहे हैं उसे चुनौती भी दी जा सकती है। नए कानून आते हैं तो तो कानून के अच्छे प्रभाव के साथ-साथ दुष्प्रभाव भी होता है दुरुपयोग भी होता है ऐसी स्थिति में हमारा दायित्व है हम कानून में जो प्रावधान हैं। कानून की मनसा की पूर्ति के लिए प्रयास करना चाहिए। अभिषेक सिन्हा ने कहा कि कोर्ट में जाने से पहले पक्षकार को सही दिशा में समझाईं करें इसका प्रभाव राष्ट्रहित में होगा। लोगों को न्याय मिलेगा और न्याय व्यवस्था में लोगों का विश्वास होगा। कानून की नई व्यवस्था को लेकर अधिवक्ताओं को अध्ययन करना होगा। आज के दौर में जो फैसलिटी लेती उसे अपडेट करना पड़ेगा । नहीं तो हम पिछड़ जाएंगे। जो संविधान अधिकार एवं दायित्व देते हैं इसके प्रति भी सजग रहना होगा। आखिरी व्यक्ति तक न्याय पहुंचना चाहिए। लेकिन अंतिम व्यक्ति तक नहीं पहुंच पा रहा इसके कई कारण हैं। अशिक्षा, प्रकरण के निराकरण में हो रही देरी, इसका प्रमुख कारण है ‌ हम प्रजातंत्र हैं लोगों का मत के अनुसार कार्रवाई करनी होगी। कोई भी नहीं चाहता कि उसका देश तरक्की ना करें। हम जन सामान्य को पक्षकारों को लेकर कार्य करें और राष्ट्रीयता की भावना से कार्य कर सकें। स्वागत उद्बोधन देते हुएअधिवक्ता परिषद छत्तीसगढ़ के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष संतोष कुमार ने कहा है कि न्याय अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे साथ ही सामाजिक सरोकार तथा भारतीय संविधान को लेकर उन्होंने अपनी बात कही बात कही। देश की उपस्थिति को लेकर क्रांतिकारी महापुरुषों की चर्चा करते हुए अधिवक्ता साथियों को इस आयोजन के लिए बधाई दी। प्रदेश महामंत्री नीरज शर्मा ने मंच पर मौजूद अतिथियों का परिचय दिया। अधिवक्ता परिषद छत्तीसगढ़ के प्रांतीय अधिवेश के कार्यक्रम में मुख्य रूप से प्रदेश अध्यक्ष बी गोप कुमार, उमाकांत चंदेल, पी आर कश्यप, नीरज शर्मा, वीवीएस मूर्ति, संतोष सोनी, नीरज शर्मा, विक्रम दुबे,अन्नपूर्णा तिवारी , शिवम दुबे, रमाकांत मिश्रा, अब्दुल वहाब खान, पदमकातद्विवेदी के अलावा राज्य भर के अधिवक्ता परिषद के सदस्य एवं पदाधिकारी सभी जिलों से यहां पहुंचे थे। दो दिवसीय अधिवक्ता परिषद छत्तीसगढ़ के प्रांतीय अधिवेशन में 23 अप्रैल को कार्यशाला का आयोजन किया गया है। अधिवक्ता परिषद के के दाऊ चंद्रवंशी, हेमंत गुप्ता उमाशंकर वर्मा श्रीमती झरना बांगर राजश्री श्रीमती मंडावी भारद्वाज निशांत जयसवाल, विवेक वर्मा गोविंद कुमार दिनेश चंद्रवंशी मंच पर मौजूद अतिथियों का पुष्पमाला से स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन सुश्री गुंजन तिवारी ने किया। आभार प्रदर्शन उमाकांत वर्मा ने किया। कार्यक्रममें प्रमुख रूप से रवि कश्यप संजीव शर्मा भरत सोनी सूरज भास्कर मालती सूर्यकांत श्रीमती सुनीता ठाकुर अमितेश पांडे ,रोहिषेक वर्मा अंजू श्रीवास्तव नर्मदा तिवारी अनिल सक्सेना अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया ।

अधिवक्ताओं को कानून को अच्छे से समझना जरूरी है,-श्री निवास मूर्ति

प्रांतीय अधिवेशन को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे के श्रीनिवास मूर्ति ने कहा है कि न्यायपालिका में केस एवं प्रकरणों पर ,संविधान कानून और में चर्चा करते हुए कहा कि हम बेस्ट स्केल अधिवक्ता परिषद स्टडी सर्कल पर चर्चा कि। उन्होंने कहा की न्यायपालिका में हमारी कानून व्यवस्था अंग्रेजों की बनाई गई कानून व्यवस्था के अनुसार अभी तक चल रहा है। आजादी के बाद कानून बनना चालू हुआ। पहले जो कानून बनाएं गया वह भारत के विरोध में था। भूमि जमीन के पौधे खनिज कानून व्यवस्था को कोई मतलब नहीं था। जैसे-जैसे मंदिर के लिए देवी देवता के लिए जमीन छोड़ा जाता था जिससे उनका रखरखाव देखरेख होता था अंग्रेजों को बोला गया यह देवी देवताओं के लिए जमीन है सरकार की जमीन नहीं है। श्रीनिवास मूर्ति ने यह भी कहा कि कानून को अच्छे से समझना जरूरी है ताकि कानून में जो चीजें हैं या जो चीजें शिथिल हो चुकी है उसका अध्ययन करके उसका सही तरीके से जनहित से पालन किया जा सके। ऐसा अध्ययन करने की अधिवक्ताओं को आवश्यकता है।

रोज नए फैसलों का अध्ययन करें

वरिष्ठ अधिवक्ता किशोर भादुड़ी ने कहा कि क्या 75 साल में कानून व्यवस्था बदल जाएगी। आपकी आयाम का दृष्टिकोण क्या होना चाहिए। इसके पीछे के कारण पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि हर रोज नए फैसलों का अध्ययन करना चाहिए। आप जब किसी और की सोच को उसके लेवल पर आने के लिए तैयार कर आते हैं । इस पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा किकहा कि हमारे देश में कभी यह नहीं रहा कि आईसीएस और बात करें। उन्होंने कहा कि आउट शूटर को हवा नहीं देना चाहिए। न्याय व्यवस्था के बदले आयाम को लेकर उन्होंने कहा नदियों को जानवरों को पेड़ पौधों को पूजते थे अब आयाम बदल चुका है उनका दोहन हो रहा है। श्री भादुड़ी ने कहा कि यह झगड़े का मुद्दे नहीं है। पोलूशन और अधिवक्ताओं से सवाल किया और कहां कि बेसिक स्ट्रक्चर चेंज नहीं होना चाहिए। 80- 90 के दशक की चर्चा करते हुए कहां की पुरानी फैसला का अध्ययन करने का कोई मतलब नहीं है । अधिवक्ता परिषद के सदस्यों को नये फैसले पर अध्ययन करना चाहिए ।

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