


ज़िला कांग्रेस कमेटी ( शहर/ग्रामीण ) द्वारा सन्त शिरोमणि रैदास जी की जयंती एवं पृथक छत्तीसगढ़ राज्य के स्वप्नद्रष्टा डॉ खूबचन्द बघेल ,कस्तूरबा गांधी , प्रथम शिक्षा मंत्री। मौलाना अब्दुल कलाम आजाद की पुण्यतिथि कांग्रेस भवन में मनाई गई ,उनकी छायाचित्रों पर माल्यार्पण कर उन्हें याद किया गया ।
इस अवसर संयोजक ज़फ़र अली ने कहा कि डॉ खूबचन्द बघेल जी द्वारा पृथक छत्तीसगढ़ राज्य की मांग करना उस समय स्वप्न जैसा था क्योंकि देश आजाद हुआ था और प्राथमिक आवश्यकतओं की पूर्ति के लिए तानाबाना बून रहा था,पर स्व बघेल जी ने ” भातृ संघ ” का गठन कर युवाओ को जोड़ा और भिलाई में ऐतिहासिक आंदोलन किया , जो पृथक छत्तीसगढ़ राज्य की नींव की पत्थर साबित हुआ,और उनके मरणोपरांत 2000 में पृथक छत्तीसगढ़ राज्य अस्तित्व में आया, विजय पांडेय ने कहा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने डॉ खूबचन्द बघेल के स्वप्नों का छत्तीसगढ़ गढ़ने में गांव केंद्रित अर्थ व्यवस्था पर कई योजनाएं लागू कर समृद्ध और संवर्धित बनाने में कार्य कर रहे है।
यही कारण है कि कोरोना जैसे महामारी में छत्तीसगढ़ में कोई भूखा नही सोया।
संयोजक ज़फ़र अली, उन्होंने कहा कि सामाजिक और धार्मिक आंदोलन के एक स्तम्भ थे सन्त रैदासजी ,जिन्होंने अपने पैतृक काम को करते हुए, अपना जीवन भगवान को समर्पित किया, उन्होंने दोहा के माध्यम से व्यवस्था को सुधारने का काम किये, ” मन चंगा तो कठौती में गंगा “
” जात पात पूछे नही कोई जो हरि को भजे सो हरि के होई “
रैदास जी को मीरा बाई अपना गुरु मानती थी ,उनका उपदेश आज भी प्रासंगिक और आत्मसात करने योग्य है ,
हरीश तिवारी ,एसएल रात्रे ने
महात्मा गांधी जी की धर्मपत्नी और सहचरी कस्तूरबा गांधी जी का स्वतन्त्रता आंदोलन में भूमिका तत्कालीन नारी शक्ति के लिए प्रेरणादायक रहा,उन्होंने गांधी जो के सभी आंदोलनों में भाग लिया साथ ही अपना पत्नी धर्म का निर्वहन बड़ी जिम्मेदारी के साथ निभाया,
स्वतन्त्रता सेनानी ,कट्टर राष्ट्रवादी और देश के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अब्दुल कलाम आजाद गांधी जी के विचारों से प्रभावित थे ,और आज़ादी की लड़ाई में कूद पड़े, उन्होंने अनेक आंदोलनों में भाग लिया ,कई बार जेल जाना पड़ा पर अंग्रेजो के सामने झुके नही -टूटे नही और नही अंग्रजो से कभी माफीनामा लिखा । एक शिक्षाविद, कुशन रणनीति कार और सफल प्रशासक थे ,उन्होंने अंग्रेजी शिक्षा में सुधार करते हुए भारतीय व्यवस्था के अनुकूल सुधार कर नई शिक्षा नीति लागू कर यूजीसी, आई आई टी जैसे उच्च शिक्षा के लिए संस्थानों की नींव रखा ।
कार्यक्रम में संयोजक ज़फ़र अली, हरीश तिवारी, विनोद शर्मा, एसएल रात्रे, त्रिभुवन कश्यप, माधव ओत्तालवार, शिवा मिश्रा, राजेश शर्मा, अखिलेश बाजपाई,अरविंद शुक्ला,विनोद साहू, राजेन्द्र वर्मा, चन्द्र शेखर मिश्रा,अनिल पांडेय,राजेश ताम्रकार, सावित्री सोनी,सरिता शर्मा,किरण कश्यप, शुभ लक्ष्मी सिंह,वीरेंद्र सारथी,मनोज सिंह,भरत जोशी,मुकेश धमगे, सत्येंद्र तिवारी,लक्ष्मी जांगड़े,मनोज शर्मा,मनोज शुक्ला,राजेश यादव,सुभाष सिंह,चंद्रहास केशरवानी,रूपेश रोहिदास,दिनेश सूर्यवंशी,दीपक रायचेलवार,मोह अयूब,कमल डूसेजा,मनीराम साहू,आदि उपस्थित थे।