
आलोक मित्तल

प्रदेश में शासकीय कर्मचारियों की हड़ताल के बाद अब जूनियर डॉक्टर भी हड़ताल पर चले गए हैं। विगत 4 वर्षों से स्टाइपेंड में बढ़ोतरी ना किए जाने पर आक्रोशित इंटर्न, पीजी और जूनियर डॉक्टर 48 घंटे के सांकेतिक हड़ताल पर है ।गुरुवार को इन्होंने सुबह 11:00 बजे से दोपहर 2:00 बजे तक कार्य का बहिष्कार किया। प्रदेश के करीब 3000 जूनियर डॉक्टर, इंटर्न और पीजी डॉक्टर 48 घंटे के सांकेतिक हड़ताल पर है, जिन का आरोप है कि अन्य राज्यों की तुलना में उन्हें सबसे कम मानदेय दिया जा रहा है। जिसमें पिछले 4 सालों से इसमे कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है।

हड़ताली चिकित्सकों ने कहा कि अगर 48 घंटे में उनकी मांग पूरी ना हुई तो प्रदेश के सभी जूनियर डॉक्टर, इंटर्न और पीजी डॉक्टर हड़ताल पर चले जाएंगे और ओपीडी का बहिष्कार किया जाएगा। हालांकि इस दौरान मरीजों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए इमरजेंसी सेवाएं जारी रहेंगे। हड़ताली डॉक्टरों ने बताया कि वर्तमान में इन्टर्नस को ₹12,600, पीजी फर्स्ट ईयर को ₹53,500, पीजी सेकंड ईयर को ₹56,700, पीजी थर्ड ईयर को ₹59,220 और पोस्ट पीजी बांड के तौर पर ₹55,000 दिए जा रहे हैं, जिसमें पिछले 4 साल से कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। इसे बेहद कम बताते हुए जूनियर डॉक्टर ने इसमें बढ़ोतरी की मांग की है। स्टाइपेंड को अन्य राज्य के समान किए जाने की मांग की जा रही है। जाहिर तौर पर प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टर, इन्टर्नस और पीजी डॉक्टर के एक साथ हड़ताल पर चले जाने से स्वास्थ्य सेवाओं पर प्रतिकूल असर पड़ेगा, इसलिए शासन को इस में अविलंब दखल देने की आवश्यकता है।

