कूट रचना कर करोड़ों की जमीन हथियाने के आरोप में एक और बलि के बकरे की गिरफ्तारी, जिसे ठीक से पढ़ना नहीं आता, उस पर कूट रचना करने का आरोप, मजदूरी कर जीवन यापन करने वाले को बताया जा रहा करोड़पति

आलोक मित्तल

रिक्शा चालक भोंदू दास की तर्ज पर पुलिस ने अब जमीन फर्जीवाड़ा के मामले में चिरमिरी से मजदूर अमलदास को गिरफ्तार किया है, जिसे मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। भू माफियाओं ने तोरवा निवासी रिक्शा चालक भोंदू दास के नाम 200 एकड़ से अधिक जमीन चढ़ाकर जमीन खरीदी बिक्री का खेल खेला और मामले में बलि के बकरे भोंदू दास पर आरोप मढ़ दिया गया जो आज भी जेल में है।
कुछ-कुछ उसी से मिलता जुलता एक और मामला सामने आया है। आई जी द्वारा गठित 4 सदस्य टीम ने जांच के बाद भोंदूदास के साथ अमलदास विश्वकर्मा, जोसेफिन गैबरियल, निर्मल कांति पाल, धनंजय पाल पीला बाई ,छोटे कुर्रे, रामाश्रय और अन्य के खिलाफ आरोप सही पाया।
सरकंडा पुलिस ने इस मामले में शुक्रवार को चिरमिरी से अमलदास को गिरफ्तार किया। पूछताछ में वो कुछ भी नहीं बता पाया क्योंकि उसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा कि मामला क्या है। पुलिस ने उसे जिन दस्तावेजों के परीक्षण के लिए गिरफ्तार किया है उस मामले में वह कुछ भी बताने में सक्षम नही लग रहा है । आरोप है कि मोपका की जमीन खसरा नंबर 1859/1 में कूट रचना कर अमलदास के नाम पर चढ़ाया गया है। पुलिस जिसे करोड़ों की जमीन का मालिक बता रही है उसकी दयनीय स्थिति देख कर ही समझ आ रहा है कि उसे किसी ने बलि का बकरा बनाया है। वही हाल भोंदू उदास का भी था।


पुलिस दावा कर रही है कि भू अभिलेख में 1.3 0 एकड़ जमीन हीरा दास के नाम पर दर्ज था, जिसके आधार पर हीरा दास द्वारा 10 मई 1972 को अमलदास को वो जमीन बेची गई। 1972 के इंडेक्स रजिस्टर में सांठगांठ करके कूट रचना करने का आरोप है। एक बड़े वर्ग का मानना है कि इस बेशकीमती जमीन के पीछे बड़े-बड़े भू माफिया संलिप्त है, जिन्होंने गरीब लाचार नासमझ लोगों को बलि का बकरा बनाया है। जिन्हें इस मामले की ठीक से जानकारी तक नहीं है। भोंदूदास के बाद पुलिस ने अमल दास को गिरफ्तार तो कर लिया है लेकिन इनसे बहुत कुछ हासिल होगा ऐसा लगता नहीं।

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