
यूनुस मेमन

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट द्वारा आदिवासी आरक्षण में कटौती किए जाने से नाराज सर्व आदिवासी समाज ने एक बार फिर आर्थिक नाकाबंदी के इरादे से रतनपुर हाईवे पर चक्का जाम किया। छत्तीसगढ़ में आदिवासियों को 32% आरक्षण उपलब्ध था, जिसमें 12% की कटौती करते हुए उच्च न्यायालय ने पूर्व के फैसले को असंवैधानिक बताया था। इसे लेकर एक तरफ जहां भाजपा हमलावर है तो वहीं अन्य संगठन भी प्रदेश सरकार पर हमले करने में पीछे नहीं है।

सर्व आदिवासी समाज का भी कहना है कि राज्य सरकार इसे लेकर पर्याप्त संवेदनशीलता और गंभीरता प्रदर्शित नहीं कर रही है । शासन के सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से भी इस संबंध में कोई दिशानिर्देश जारी नहीं किया जा रहा ,है जिसके चलते शासकीय भर्तियों और नियुक्तियों में बाधा उत्पन्न हो रही है। 17 अक्टूबर के मंत्री परिषद की बैठक में भी किसी प्रभावी नीति और कार्यवाही पर पहल का भाव नजर आया। संवैधानिक जटिलताओं के बीच सरकार पर खामोश और तटस्थ रहने का आरोप आदिवासी समाज लगा रहा है, जिन्होंने कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सोते हुए कहा कि आदिवासियों के लिए 32% आरक्षण तुरंत बहाल किया जाए। पदोन्नति में भी आरक्षण लागू किया जाए। स्वामी आत्मानंद स्कूल में आरक्षण लागू किया जाए। पांचवी अनुसूची के अंतर्गत अधिसूचित क्षेत्र कोटा ब्लॉक में आदिवासियों की जनसंख्या 85% के अनुरूप तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के पद जिले के आदिवासियों के लिए आरक्षित किया जाए और भूरिया कमेटी द्वारा बनाए गए पेसा कानून को लागू किया जाए। इन्हीं मांगों के साथ आदिवासियों ने रतनपुर में चक्का जाम किया।

