

बिलासपुर। गुरू घासीदास विश्वविद्यालय (केन्द्रीय विश्वविद्यालय) में दिनांक 15 नवंबर, 2022 को सुबह 11 बजे से विश्वविद्यालय के मानव विज्ञान एवं जनजातीय विकास विभाग तथा इतिहास विभाग के संयुक्त तत्वावधान में स्वतंत्रता संग्राम के जनजातीय गौरव भगवान बिरसा मुंडा जी की 147 वीं जयंती पर 15 से 21 नवंबर, 2022 तक जनजातीय गौरव सप्ताह के अवसर पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार का आयोजन किया गया।
एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार के मुख्य अतिथि श्री वैभव सुरंगे अखिल भारतीय युवा कार्य प्रमुख वनवासी कल्याण आश्रम नागपुर एवं अध्यक्षता विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति महोदय प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने की। मंचस्थ अतिथियों में श्री कैशव स्वदेशी जागरण मंच, श्री सुभाष सह-संगठनमंत्री वनवासी कल्याण आश्रम एवं सीवीओ प्रो. एमके सिंह उपस्थित रहे। सर्वप्रथम मंचस्थ अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर मां सरस्वती एवं संत गुरु घासीदास जी के समक्ष पुष्प अर्पित किये। तत्पश्चात नन्हें पौधे से अतिथियों का स्वागत किया गया। सेमीनार के सह-संयोजक घनश्याम दुबे सहायक प्राध्यापक इतिहास विभाग ने स्वागत उद्बोधन दिया वहीं संयोजक डॉ. नीलकंठ पाणिग्राही विभागाध्यक्ष मानव विज्ञान एवं जनजातीय विकास विभाग संगोष्ठी की रुपरेखा प्रस्तुत की।
विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति महोदय प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने कहा कि स्वतंत्रता महासंग्राम के जनजातीय गौरव भगवान बिरसा मुंडा के योगदान को युवाओं तक पहुंचाना हमारी जिम्मेदारी है। महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भागवान बिरसा मुंडा का जीवन पराक्रम और उच्च आदर्श नैतिक मूल्यों का संदेश देता है। उन्होंने कहा कि युवा भगवान बिरसा मुंडा ने अन्यायवादी और दमनकारी अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ अकेले क्रांति का बिगुल फूंक दिया था।
कुलपति महोदय ने कहा कि प्रकृति को देवता मानने वाले हमारे जनजातीय समाज के लोगों का हमारे स्वतंत्रता आंदोलन में अहम योगदान रहा है। भगवान बिरसा मुंडा ने दमनकारी अंग्रेजी शासन के समक्ष कभी सिर नहीं झुकाया और प्रतिरोध की आवाज को बुंलद किया। उनके नेतृत्व में आजादी के आंदोलन को दिशा एवं गति मिली। उन्होंने भारतीय सामाजिक विभाजन का एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हुए बताया कि भारतीय ग्राम एवं वनवासी क्षेत्रों में भारत की लगभग अस्सी प्रतिशत से ज्यादा जनसंख्या निवास करती है। उन्होंने माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा करोनोकाल से प्रारंभ हुए अन्नदान के विशेष रूप उल्लेख किया और बताया कि यह भगवान बिरसा मुंडा की इच्छाओं के प्रति सच्ची श्रद्धांजली है।
मुख्य अतिथि श्री वैभव सुरंगे अखिल भारतीय युवा कार्य प्रमुख वनवासी कल्याण आश्रम नागपुर ने कहा कि हमें भारतीय वनवासियों को प्रति अपने दृष्टिकोण में मानवतापूर्ण परिवर्तन लाना होगा। अंग्रेजों द्वारा बनाये गये दृष्टिकोण एवं इतिहास लेखन के कारण देश में अनेक विसंगतियां उत्पन्न हुई हैं जिनके शिकार भारतीय वनवासी रहे हैं। उन्होंने भारतीय संविधान में उल्लेखित वनवासी संरक्षण से संबंधित तमाम प्रावधानों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि वनवासी सभ्यता ही भारत की मूल संस्कृति एवं सभ्यता है।

देश के माननीय प्रधानमंत्री महोदय श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मान देने हेतु भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को राष्ट्रीय जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाये का निर्णय लिया गया है।
कार्यक्रम के दूसरे भाग में तकनीकी सत्र के दौरान सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. प्रवीन मिश्र और समाज कार्य विभाग की प्रो. प्रतिभा जे. मिश्रा ने जनजातीय नायकों के योगदान पर प्रकाश डाला।
अतिथियों को स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया गया। धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव श्री सूरज कुमार मेहर ने एवं कार्यक्रम का संचालन श्री मुरली मनोहर सिंह सहायक प्राध्यापक हिंदी विभाग ने किया। कार्यक्रम में विभिन्न विद्यापीठों के अधिष्ठातागण, विभागाध्यक्षगण, अधिकारीगण, शिक्षक तथा बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे।
