
आकाश दत्त मिश्रा

मुंगेली के इंडोर खेल स्टेडियम के साथ जिस तरह का खिलवाड़ किया जा रहा है इसके चलते बैडमिंटन कोर्ट अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। इसे बर्बाद करने का आरोप भी उन प्रशासनिक अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों और मुंगेली के नीति निर्णयको पर लग रहा है, जिनकी जिम्मेदारी इसे बेहतर करने की होनी चाहिए। लेकिन यही लोग भस्मासुर बन कर इसे बर्बाद करने पर तुले हुए हैं।
मुंगेली नगर पालिका क्षेत्र अंतर्गत मौजूद डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी इनडोर स्टेडियम प्रशासनिक अदूरदर्शिता का नजीर बन चुका है। पिछले कुछ समय से यह षडयंत्र पूर्वक कार्यक्रमों का आयोजन आरंभ किया गया, जबकि लंबी तपस्या के बाद मुंगेली वासियों को इनडोर स्टेडियम हासिल हुई थी। इंडोर स्टेडियम में सुव्यवस्थित बैडमिंटन कोर्ट मौजूद है।

नियमानुसार बैडमिंटन कोर्ट का फ्लोर विशेष लकड़ी से तैयार किया जाता है। इसमें विशेषज्ञता की आवश्यकता पड़ती है। मुंगेली और आसपास के खिलाड़ी सुबह शाम यहां बैडमिंटन खेलने पहुंच रहे हैं, जिन्हें निराश लौटना पड़ रहा है।
बैडमिंटन कोर्ट में शामियाना तान दिया गया है। पिछले कुछ समय से यहां एक नई परंपरा चलाई जा रही है।
बरसात के दौरान होने वाले सरकारी, गैर सरकारी आयोजन के लिए डोम निर्माण करने की जगह खिलाड़ियों के इस मात्र ठिकाने को निशाना बनाया जा रहा है। पिछले कुछ समय से ऐसा निरंतर किया जा रहा है।

भाजपा के शासनकाल में मुंगेली को इनडोर स्टेडियम और बैडमिंटन कोर्ट की सौगात मिली थी , तो उस समय खिलाड़ियों की बांछें खिल गई लेकिन उन्हें क्या पता था कि जिम्मेदार अधिकारी ही इस तरह का अव्यावहारिक निर्णय करेंगे। पिछले कुछ समय से मुंगेली के इंडोर स्टेडियम, खासकर बैडमिंटन हॉल को सरकारी आयोजनों का ठिकाना बना लिया गया है । यहां आए दिन कोई न कोई आयोजन संपन्न किया जा रहा है, जिसके लिए बैडमिंटन कोर्ट पर ही शामियाना तानकर वैकल्पिक व्यवस्था की जाती है। इसके लिए निर्दयता पूर्वक बैडमिंटन कोर्ट पर कील गड़ाकर स्तंभ खड़े किए जाते हैं। यह काम टेंट हाउस के अप्रशिक्षित कर्मचारी करते हैं, जिन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं है कि उनकी इस हरकत से बेशकीमती बैडमिंटन कोर्ट क्षतिग्रस्त हो रहा है। लेकिन यह दृश्य देखकर यहां पहुंचने वाले खिलाड़ी खून के आंसू पीकर रह जाते हैं। उनका खेल मैदान उनकी आंखों के सामने तबाह किया जा रहा है और वे इसलिए बेबस है क्योंकि ऐसा करने वाले ताकतवर लोग हैं।
इससे पहले कलेक्टर और एसपी स्वयं इस कोर्ट पर सुबह शाम खेलने पहुंचते थे, लेकिन नए अधिकारियों की दिलचस्पी ना तो खेल के प्रति है और ना ही इन खेल मैदानों को सुरक्षित रखने के प्रति। तभी तो इसे बेहतर करने की बजाय वे इसे उजाड़ने में जुटे हुए हैं। ऐसा संभव ही नहीं है कि जिला प्रशासन के सक्षम अधिकारियों को इसकी खबर ही ना हो क्योंकि अधिकांश ऐसे कार्यक्रमों में वे मेहमान या मेजबान के रूप में मौजूद रहते हैं।
कोई सरकारी आयोजन हो, किसी पार्टी का बड़ा नेता मुंगेली पहुंचे तो फिर बड़ी आसानी से आयोजन को इंडोर स्टेडियम में कर लिया जाता है।
इसके पीछे दो बड़े मकसद छुपे हुए हैं। एक तो स्टेडियम के भीतर थोड़ी सी व्यवस्था कर आयोजन संपन्न कराया जा सकता है इससे टेंट का खर्चा बचता है । हालांकि बिल उतना ही बनाया जाता होगा जितना बाहर शामियाना लगाने में लगता है। खिलाड़ी यह आरोप भी लगा रहे हैं कि इस तरह की गतिविधियों से इंडोर स्टेडियम और बैडमिंटन कोर्ट को क्षतिग्रस्त किया जा रहा है ताकि इसी बहाने नया टेंडर निकाला जा सके और अपने चहेते ठेकेदारों को उपकृत करते हुए मोटी कमीशन हासिल की जा सके।
कुछ लोगों के लालच की वजह से मुंगेली के एकमात्र सर्व सुविधा युक्त बैडमिंटन कोर्ट को खिलाड़ियों के आंखों के सामने तबाह किया जा रहा है और सभी खामोश है। वैसे इसका एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें सभी जनप्रतिनिधियों के साथ मीडिया पर भी सवाल उठाए गए हैं।
मुगली नगर पालिका अध्यक्ष हेमेंद्र गोस्वामी दावा करते हैं कि उनके द्वारा हर दिन एक जनउपयोगी कार्य की शुरुआत की जाती है, तो फिर उन्हें इस विनाश की जिम्मेदारी भी लेनी होगी, क्योंकि उनके ही कार्यकाल में मुंगेली के इस एकमात्र बैडमिंटन कोर्ट को उजाड़ा जा रहा है और अगर वे खामोश है, तो क्या यह नहीं माना जाना चाहिए कि इसमे उनकी मौन सहमति है ?
टेंट हाउस का क्या ? उन्हें तो अपना किराया मिल जाता है । उनके लिए जैसा खाली मैदान, वैसा ही बैडमिंटन कोर्ट। वे अपने ही अंदाज में जहां जगह पाते हैं कील ठोककर शामियाना तान देते हैं, उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है इससे बेशकीमती कोर्ट का फर्श खराब हो रहा है।

बैडमिंटन कोर्ट में सुबह-शाम खेलने पहुंचे खिलाड़ी निराश लौट रहे हैं । जो कोर्ट उनके खेल से गुलजार होना चाहिए था, उस कोर्ट पर गैर खेल गतिविधियों के कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं, जबकि यह कार्यक्रम कहीं और भी आसानी से आयोजित हो सकते हैं। इसके लिए मुंगेली में कई सभागार है । खाली मैदान है। लेकिन साजिश पूर्वक मुंगेली में यह सब षड्यंत्र किया जा रहा है ताकि मोगली को मिली सौगात को तबाह किया जाए। खिलाड़ियों को खेल से वंचित किया जाए । नकली बिल बना कर अपनी जेब भरी जा सके और पहले कोर्ट को तबाह और फिर उसका पुनर्निर्माण के नाम पर नया टेंडर निकालकर कमीशन हासिल की जा सके। यह हरकत जिनके भी द्वारा की जा रही है उनके खिलाफ जनाक्रोश को देखते हुए जिम्मेदार लोगों को आगे आकर सख्त कार्यवाही करनी होगी। अन्यथा सब कुछ तबाह होने के बाद सिर्फ लाठी पीटने के अभिनय का कोई मतलब नहीं होगा। लेकिन जब बाड़ ही फसल खाते लगे तो फिर रक्षा की उम्मीद किससे की जाए ?
