

बेहतरीन निजी अस्पताल और शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी अस्पताल की सुविधा होने के बावजूद आज भी अंधविश्वास के फेर में पड़कर ग्रामीण इलाज की जगह झाड़ फंक का सहारा लेते हैं, नतीजतन उन्हें अपनी जान गंवानी पड़ती है। बैगा गुनिया पर भरोसा करने वाले ऐसे ही एक परिवार को अपने करीबी से हाथ धोना पड़ा। थाना रतनपुर के ग्राम पौड़ी में रहने वाले 35 वर्षीय फेकूराम निर्मलकर की तबीयत खराब होने पर 23 अक्टूबर से लेकर 26 अक्टूबर तक उसे किसी अस्पताल में दिखाने की बजाय ग्राम जुनवानी मस्तूरी में रहने वाले कथित बैगा लीलाराम रजक के पास झाड़-फूंक के लिए ले जाया गया। लीला राम रजक ने इलाज के नाम पर त्रिशूल को आग में गर्म कर फेकू राम निर्मलकर के सीना, पेट, कमर , जांघ, पीठ , कुल्हा, हाथ आदि स्थान पर कई जगह दाग दिया।
इसके चलते तड़प तड़प कर 30 अक्टूबर शाम 4:00 बजे ग्राम पौड़ी में फेकू राम निर्मलकर की मौत हो गई। डॉक्टर ने बताया कि जले हुए जगह पर इंफेक्शन हो जाने के कारण उसकी मौत हुई है। जिसके बाद उसकी पत्नी गंगाबाई निर्मलकर ने इसकी शिकायत मस्तूरी थाने में की। पुलिस ने झाड़-फूंक के नाम पर एक बीमार व्यक्ति की जान लेने वाले बैगा लीलाराम रजक को गिरफ्तार कर लिया है। उसके खिलाफ हत्या का मामला पंजीबद्ध किया गया है। भले ही बैगा लीलाराम ने फेकू राम की जान ली हो लेकिन उसका असली हत्यारा तो ग्रामीणों के मन में बसा अंधविश्वास है, जो ऐसी घटनाओं के बाद भी बाहर निकलने का नाम नहीं ले रहा।
