
आलोक मित्तल

कहने को तो दुर्गा पूजा एक धार्मिक आयोजन है, लेकिन बिलासपुर के ही कुछ सर्वजनिक दुर्गा उत्सव की कमान असामाजिक तत्वों के हाथ में है, जिनकी वजह से हर वर्ष विसर्जन के दौरान मारपीट की घटना सामने आती है । ऐसे तत्वों का रुझान धार्मिक अनुष्ठान और पूजा पाठ में कम और विसर्जन के दौरान डीजे के साथ शराब पीकर हंगामा करने में अधिक होता है।

एक बार फिर विसर्जन के दौरान दो पक्ष आपस में भिड़ गए। जिसके बाद जमकर पथराव और लाठी बाजी हुई। इससे एक बार फिर से शहर की छवि धूमिल हुई है । गुरुवार रात को बिलासपुर में झांकी के साथ दुर्गा विसर्जन के लिए प्रतिमाएं वाहनों में सवार होकर निकली थी। प्रतिबंध के बावजूद सभी झांकियों के साथ डीजे भी वाहनों में चल रहे थे। इसी वजह से विवाद हुआ। सिम्स और करोना चौक के बीच डीजे वाहन को आगे ले जाने के विवाद में हंगामा खड़ा हो गया।
बताया जा रहा है कि शिव चौक कुदुदंड के अभिजीत तिवारी अपने साथियों के साथ डीजे लेकर विसर्जन करने पचरीघाट जा रहे थे। इसी दौरान चांटीडीह सरकंडा से दुर्गा मूर्ति विसर्जन के लिए ले जा रहे शैलेश कश्यप के साथियों के साथ डीजे आगे ले जाने की बात पर विवाद हो गया। देखते ही देखते यह विवाद गाली गलौज और मारपीट में तब्दील हो गई ।इसका वीडियो भी सुबह होते होते वायरल हो गया। इस घटना में कई लोगों के शामिल होने की वजह से पुलिस ने प्रकरण में 147 की धारा भी जोड़ी है। इस मामले में एक पक्ष से दो आरोपी हिरासत में लिए गए हैं , जिनसे पूछताछ की जा रही है। वीडियो फुटेज के आधार पर अन्य बवालियों की भी तलाश जारी है ।
ऐसा कोई साल नहीं जाता, जब विसर्जन के दौरान इस तरह की घटनाएं सामने नहीं आती । अगर ऐसे ही करतूत जारी रही तो वह दिन दूर नहीं जब बिलासपुर में झांकियों के साथ विसर्जन की यह परंपरा भी समाप्त हो जाएगी और इसके जिम्मेदार ऐसे ही असामाजिक तत्व और उपद्रवी होंगे । धार्मिक और सामाजिक संगठनों को सबसे पहले ऐसे तत्वों पर नकेल कसने की आवश्यकता है, बजाय इनके समर्थन में उतरने के।

