मौज में है पखांजुर के कबाड़ी दुकानदार, दुकानों में न हो रही कोई जांच, न पूछ ताछ के लिये पहुचते, शासकीय हो या प्राइवेट चोरी का सामान आखिर खरीदता कौन है जांच का विषय..

पखांजुर से बिप्लब कुण्डू–25/9/22

पखांजुर~
परलकोट में कई कबाड़ दुकानदारों की चांदी के जीवन काट रही है,उनकी कबाड़ दुकानों की कोई जांच करने वाला है नही न कि हो रही है और कोई सख्ती। इसका नतीजा है कि कबाड़ दुकानों पर लोहा-टीना, पेपर, प्लास्टिक के अलावा दुकानदार वाहन व उपकरण तक की खरीदारी कर रहे हैं। इसमें दो पहिया ही नहीं बल्कि चार पहिया वाहन भी खरीद कर काटे जा रहे हैं। अब ये वाहन चोरी के हैं या फिर कोई स्वेच्छा से बेच रहा है इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। इससे कबाड़ दुकानदार भी मालामाल हो रहे हैं।

अक्सर देखा जाता है कि कबाड़ दुकानों पर हर दूसरे दिन एक ट्रक पर सामान लोड होकर बाहर जाता है। सभी कबाड़ दुकानों पर प्रतिदिन फेरी कर कबाड़ का सामान खरीदने वाले रहते हैं और वार्डों में घूम घूम कर खरीदे गए सामान को बेचते हैं। लोगों से कम दाम पर खरीद कर कबाड़ दुकान पर अधिक दाम पर बेचते हैं। इससे उन्हें भी अच्छा मुनाफ होता है। लेकिन सबसे गंभीर प्रश्न यह है कि अधिकांश कबाड़ दुकानों का लाइसेंस नहीं है। इनकी जांच प्रशासन द्वारा कराई नहीं जा रही, फिर इन कबाड़ दुकानों में कैसा सामान खरीदा या बेची जा रही है इसके बारे में जानकारी कैसे होगी।

किसी जगह बन रहे मकान में छड़ रखने पर अक्सर चोरी होने का मामला प्रकाश में आता है। जिसे लोग कबाड़ दुकानों पर ही बेचने की शंका करते हैं। लेकिन इसके बारे में पता लगाने पर भी लोग कुछ नहीं कर पाते,जांच नहीं होने से इस बात का भी अब तक खुलासा नहीं हुआ है कि कबाड़ दुकानों पर चोरी का सामान भी खरीदा जाता है।
यह तक कि बाहर से कुछ व्यापारी आकर पखांजुर में घर,लॉज किराया पर लेकर काबर खरीदी की जा रही है जिसमे बैटरी बड़ा छोटा,बोरिंग का मोटर आदि आदि पिछले कुछ दिन पूर्व जब मीडिया के टीम को पता चला कि बाहर से कुछ व्यापारी पखांजुर में रह कर कबाड़ी समान खरीद रहा है तो उनके पास जाकर पूछने पर उनके पास कोई ऐसा दस्तावेज नही है जिससे साबित हो होगा कि बाहर से आकर कबाड़ खरीदने का परमिशन है यह तक कि उनके पहचान का कोई कागजात नही है।उन कबाड़ व्यापारी को पूछने पर कभी दिल्ली,यूपी,राजस्थान रहने का बात करते है सही पता नही बोला जा रहा है।क्षेत्र अति सम्बेदनशील है जिसको देखते हुए पुलिस प्रशासन को कड़ी कार्यवाही करना चाहिए।

अब देखने वाली बात यह है कि पुलिस प्रशासन के द्वारा इन दुकानों पर कब जांच होती है और जांच में क्या कुछ खुलासा होता है ये देखने वाली बात होगी।

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