गोंडवाना गोंड महासभा के राज्य स्तरीय प्रथम महिला अधिवेशन का हुआ आयोजन, कांति नाग रही मुख्यातिथि

पखांजुर से बिप्लब कुण्डू –25.9.22

समाज के महिलाओ की एकजुटता का परिचय देकर नेतृत्व करने में हो सकते है अग्रणी :- कांति

सम्मलेन में आदिवासी महिलाओ का जनसैलाब, गलियों में जय सेवा जय गोंडवाना के नारे गूंजते रहे

पखांजुर–
उड़ीसा राज्य के संबलपुर के तपस्विनी हाल में प्रदेश महिला आयोजित समिति उड़ीसा द्वारा आयोजित अखिल भारतीय गोंडवाना गोंड महासभा के प्रदेश स्तरीय प्रथम अधिवेशन में देश भर के विभिन्न क्षेत्रों से कई हस्तियों ने हिस्सा लिया। अधिवेशन की मुख्यातिथि अखिल भारतीय गोंडवाना गोंड महासभा की राष्ट्रीय महासचिव कांति देवी नाग थी । महिला अधिवेशन के परिसर में आदिवासी संस्कृति से ओतप्रोत कार्यक्रमों की प्रस्तुति हुई। ढोल-नगाड़ों एवं गुन्नौरशाही के बीच हजारों की संख्या में आदिवासी महिलाओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा । इस दौरान संबलपुर की गलियों में जय सेवा जय गोंडवाना के नारे गूंजते रहे ।

कार्यक्रम की मुख्यातिथि कांति नाग ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि आदिवासी समाज के महिलाओ के हितों को लेकर यह अधिवेशन का आयोजन बेहद महत्वपूर्ण है। आज आदिवासी समाज की महिलाओ के उपर हो रहे अत्याचारों और भेदभाव से लड़ने के लिए सभी का एकजुट रहना हमारी संगठन की प्राथमिक आवश्यकता है। हम आदिवासी समाज के महिलाओ की एकजुटता का अपरिचय देकर नेतृत्व करने में अग्रणी हो सकते है इसके लिए सभी को एकजुट रहना होगा ।

अखिल भारतीय गोंडवाना गोंड महासभा एक एैतिहासिक संस्था :- कांति

कांति नाग ने अपने उद्बोधन में आगे कहा की अखिल भारतीय गोंडवाना गोंड महासभा एक एैतिहासिक संस्था है जिसने देश की कथित आजादी के पूर्व से ही शासक रहे गोंडवाना के गणों की मान मर्यादा और सम्मान के लिये लगातार प्रतिवर्ष प्रत्येक राज्य में राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाकर गोंडवाना के गणों के सर्वागीण विकास का मूल्यांकन कर कमी बेसी के संबंध में अगली रणनीति तय की जाती रही है । देश की आजादी के बाद कुछ गिने चुने लोगो ने ही अखिल गोंडवाना गोंड महासभा के कार्यकृम को जारी रखे जिसका परिणाम था कि समुदाय के विकास की समीक्षा का यह कृम जारी रखा गया ।

आजादी के बाद कुछ लोग भले ही पार्टियों के चक्कर में लगकर इस एैतिहासिक अधिवेशन को दरकिनानार कर दिये लेकिन इसके राज्य पुनर्गगठन के बाद क्षेत्रीय स्तर पर गोंड समाज के नाम पर संगठनों का निर्माण होता गया और मूल संगठन स्थानीय प्रदेशों के संगठनों के निर्माण के करण शिथिल हो गया । इसके साथ ही महिला प्रभाग का भी निर्माण किया गया जिससे गोंडी महिलाएं आज अपने हक और अधिकार पर सर उठाकर सवाल कर सकती है और जवाब भी दे सकती है उन्होने कहा गोंडवाना नाम के किसी संगठन ने यदि अपना मूल एजेंण्डा बनाया है तो वह अखिल भारतीय गोंडवाना गोंड महासभा के एजेंडे से ही कुछ सामग्री लेकर बनाया है ।

पुरखों की अपेक्षा और परंपरा को कायम करते हुए आगे बढ रहे

उन्होंने कहा की जो भी संगठन गोंडवाना की भाषा धर्म संस्कृति और राज्य के एजेण्डे को अपना कहती है तो समझों कि उसे गोंडवाना आन्दोलन की शुरूआत और आन्दोलन की समझ नहीं । आपको यदि इस बात की तसल्ली करना है तो अखिल भारतीय गोंडवाना गोंड महासभा के 1931 और 32 के प्रस्तावों का अध्ययन करना चाहिये कि कि हमारे मुखियाओं ने समुदाय हित में कौन कौन से प्रस्ताव किये थे । हमें अखिल भारतीय गोंडवाना गोंड महासभा के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय शिशुपाल शोरी जी का धन्यवाद करना चाहिये कि वे इस परंपरा को पुनः कायम करते हुए विभिन्न राज्यों में इसका सफल नेतृत्व करते हुए हमारे पुरखों की अपेक्षा और परंपरा को कायम करते हुए आगे बढ रहे हैं ।

सफल अधिवेशन के आयोजन के लिए कांति ने जताया आयोजको का आभार

श्रीमती नाग ने कहा एैसे सम्मेलनों में यह संगठन समुदाय के हर सम्माननीय और प्रतिष्ठित व्यक्ति को आमंत्रित करता है जिसमें किसी दल विशेष को महत्व नहीं केवल समुदाय को महत्व होता है इसलिये इस तरह की बात करके कुछ लोग एकपक्षीय सोच बनाते हैं जो इनकी रूग्ण मानसिकता का परिचायक है । अतः गोंडवाना के समस्त् गोंडवाना सगाजनों ( महिलाओ ) का आभार व्यक्त करते हुए कांति ने कहा कि पुरखों के इस एैतिहासिक चिंतन के कृम को लगातार आगे बढाते हुए आज़ के इस महिला अधिवेशन को एैतिहासिक कार्यकृम के रूप में सफल बनाने में अपनी महत्वर्पूण भूमिका अदा करने पर मैं सभी बहनों की शुक्रगुजार हूं और रहूंगी ।

साथ ही बैठक में आरक्षण 32%, लोक संस्कृति, लया ल्योर, नृत्य, पेसा कानून समेत निकट भविष्य में होने वाले राष्ट्रीय महिला अधिवेशन कार्यक्रम में होने वाला कार्यक्रम की रुपरेखा बनाए जाने के साथ सामाजिक कार्यक्रम आगामी चुनाव वर्ष की तैयारियों की समीक्षा की गई ।

ये रहे मौजूद

इस दौरान प्रमुख रूप से अंतागढ़ विधायक अनूप नाग, वीर सुरेन्द्र साय, आरएन ध्रुव, महेंद्र नायक, सुकांति बाला नायक, दमयंती महापात्र, खाम सिंह माझी, प्यारी मोहन नायक, सुभाग्नि नायक, गायत्री मोई, जगसान सेनी, कनक पुट्टा, कुमारी मोई, ममता सिंह, सुनीता नायक, ललिता पात्र, बबिता माझी, जसोदा मान सिंह, मिनाती सिंह, दमयंती नायक, जेमामानी घुरवा, सांती लता गौड़, गौरी कुमरा, लक्ष्मी नायक, रीना माझी, सौम्या रंजन नायक, सुबरत कौर समेत सैकड़ों महिलाएं एवं दर्जनों हस्तियां मौजूद थे ।

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