

धूमा में आयोजित गौकृपा महोत्सव के अवसर पर गौकथा वाचक श्री गोपाल कृष्ण रामानुज दास ने गौमाता की महिमा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गौमाता ही समस्त देवताओं की जननी तथा यज्ञ की कारणरूपा हैं। उन्होंने कहा कि बिना गाय के यज्ञ-हवन एवं देवताओं का पूजन असंभव है। गौमाता समस्त तीर्थों की महातीर्थ हैं, इसी कारण वैदिक काल से ही वे वंदनीय रही हैं।

श्री गोपाल कृष्ण रामानुज दास ने अपने प्रवचन में कहा कि वेद, पुराण एवं शास्त्रों में गौरक्षा और गौमहिमा का मुक्त कंठ से वर्णन मिलता है। महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण, महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित महाभारत तथा पवित्र देववाणी भगवद्गीता में भी किसी न किसी रूप में गौमाता का उल्लेख प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि गौमाता भगवान श्रीकृष्ण को अत्यंत प्रिय हैं और वे पृथ्वी का प्रतीक भी हैं। गौमाता में सभी देवी-देवताओं का वास माना गया है तथा सभी वेद भी उनमें प्रतिष्ठित हैं।
उन्होंने आगे कहा कि गाय से प्राप्त दूध, घी, गोबर और गौमूत्र जैसे सभी घटकों में देवताओं के तत्व विद्यमान रहते हैं, जो मानव जीवन के लिए कल्याणकारी हैं।
गौकथा के मध्य जूना अखाड़ा से पधारे श्री महंत श्री ब्रह्मानंद गिरि जी महाराज ने भी अपने उद्बोधन में कहा कि ‘मां’ शब्द की सच्ची जननी गौमाता ही हैं। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा दिव्य मंत्र है, जिसकी साधना ऋषि-मुनियों ने हवन, पूजन एवं कपिल तर्पण के माध्यम से की है। इसके पश्चात कथा का विश्राम किया गया।
इस अवसर पर धूमा गौसेवा धाम के अनेक गौसेवक एवं श्रद्धालु बड़ी संख्या में उपस्थित रहे और गौसेवा के संकल्प को दोहराया।

