

बिलासपुर। पं.दीनदयाल उपाध्याय जी की पुण्यतिथि भारतीय जनता पार्टी द्वारा बिलासपुर जिला के बूथों में भाजपा कार्यकर्ताओं ने मनाई। वक्ताओं ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय एक मजबूत एवं सशक्त भारत चाहते थे। इस अवसर पर व्यापार विहार स्थित पंडित दीनदयाल उद्यान एवं श्रीकांत वर्मा मार्ग पर स्थापित पंडित जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया।
उनके के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा गया कि पं.उपाध्याय जी राजनीति के साथ-साथ साहित्य में भी रूची रही, वे हर परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करते थे। उन्होंने अनेक कठिनाईयों का सामना करते हुए पढाई पर पूरा ध्यान दिया। जब डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी ने 1951 में जनसंघ की स्थापना की तो पं.दीनदयाल उपाध्याय को प्रथम महासचिव नियुक्त किया गया। 1953 में डॉ.मुखर्जी के असमय निधन से पूरे संगठन की जिम्मेदारी पं.दीनदयाल जी के युवा कंधों पर आ गई, वे लगभग 15 वर्षो तक महासचिव के पद पर रहते हुए सेवा की 14 वें वार्षिक अधिवेशन में उन्हें जनसंघ का अध्यक्ष निर्वाचित किया। उनका सारा जीवन राष्ट्र को समर्पित रहा, वे एकात्म मानववाद जैसी प्रगतिशील विचारधारा दी। आज वट वृक्ष के रूप में स्थापित भारतीय जनता पार्टी उन्ही के आदर्शो विचारों एवं उनके बताये मार्गो पर चल रही है। हमें उनके आदर्शो विचारों को अपने जीवन में उतारना चाहिए यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धाजंलि होगी।
इस मौके पर भाजपा जिलाध्यक्ष रामदेव कुमावत ने कहा कि पं.दीनदयाल उपाध्याय जी राजनैतिक व सामाजिक व्यक्ति होने के साथ साथ गंभीर विचारक भी थे। उनके विचार व दर्शन को एकात्म मानववाद का नाम दिया गया। श्री कुमावत ने कहा कि पं. दीनदयाल जी का विचार ही था जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आवास योजना, आयुष्मान योजना, जल जीवन योजना के माध्यम से धरातल पर उतारा। पं.दीनदयाल जी के दिखाए मार्ग पर चलते हुए आमजन के लिए सेवा कार्य करना ही हमारा उद्देश्य है। सम्पूर्ण सृष्टि का मानसिक, शारीरिक, बौद्धिक समग्र विकास का चिंतन पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने किया और उनके विचारों को जमीनी स्तर पर उतारने का कार्य हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी ने किया।
इस अवसर पर भाजपा पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं ने पं.दीनदयाल उपाध्याय जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं पुष्प अर्पित कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
पल्लव धर ने भी दी श्रद्धांजलि

भाजपा झुग्गी झोपड़ी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष पल्लव झरने भी इस अवसर पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय उद्यान पहुंचकर उनकी आजमगढ़ प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके बताए मार्ग पर चलने का आवाहन किया

