पॉक्सो मामलों में सख्ती और प्रभावी विवेचना पर जोर, एसएसपी रजनेश सिंह के निर्देशन में बिलासपुर पुलिस ने आयोजित की विशेष कार्यशाला

बिलासपुर।
नाबालिग बच्चों से संबंधित अपराधों में त्वरित, सख्त और दोषसिद्धि सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बिलासपुर पुलिस द्वारा बुधवार 17 दिसंबर 2025 को पॉक्सो अधिनियम (POCSO Act) की विवेचना को लेकर एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बिलासपुर श्री रजनेश सिंह (आईपीएस) के निर्देशन में आयोजित की गई, जिसमें जिले के सभी थाना-चौकी प्रभारी, महिला पुलिस अधिकारी तथा 80 से अधिक विवेचक शामिल हुए।

कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य पॉक्सो अधिनियम से जुड़े मामलों की विवेचना को और अधिक वैज्ञानिक, कानूनी रूप से सुदृढ़ और न्यायालय में दोषसिद्धि योग्य बनाना रहा। एसएसपी श्री रजनेश सिंह ने पॉक्सो प्रकरणों को अत्यंत संवेदनशील बताते हुए कहा कि ऐसे मामलों में किसी भी प्रकार की लापरवाही या तकनीकी चूक अपराधियों को लाभ पहुंचा सकती है, जिसे हर हाल में रोका जाना चाहिए।

न्यायिक अधिकारियों ने दी महत्वपूर्ण कानूनी जानकारी

कार्यशाला में माननीय अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्रीमती पूजा जायसवाल ने नाबालिग बालक-बालिकाओं से जुड़े अपराधों पर गंभीरता से कार्रवाई करने पर जोर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि अपराध के समय पीड़िता नाबालिग हो, भले ही गिरफ्तारी के समय वह बालिग हो जाए, तो उसे नाबालिग मानते हुए ही पॉक्सो अधिनियम के तहत विवेचना करना अनिवार्य है। वहीं आरोपी बालक की आयु अपराध के समय के आधार पर तय की जाएगी।

उन्होंने पीड़िता की उम्र निर्धारण से संबंधित दस्तावेजों—जैसे दसवीं कक्षा की अंकसूची, जन्म प्रमाण पत्र, नगर पंचायत/नगर पालिका/नगर निगम के अभिलेख एवं हड्डी परीक्षण रिपोर्ट—को विवेचना में अनिवार्य रूप से शामिल करने की आवश्यकता पर विस्तार से प्रकाश डाला। साथ ही पॉक्सो एक्ट से संबंधित कई अहम कानूनी बिंदुओं की जानकारी दी, जो भविष्य में विवेचकों के लिए मार्गदर्शक सिद्ध होंगी।

माननीय एडीजे श्री वेसनलास टोप्पो ने विवेचना में होने वाली सामान्य त्रुटियों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए बताया कि पॉक्सो प्रकरणों में पटवारी नक्शा एक महत्वपूर्ण भौतिक साक्ष्य होता है, जिसे विवेचना और चालान के साथ अनिवार्य रूप से संलग्न किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि यदि पीड़िता बयान से मुकर जाती है, तब भी भौतिक और परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर आरोपी को दोषी सिद्ध किया जा सकता है। साथ ही मुकबधिर (श्रवण बाधित) बालक-बालिकाओं से जुड़े मामलों में साक्ष्य संकलन की विशेष प्रक्रिया पर भी मार्गदर्शन दिया।

वैज्ञानिक व इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों पर जोर

कार्यशाला को संबोधित करते हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री रजनेश सिंह ने बिलासपुर पुलिस द्वारा अब तक की जा रही विवेचना और कार्रवाई की सराहना की। उन्होंने विवेचकों को निर्देशित किया कि भविष्य में पॉक्सो प्रकरणों की जांच में वैज्ञानिक एवं इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों—जैसे फोटो, वीडियो, सीसीटीवी फुटेज, मोबाइल और अन्य डिजिटल डिवाइस—का अधिकतम उपयोग किया जाए, ताकि न्यायालय में सशक्त साक्ष्य प्रस्तुत कर अपराधियों को सजा दिलाई जा सके।

वरिष्ठ अधिकारी रहे उपस्थित

कार्यशाला में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (शहर) राजेंद्र जायसवाल, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) डॉ. अर्चना झा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ACCU) अनुज कुमार, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक यातायात रामगोपाल करियारे, डीएसपी हेडक्वार्टर रश्मित कौर चावला, डीएसपी अजाक डेरहा राम टंडन, डीएसपी IUCA अनिता मिंज, डीएसपी लाइन मंजुलता केरकेट्टा सहित जिले के सभी थाना-चौकी प्रभारी एवं 80 से अधिक विवेचक उपस्थित रहे।

कार्यशाला के माध्यम से बिलासपुर पुलिस ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि पॉक्सो अधिनियम के तहत दर्ज मामलों में अब किसी भी स्तर पर ढिलाई नहीं बरती जाएगी और अपराधियों को कठोर दंड दिलाने के लिए विवेचना को पूरी तरह कानूनी और वैज्ञानिक आधार पर मजबूत किया जाएगा।

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