श्रीमद् देवी भागवत महापुराण: आत्मकल्याण का अद्वितीय स्त्रोतपीतांबरा पीठ त्रिदेव मंदिर, सरकंडा बिलासपुर में चैत्र नवरात्र का भव्य आयोजन

बिलासपुर, छत्तीसगढ़। चैत्र नवरात्रि के पावन अवसर पर श्री पीतांबरा पीठ त्रिदेव मंदिर, सुभाष चौक, सरकंडा में धार्मिक उल्लास और भक्ति भाव से सराबोर माहौल देखने को मिला। सप्तमी तिथि पर माँ श्री ब्रह्मशक्ति बगलामुखी देवी की पूजन-श्रृंगार आरती देवी कालरात्रि स्वरूप में विधिपूर्वक की गई।

पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. दिनेश जी महाराज ने श्रीमद् देवी भागवत महापुराण की महिमा का बखान करते हुए बताया कि यह पुराण अठारहों पुराणों में सर्वश्रेष्ठ है। जैसे नदियों में गंगा, प्रकाश में सूर्य और मंत्रों में गायत्री को श्रेष्ठ माना गया है, वैसे ही पुराणों में श्रीमद् देवी भागवत महापुराण सर्वोत्तम है। इसका श्रवण मात्र से समस्त दुखों का निवारण होता है और आत्मकल्याण सुनिश्चित होता है। यहाँ तक कि जो भक्त प्रतिदिन एक श्लोक भी श्रद्धा से उच्चारण करता है, वह भगवती की कृपा का पात्र बनता है।

कथा मंडप से व्यास पीठ पर विराजमान आचार्य श्री मुरारीलाल त्रिपाठी (राजपुरोहित, कटघोरा) ने पुराण में वर्णित प्रसंगों को भक्तों को विस्तार से बताया। उन्होंने देवकी-वासुदेव के पूर्व जन्म की कथा, माया की प्रबलता, नर-नारायण की तपस्या, मोहिनी माया द्वारा कामदेव को भेजना, और उर्वशी की उत्पत्ति जैसे अद्भुत प्रसंगों का जीवंत वर्णन किया।

इस अवसर पर स्वामी सर्वेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज (भक्तिपीठाधीश्वर, हापुड़, उत्तरप्रदेश) एवं स्वामी अभेदानंद सरस्वती जी महाराज (परमार्थ ज्ञान मंदिर, कनखल, हरिद्वार, उत्तराखंड) का आगमन हुआ। दोनों संतों ने श्रद्धालु भक्तों को आशीर्वचन देकर धर्म, सेवा और भक्ति के मार्ग पर अग्रसर होने की प्रेरणा दी।

नवरात्र महोत्सव में क्षेत्रीय भक्तों का उत्साह देखने योग्य था। मंदिर प्रांगण भक्ति गीतों, पूजा-पाठ और देवी आराधना से गुंजायमान रहा।

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