वर्ष में केवल एक दिन चार घंटे के लिए खुलने वाले प्रभु श्री राम के अनूठे मंदिर में मन्नत के नारियल बांधने श्रद्धालुओं की इस बार भी लगी लंबी कतार

बिलासपुर में एक ऐसा अनोखा राम मंदिर है जो वर्ष में केवल एक दिन चार घंटे के लिए ही खुलता है, लेकिन 151 साल पुराने इस मंदिर का प्रताप ऐसा कि इस 4 घंटे में ही प्रभु के दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतार लग जाती है । जूना बिलासपुर हटरी चौक के पास स्थित श्री सीताराम हनुमान मंदिर किसी की किवदंती से कम नहीं।

500 साल की तपस्या के बाद अयोध्या में श्रीराम का मंदिर बना तो पूरे देश में राम मंदिर की चर्चा होने लगी। लोग दूर-दूर से मंदिर दर्शन करने जाने लगे, लेकिन बहुत कम लोगों को पता होगा कि बिलासपुर के हटरी चौक मुख्य मार्ग पर 151 वर्ष प्राचीन सीताराम मंदिर है, जिसकी भी अपनी विलक्षणता है। जिसके कपाट केवल वर्ष में एक बार ही विजयादशमी के दिन खुलते हैं और वह भी शाम 6:00 से 10:00 बजे तक ही। पूरे साल भर यह मंदिर बंद रहता है।

यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है। मंदिर संचालक परिवार बुद्धेश्वर शर्मा और अमिता पांडे ने बताया कि यह उनका पारिवारिक मंदिर है। पहले यह सामान्य मंदिरों की तरह ही खुल करता था लेकिन कुछ अनहोनी के बाद शर्मा परिवार ने ऐसा निर्णय लिया। कहते हैं मंदिर के पास पहले एक नीम का पेड़ था, जिसके गिरने से उसकी जड़ों से श्रीराम, माता जानकी और लक्ष्मण की प्रतिमा निकली थी, जिसे विधि विधान के साथ स्थापित किया गया था। सामान्य रूप से मंदिर खुलने और प्रभु की प्रतिमाओं का स्पर्श करने से कई अप्रिय घटनाएं हुई। इसके बाद मंदिर को बंद कर दिया गया। परिवार की धारणा है कि दशहरा के दिन भगवान श्री राम प्रसन्न रहते हैं, इसलिए इस दिन वे श्रद्धालुओं की भूल को भी माफ करते हैं ,इसलिए केवल दशहरे के दिन ही मंदिर के पट खोले जाते हैं।

लेकिन इस मंदिर को लेकर जनआस्था ऐसी की लोग वर्ष भर इस मंदिर के कपाट खुलने की प्रतीक्षा करते हैं। केवल बिलासपुर ही नहीं बल्कि मुंबई, दिल्ली, हरियाणा ,मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश से भी भक्त दर्शन के लिए इस अवसर पर आते हैं और मंदिर खुलने से कई घंटे पहले ही यहां भक्तों की लंबी कतार लग जाती है।

बताया जा रहा है कि इस मंदिर में भक्त अपनी मन्नत मांगने लाल कपड़े में नारियल बांध देते हैं ।साथ ही अपना कोई चिन्ह अंकित करते हैं, ताकि उसे बाद में पहचान सके। जब उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है तो वे इसे आकर खोलते हैं और फिर उसे फोड़ते हैं। हर साल यहां करीब 1100 नारियल बांधे जाते हैं। सामान्यतः सभी मंदिर वर्ष भर खुलते हैं लेकिन यह अपने आप में एक अनोखा मंदिर है और यही अनोखा पन इसकी विशेषता है। जिसके चलते दूर-दूर से श्रद्धालु यहां मन्नत का नारियल बांधने आते हैं। जिस समय अन्य लोग दशहरा कार्यक्रम देखने में व्यस्त होते हैं तो वहीं यहां जूना बिलासपुर में मंदिर के बाहर श्रद्धालुओं की लंबी कतार नजर आती है। इस बार भी ऐसा ही नजारा रहा। अन्य शहरों से आने वाले तो शाम 4:00 बजे से ही कतार में खड़े नजर आए और धीरे-धीरे यह कतार लंबी होती चली गई। इस बार भी लोगों ने अपनी मनोकामनाओं के साथ मंदिर में नारियल बांधा है, तो वहीं कई ऐसे श्रद्धालु भी पहुंचे जिनकी मन्नत पूरी हो चुकी है और उन्होंने अपना नारियल आज निकाल लिया है।

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