क्या आप जानते हैं कि बिलासपुर का सिविल लाइन थाना यहां का पहला थाना है ? इस थाना की जरूरत अंग्रेजों के जमाने में उस वक्त पड़ी जब अंग्रेजों को बिलासपुर में भी स्वतंत्रता आंदोलन की आहट सुनाई पड़ने लगी। आजादी के मतवालों और क्रांतिकारियो पर नजर रखने के लिए करीब 130 साल पहले इस थाने की नींव रखी गई । मगर आज तक इस थाने का संचालन उसी पुराने भवन में होता रहा, जिसके पूरी तरह जर्जर हो जाने के बाद नए भवन का निर्माण किया गया है। दुर्गा सप्तमी के पावन अवसर पर सिविल लाइन थाना नए भवन में शिफ्ट हो गया है।
बिलासपुर पुलिस अपनी पुलिसिंग व्यवस्था में कसावट ला रही है लेकिन अब भी कुछ थाने पुराने भवनों में ही संचालित हो रहे हैं जिनके नवीनीकरण की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। एक-एक कर पुराने भवन से थाना नये भवनो में शिफ्ट हो रहे है। तार बाहर के बाद अब सिविल लाइन थाना भी नए भवन में शिफ्ट हो गया। बिलासपुर का सबसे व्यस्त थाना सिविल लाइन 44 साल से आरआई बंगले में संचालित हो रहा था। इसकी दीवारें कमजोर पड़ने लगी थी, पुराना भवन अब उपयोग योग्य नहीं रह गया, तो वही कैदियों को रखने की भी उचित व्यवस्था नहीं थी। पुलिस कर्मचारियों अधिकारियों की बैठक व्यवस्था भी स्तरीय नहीं थी इसलिए काफी दिनों से सिविल लाइन थाने के लिए नए भवन निर्माण की मांग की जा रही थी।
इधर नया भवन बनने के बाद भी इसमें शिफ्ट होने के लिए तैयारी की जा रही थी ।गुरुवार को अनौपचारिक रूप से सिविल लाइन थाना पुराने भवन से नए भवन में शिफ्ट हो गया। बताया जा रहा है की दिवाली से पहले इसका विधिवत लोकार्पण किसी बड़े अतिथि से कराया जाएगा। पुरानी बिल्डिंग के ठीक पीछे नए थाना भवन का निर्माण किया गया है। नए थाने में सीसीटीएनएस, रोजनामचा, पुरानी फाइल रिकॉर्ड आदि शिफ्ट कर दिए गए। बुधवार से ही शिफ्टिंग का काम आरंभ हो गया था। नए भवन को थाना आने वाले फरियादियों के हिसाब से डिजाइन किया गया है। सामने उनकी बैठक व्यवस्था है । अन्य नए थानों की तरह यहां भी प्रवेश करते ही दिवस अधिकारी का टेबल नजर आता है । बाएं तरफ सीसी टीएनएस शाखा बनाई गई है, जिसके बाद विवेचन और रीडर की बैठने की व्यवस्था है। सिविल लाइन नए थाना भवन में महिला और पुरुषों के लिए अलग-अलग सेल बनाए गए हैं । टीआई का चैंबर ऐसे स्थान पर है जहां से वे पूरे थाने की गतिविधि पर नजर रख सकेंगे।
बिलासपुर का सिटी कोतवाली थाना 130 साल पुरानी बिल्डिंग में संचालित हो रहा था। अंग्रेजों के जमाने में उस समय इस थाने की नींव पड़ी थी जब आजादी की लड़ाई के लिए यहां आंदोलन की शुरुआत हो रही थी। यह बिलासपुर शहर का पहला थाना था, जहां से आजादी के मतवालों पर नजर रखी जाती थी, इसलिए यह भवन शहर के लिए एक धरोहर है। अतः इसे संरक्षित रकगने की बात कही जा रही है तो वही कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि पुराने भवन को डिस्मेंटल कर दिया जाएगा। वर्तमान में पुराने भवन में भी सिविल लाइन पुलिस के कुछ कर्मचारी कामकाज करेंगे। इस दौरान थाने के आसपास रखे कबाड़ आदि को भी शिफ्ट किया गया है। नए भगवान में शिफ्टिंग के साथ ही उम्मीद की जा रही है कि अब यहां पुलिस और फरियादियों को बेहतर सुविधा, सेवा मिल पाएगी साथ ही सिविल लाइन पुलिस के कामकाज में नई कसावट दिखेगी।