यूनुस मेमन

सनातन धर्म में मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान हलाहल विष पीने के बाद शिव जी के शरीर में तेज ऊष्मा उत्पन्न हुई ,जिसे शांत करने के लिए इंद्रदेव ने उन पर वर्ष की। तब से शिवजी को जलाभिषेक अत्यंत प्रिय है।माता पार्वती ने शिवजी को पाने के लिए तपस्या की थी और इसी महीने में उन्होंने पार्वती को पति रूप में प्राप्त होने का वरदान दिया था। इसलिए सावन महीने को शिवजी को समर्पित किया जाता है। पूरे महीने विशेष कर सोमवार को शिवजी का जलाभिषेक अत्यंत पुण्य कार्य माना जाता है। इसके लिए शिव भक्त पवित्र नदियों से जल लेकर प्रसिद्ध और जागृत शिव मंदिरों में जल अभिषेक करते हैं।


हर वर्ष रतनपुर क्षेत्र के शिव भक्त भी बेलपान से बूढ़ा महादेव रतनपुर तक की दूरी कांवर लेकर पदयात्रा करते हुए तय करते हैं। इस वर्ष भी 8000 से 10000 कांवरिये इसमें भाग लेंगे, इसके लिए कांवरिये शनिवार रात को बेलपान पहुंचे। जहां से अगले दिन रविवार सुबह 6:00 बजे नर्मदा कुंड से जल लेकर कांवरिये बूढ़ा महादेव रतनपुर की ओर प्रस्थान करेंगे। रास्ते भर उनके भोजन और विश्राम की व्यवस्था की गई है। सुबह दैजा बीजा मोड पर सेवार्थियों द्वारा जलपान की व्यवस्था की गई है। दोपहर भोजन अग्रसेन भवन कोटा में होगा, जहां भव्य जागरण कार्यक्रम का भी आयोजन है। शाम के चाय और नाश्ते का प्रबंध लखनी देवी मंदिर मैं की गई है। कांवरिये रात्रि भोजन और विश्राम श्री महामाया धर्मशाला में करेंगे, जहां बसंत वैष्णव द्वारा भव्य जागरण कार्यक्रम में प्रस्तुति दी जाएगी । सोमवार सुबह कांवरिये बूढ़ा महादेव मंदिर पहुंचेंगे, जहां शिवजी का जलाभिषेक किया जाएगा। कांवड़ियों की सेवा के लिए स्वास्थ्य विभाग और एंबुलेंस की टीम तैनात रहेगी। बोल बम सेवा समिति रतनपुर और कोटा के इस आयोजन में हजारों की संख्या में कांवरिये हर वर्ष की तरह भाग ले रहे हैं जिनका उत्साह देखते ही बन रहा है। इस बार भी इन कांवरियों की सेवा करने के लिए जगह-जगह शिव सेवार्थी मौजूद है।

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