

भारतीय हिंदू इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी महारानी अहिल्याबाई होल्कर की 300वी जयंती पर विविध आयोजन किये जा रहे हैं। इसी क्रम में बेलतरा पूर्व मंडल द्वारा मंदिर साफ सफाई अभियान का आयोजन किया गया। यहां महारानी जी की 300वी जयंती के पावन उपलक्ष्य में पूर्वी मंडल के सभी कार्यकर्ता स्मृति वन राजकिशोर नगर स्थित शिव कैलाश धाम मंदिर पहुंचे, जहां मंदिर परिसर के आसपास झाड़ू लगाकर साफ सफाई की गई। कूड़ा करकट आदि को दूर किया गया। साथ ही मंदिर परिसर को धो पोंछकर चमकाया गया।

इस अवसर पर मंडल के सभी पदाधिकारी, शक्ति केंद्र प्रभारी, संयोजक, सहसंयोजक, बूथ अध्यक्ष, कार्यकर्ता आदि उपस्थित रहे, जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी की रीति-नीति के अनुसार एकजुटता, सहभागिता और संगठित रूप से सामाजिक एवं धार्मिक उद्देश्य के साथ शिव कैलाश धाम की साफ सफाई की। इस अवसर पर मंडल अध्यक्ष पवन कश्यप, महामंत्री शैलेश गोरख, पार्षद रेखा सूर्यवंशी, जय वाधवानी, प्रितेश सोनी, शशि मिश्रा, विवेक तिवारी , शरद खैरवार, प्रणव शर्मा समदरिया , नरेश नायर, शरद खैरवार, कोमल, दिलीप ठाकुर, यश गौराहा आदि उपस्थित रहे।
कौन है महारानी अहिल्याबाई होलकर

महारानी अहिल्याबाई होल्कर की जीवनी और मंदिरों के पुनरुद्धार में उनका योगदान
परिचय
महारानी अहिल्याबाई होल्कर भारतीय इतिहास की एक महान और प्रबुद्ध महिला शासक थीं। उन्होंने न केवल मालवा राज्य को कुशलता से संचालित किया, बल्कि भारतीय संस्कृति, धर्म और वास्तुकला के संरक्षण में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्हें एक आदर्श शासिका, धर्मनिष्ठ भक्त और समाज सुधारक के रूप में जाना जाता है।
जीवन परिचय

अहिल्याबाई का जन्म 31 मई 1725 को महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के चौंडी गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम माणकोजी शिंदे था। बचपन से ही उनमें धार्मिक आस्था और न्यायप्रियता के गुण थे। उनका विवाह इंदौर के होल्कर राजवंश के उत्तराधिकारी खंडेराव होल्कर से हुआ।
1745 में खंडेराव की मृत्यु और फिर 1766 में ससुर मल्हारराव होल्कर के निधन के बाद अहिल्याबाई ने राज्य की बागडोर संभाली। उन्होंने लगभग 30 वर्षों तक मालवा राज्य पर शासन किया और अपने शासनकाल को सुशासन, न्यायप्रियता और सांस्कृतिक उत्थान के लिए यादगार बना दिया।

मंदिरों के पुनरुद्धार में योगदान
अहिल्याबाई होल्कर ने संपूर्ण भारत में कई प्रमुख धार्मिक स्थलों का पुनर्निर्माण और जीर्णोद्धार करवाया। उन्होंने न केवल मन्दिर बनवाए, बल्कि धर्मशालाएं, कुएं, घाट, सराय और पथिकों के लिए विश्रामगृह भी बनवाए।

कुछ प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं:
- काशी विश्वनाथ मंदिर (वाराणसी) – औरंगजेब द्वारा ध्वस्त किए गए इस मंदिर का पुनर्निर्माण अहिल्याबाई ने 1777 में करवाया, जो आज भी उनकी धार्मिक निष्ठा का प्रतीक है।
- सोमनाथ मंदिर (गुजरात) – इस पवित्र मंदिर का पुनर्निर्माण भी उनके द्वारा कराया गया था।
- त्र्यंबकेश्वर, उज्जैन, द्वारका, बद्रीनाथ, रामेश्वरम जैसे प्रमुख तीर्थस्थलों पर भी उन्होंने अनेक मंदिरों और यात्रियों के लिए सुविधाओं का निर्माण करवाया।
- मथुरा, वृंदावन और हरिद्वार जैसे वैष्णव तीर्थों में उन्होंने घाटों, मंदिरों और धर्मशालाओं का निर्माण कराया।
अन्य सामाजिक कार्य
उन्होंने विधवा पुनर्विवाह को प्रोत्साहित किया और नारी शिक्षा का समर्थन किया।
उनके शासन में अपराधों पर कठोर नियंत्रण था और प्रजा को न्याय सुलभ था।
उन्होंने कृषि, व्यापार और जल व्यवस्था को भी संगठित किया जिससे राज्य समृद्ध हुआ।
निधन
महारानी अहिल्याबाई होल्कर का निधन 13 अगस्त 1795 को हुआ। उनका जीवन आज भी भारतीय महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
महारानी अहिल्याबाई होल्कर न केवल एक कुशल प्रशासक थीं, बल्कि उन्होंने भारतीय धर्म, संस्कृति और कला के संरक्षण में भी अतुलनीय योगदान दिया। उनका मंदिरों का पुनरुद्धार कार्य उन्हें इतिहास में एक धर्मनिष्ठ और दूरदर्शी शासिका के रूप में अमर बनाता है।
जिनके लिए हिंदू अस्मिता कोई मायने नहीं रखती ऐसे राजनीतिक दलों को महारानी अहिल्याबाई से भी कोई सरोकार नहीं है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी महारानी की 300वी जयंती को पूरे देश भर में मना रही है और उन्हें याद कर रही है। इस दौरान उनके चित्रों की प्रदर्शनी लगाई जा रही है। विचार गोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है और मंदिरो की साफ सफाई भी कार्यकर्ताओं द्वारा की जा रही है।

