बिलासपुर में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी इस शनिवार को प्रदेश भर के श्रेष्ठ रावत नाच नर्तक दल बिलासपुर के शनिचरी बाजार में जुटेंगे । मौका होगा 46 वे रावत नाच महोत्सव का । लोक संस्कृति और परंपराओं में रचा बसा यह अद्भुत कला संसार है, जिसमें शौर्य भी है और कला भी। ऐसा अद्भुत समागम कहीं और देखने को कदाचित ही मिले।
मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण ग्वालों के साथ मिलकर जिस तरह खुश होते हुए लाठियां लेकर नृत्य करते थे उसी से रावत नाच की शुरुआत हुई । धीरे-धीरे यह छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति बन गई । एकादशी से रावत नाच की शुरुआत होती है। गांव-गांव, गली- गली रावत नर्तक दल परी एवं पारंपरिक वाद्य यंत्रों और साज श्रृंगार के साथ अपने यजमानों के घर पहुंचते हैं, जहां नृत्य प्रदर्शन के बाद उन्हें बख्शीश दी जाती है। लेकिन कभी यही रावत नाच बदला भांजने का भी अवसर बन गया था। शनिचरी बाजार में रावत मेला भरता तो फिर खून से लथपथ घायल नर्तक कोतवाली थाने की दहलीज पर एक दूसरे के खिलाफ शिकायत लेकर पहुंचते थे, जिसे रोकने की शुरुआत बिलासपुर में रावत नाच महोत्सव के रूप में आरंभ हुई। इस वर्ष उसी परंपरा का पालन करते हुए शनिवार 2 दिसंबर संध्या 4:00 बजे से स्वामी आत्मानंद लाल बहादुर शास्त्री शाला प्रांगण में श्रेष्ठ नर्तक दल पहुंचेंगे, जहां वे अपनी बहुरंगी नृत्य कला एवं शस्त्र चालन कला का प्रदर्शन करते हुए दर्शकों को मंत्रमुग्ध करेंगे। हर वर्ष की भांति 5 सदस्यीय निर्णायक मंडल इन्हीं नर्तक दलों में से विजेताओं का चयन करेगा।
रावत नाच महोत्सव समिति द्वारा शुक्रवार को आयोजन को अंतिम रूप दिया जाता रहा। हर वर्ष की भांति इस बार भी नर्तक दलों को नगद पुरस्कार के साथ 15 रनिंग शील्ड प्रदान किए जाएंगे। नर्तन दलों को लगभग 2 लाख रुपये की नगद राशि पुरस्कार स्वरूप प्रदान की जाएगी । निर्णायक मंडल परंपरागत वेशभूषा, अनुशासन, नृत्य एवं बाजा लाठी, फरी , गुरूद चालान एवं झांकी, रावत बाना और दल में शामिल सदस्यों की संख्या के आधार पर अंक प्रदान करेंगे, जिसके लिए समाज के पांच अनुभवियों को निर्णायक मंडल की जिम्मेदारी दी गई है । अगर दो दलों के अंक समान होंगे तो पहले प्रवेश करने वाले दल को विजयी घोषित किया जाएगा।
प्रथम पुरस्कार के लिए 15 हजार, द्वितीय पुरस्कार के लिए 11हजार, तृतीय पुरस्कार के लिए 9000 रु प्रदान किए जाएंगे। इसके अलावा पुरस्कार का क्रम पंचम पुरस्कार तक शामिल रहेगा। प्रथम पुरस्कार के रूप में एक दल को, द्वितीय पुरस्कार के रूप में दो दलों को, तृतीय पुरस्कार के रूप में तीन दलों को, चतुर्थ पुरस्कार चार दलों को और पंचम पुरस्कार 5 दलों को प्रदान किया जाएगा। इसके अलावा शेष सभी दलों को 1001 रुपए नगद और उनके वादक दलों को 101 रुपए की नगद राशि प्रदान की जाएगी । शनिवार शाम से लेकर रविवार सुबह तक रावत नाच प्रतियोगिता जारी रहेगी । रविवार सुबह पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। इस अवसर पर यहां मढ़ई मेला भी लगेगा। आयोजन समिति के प्रमुख डॉक्टर कालीचरण यादव ने बताया कि विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी दर्शकों को श्रेष्ठ रावत नाच देखने का सौभाग्य प्राप्त होगा, जहां पूरे अनुशासन के साथ नर्तक दल अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे।