शिक्षा के अधिकार की राशि बढ़ाने और लंबित राशि के भुगतान समेत कई मांगो के साथ निजी स्कूल संचालकों ने स्कूल बंद कर किया एकदिवसीय प्रदर्शन

शिक्षा के अधिकार की 250 करोड रुपए की राशि का भुगतान नहीं होने और अन्य मांगों के साथ प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने गुरुवार को बिलासपुर और प्रदेश भर के 551 निजी स्कूलों को बंद रखा , तो वही सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया गया। शिक्षा के अधिकार कानून के तहत प्राइवेट स्कूलों में प्रवेश के लिए सीट आरक्षित है। इन सीटों पर भर्ती होने वाले बच्चों की फीस सरकार देती है, लेकिन राज्य सरकार ने प्राइवेट स्कूलों के करोड़ों रुपए रोक रखे हैं।
बताया जा रहा है कि साल 2020-21 और 2021-22 की राशि अब तक जारी नहीं की गई है। राशि न मिलने से छोटे स्कूल संचालकों को बड़ी परेशानी हो रही है। इसी मामले में आगामी 21 तारीख को राजधानी में बड़े आंदोलन की तैयारी है।
गुरुवार को आंदोलनरत निजी स्कूल संचालकों ने कहा कि पिछले 12 सालों से आरटीई की राशि में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। इसलिए प्राइमरी में 7000 से बढ़कर 15000, माध्यमिक के लिए 11500 से बढ़कर 18000 और हाई स्कूल एवं हाई सेकेंडरी के लिए 15000 से बढ़कर ₹25000 राशि किए जाने की मांग की जा रही है। स्कूल बसों के परिचालन के लिए भी छत्तीसगढ़ में अवधि 12 वर्ष निर्धारित है जिसे अन्य राज्यों की तरह 15 वर्ष किए जाने की मांग की जा रही है। निजी स्कूलों में पढ़ने वाली बालिकाओं को भी सरस्वती साइकिल योजना के तहत साइकिल दिए जाने की भी मांग की जा रही है। शिक्षा के अधिकार की रोकी गई राशि के भुगतान के अलावा निजी स्कूलों की सभी खातों को पीएमएस के अंतर्गत पंजीकृत किए जाने की मांग भी की जा रही है। निजी स्कूल के संचालकों ने गणवेश की राशि 540 रुपए से बढ़कर ₹2000 किए जाने की मांग की है। निजी विद्यालय में अध्यनरत एससी-एसटी ओबीसी वर्ग के विद्यार्थियों को मिलने वाली प्री मैट्रिक एवं पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति की राशि बढ़ाने की भी मांग की जा रही है। आत्मानंद स्कूल की तर्ज पर निजी स्कूलों के अध्यापकों को स्कूली शिक्षा में भर्ती पर बोनस अंक प्रदान किए जाने की मांग की जा रही है। स्कूल बंद कर एक दिवसीय आंदोलन के बाद जिला निजी विद्यालय संचालक संगठन ने जिला शिक्षा अधिकारी और कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। मांग पूरी न होने पर आगामी 21 तारीख को रायपुर में बड़े आंदोलन की चेतावनी दी गई है।

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