क्या बिलासपुर के सेंट्रल गुरु घासीदास यूनिवर्सिटी में दोहराई जा रही द केरल स्टोरी की कहानी ?, यूनिवर्सिटी की छात्राओं को मुस्लिम स्टूडेंट फेडरेशन से जोड़ने चलाया जा रहा कुचक्र

कुछ समय पहले रिलीज द केरल स्टोरी में जो कहानी दिखाई गई थी कुछ-कुछ उसे ही दोहराने की कोशिश बिलासपुर के सेंट्रल यूनिवर्सिटी में हो रही है। इस मामले के खुलासे से यूनिवर्सिटी में हड़कंप मच गया है। MSF के नाम से इंस्टाग्राम पर आईडी भी बनाई गई है, जिसमें पोस्ट शेयर कर विद्यार्थियों को जुड़ने की अपील की जा रही है। आरोप है कैंपस में कई मुस्लिम स्टूडेंट्स एक्टिव हैं, जो जूनियर स्टूडेंट्स का ब्रेनवॉश कर रहे हैं। यह भी कहा जा रहा है कि इसमें कुछ पूर्व छात्र और शिक्षक भी सहयोग कर रहे हैं। खास बात यह है कि इस संगठन को लेकर कोई अधिकृत जानकारी देने भी सामने नहीं आ रहा है।
दरअसल, यूनिवर्सिटी में केरल व अन्य राज्यों की छात्राओं का अलग-अलग वॉट्सऐप ग्रुप है। हैरानी की बात है कि इन सभी स्टूडेंट्स को एक अलग वॉट्सऐप ग्रुप में जोड़ा गया है, जिसमें MSF के साथ ही सेंट्रल यूनिवर्सिटी के लोगो को यूज किया गया है। इसमें बॉयोटेक्नोलाजी, इंजीनियरिंग, बॉटनी, केमेस्ट्री, फिजिक्स, जुलॉजी, बीएड, इकॉनामिक्स, इंग्लिश, लाइब्रेरी साइंस, राजनीति, फार्मेसी और सोशल वर्क के विद्यार्थियों को शामिल किया गया है। हालांकि, इसमें सिर्फ मलयाली छात्र-छात्राओं को टारगेट किया गया है।

MSF से जुड़े स्टूडेंट्स केरल के स्टूडेंट्स को टारगेट कर रहे हैं। उन्हें मदद करने के बहाने ग्रुप से जोड़ा जा रहा है। मलयाली फोरम से जुड़े छात्र-छात्राओं का कहना है कि हम केरल से हैं। हमे कॉल किया गया और बताया गया कि उनकी मदद के लिए MSF ग्रुप से जोड़ा जा रहा है। उन्हें छत्तीसगढ़ में बात करने या किसी अन्य चीजों की जरूरत या समस्या होगी तो हरसंभव मदद की जाएगी। इसलिए हम ग्रुप से जुड़ गए। हमारा मोबाइल नंबर कैसे वायरल हुआ हमे कुछ नहीं पता। हाल ही में आई फिल्म द केरल स्टोरी में भी दिखाया गया था कि कैसे कुछ छात्र हिंदू छात्राओं का ब्रेनवॉश करते हैं और धर्म परिवर्तन करने के लिए मजबूर करते हैं।

खास बात यह है कि केरल से आने वाली छात्राओं को यह भी नहीं पता कि उन्हें किसलिए और क्यों जोड़ा गया है। इसकी जानकारी मिलते ही यूनिवर्सिटी प्रशासन भी सकते में आ गया है। कुलपति प्रो. चक्रवाल का कहना है कि इस पूरे मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई गई है। कमेटी को 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है। उन्होंने यह भी कहा कि यह गंभीर मामला है। कोई भी संस्था विश्वविद्यालय का लोगो, क्लब निर्माण, कैंपस में जनसंपर्क, बिना अनुमति के नहीं कर सकता।

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