अपनों से अपनी बात फेसबुक लाइव कार्यक्रम में पूर्व मंत्री श्री अमर अग्रवाल ने राज्य की भर्ती संस्थाओं के द्वारा युवाओं के साथ हो रहे खिलवाड़ पर हमला बोलते हुए कहा कि परीक्षा प्रणाली के गोपनीयता के हवाले से विश्वसनीयता से समझौता कतई उचित नहीं है। पीएससी हो या व्यापम की परीक्षाएं छत्तीसगढ़ के युवाओं में परीक्षा प्रणाली और प्रक्रिया को लेकर अविश्वास बैठ गया है, 2021 पीएससी परीक्षा के परिणामों को लेकर चौतरफा विरोध चल रहा है।उन्होंने कहा मुख्यमंत्री जी का यह बयान सही है कि प्रभावी परिवार के बच्चे भी पढ़- लिखकर पीएससी में सिलेक्ट हो सकते है लेकिन पीएससी में चयन मापदंड योग्यता पर आधारित होनी चाहिए। कांग्रेस के प्रवक्ता और नुमाइंदे पहले की चयन सूची पर चर्चा करके गलतियों पर पर्दा ढकने का काम नहीं कर सकते। संवैधानिक संस्थाओं में संदिग्ध रिकॉर्ड धारी लोगो की नियुक्तियां नहीं की जानी चाहिए, परीक्षा प्रणाली में पारदर्शिता सबसे महत्वपूर्ण है। मुख्यमंत्री जी को चाहिए कि वे युवाओं के प्रतिनिधिमंडल को आमंत्रित कर हो रही खामियों में सुधार के संबंध में विस्तार से चर्चा कर रणनीति बनाते हुए भर्ती की प्रक्रिया को आगे बढ़ाए, पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल ने कहा लेकिन सरकार की नियत में खोट है, युवा पीढ़ी भविष्य की धरोहर होती है, युवा हितों के साथ खिलवाड़ करके प्रदेश की सरकार भावी धरोहरों के साथ खिलवाड़ करने का काम कर रही है। भर्ती संस्थाओं के घोटालों और अनियमितताओं से युवाओं में असंतोष चरम पर पहुंच गया है।शासकीय सेवाओ में चयनित युवाओं को 70%, 80 %और 90 प्रतिशत स्टायपेन्ड देना और वेतन में कटौती करना, 3 वर्षीय का प्रोबेशन नियम पूरे देश में कही नही है,युवाओं से ऐलानिया लूट करने वाली देश की पहली और एकमात्र सरकार है। चपरासी भर्ती की परीक्षा का आयोजन पीएससी से कराकर लोक सेवा आयोग की मर्यादा का भी अवलंघन करने का काम सरकार के द्वारा किया जा रहा है।

चुनावी वर्ष में आपाधापी में किसी तरह से भर्ती प्रक्रिया का विज्ञापन निकालकर प्रक्रिया निपटाने की होड़ से प्रतिभागियों को अनेक प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अनेक पदों के लिए विशेषज्ञ योग्यताओं को उप नियम बनाकर बैक डोर भर्ती की भी चर्चा आम है । शासकीय सेवा में आ चुके सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों की पीसएसी से शामिल होने की अधिकतम आयु 38 वर्ष रखी गई है,समान मामले में व्यापम द्वारा 45 वर्ष की आयु सभी प्रकार की छूट मिलाकर परीक्षा में शामिल हो सकते है, यह नैसर्गिक न्याय के विरुद्ध है।
भूपेश सरकार के द्वारा बेरोजगारों का उपहास किया जा रहा है। 19 लाख पंजीकृत बेरोजगारों को छोड़कर 60 से 65 हजार यूथ को 1 अप्रैल 2023 से बेकारी भत्ता देने की बात की जा रही है जबकि घोषणा पत्र में सरकार बनने लागू करने हेतु उल्लेख किया गया था।चुनावों के समय बेरोजगारी भत्ता देने का वादा पूरा करने के लिए सर्वे कराने वाली सरकार की नौटंकी का सच सामने आ गया है।

फेसबुक लाइव कार्यक्रम में पूर्व मंत्री हमारा घर वालों ने कहा कि बिलासपुर विकास की दौड़ में आगे बढ़ने की बजाय पीछे आ रहा है। शहर यातायात के सुचारू संचालन हेतु इंटीग्रेटेड कमाल कंट्रोल सिस्टम स्मार्ट सिटी के मद से 71 करोड़ रु की योजना बिना तर्कसंगत सर्वे के लागू की गई है ।चौक चौराहों में सीसीटीएन स्थापित, आधुनिक यातायात सिग्नल प्रणाली, ट्रेफिक इंजीनियरिंग के विविध आयामों की सुविधा, ट्रैफिक एजुकेशन का विस्तार, जनसहभागिता से यातायात हो रही दुर्घटनाओं में कमी लाना अपराध नियंत्रण लक्ष्य था। मुख्यमंत्री के हाथों उद्घाटन कराने के बाद कीआपाधापी में आईटीएमएस सिस्टम लागू होने के बाद शहर का यातायात बेतरतीब हो गया है ।चारों तरफ चुनावी रोड एवं नाले बनने के कारण लोग हलाकान है।ऐसे में बिना व्यवस्थित सुविधाएं दिए लोगों के ऊपर चलानी कार्यवाही जन प्रतिक्रिया के रूप में सामने आ सकता है जिसके लिए स्थानीय प्रशासन जिम्मेदार होगा।ट्रैफिक सिंग्नल की टाइमिंग को चौराहों के ट्रैफिक लोड के हिसाब से संचालित किये जाने की जरूरत है।नेहरू नगर को नर्मदा नगर से दौड़ने वाले क्रॉसिंग पर चौराहा होने के बावजूद सिग्नल नहीं लगा है, अनेक जगहों पर ट्रैफिक सिग्नल और कैमरा के रोटेशन एंगल पर उपयोगिता के हिसाब से रिव्यु जरूरी है,ताकि शासकीय धन के अप्रैल को रोका जा सके।इसी प्रकार 16 करोड़ की मल्टीलेवल पार्किंग ठेकेदारों के प्रभाव में गुलजार नहीं हो पा रही है।
श्री अमर अग्रवाल ने कहा कि श्री मोदी जी के नेतृत्व में देश आगे बढ़ रहा है। माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को फिजी और पापुआ न्यू गिनी के सर्वोच्च सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान मिलना देश के नागरिकों के लिए उपलब्धि का असर है। श्री अमर अग्रवाल ने कहा 28 मई 2023 का दिन भारतीय लोकतंत्र की संसदीय यात्रा में ऐतिहासिक दिवस के रूप में जाना जाएगा। संसदीय मूल्यों और संवैधानिक आस्थाओं की प्रतीक सेंट्रल विस्ता में सदन की क्षमता, बेहतर कार्य सुविधाएं, परिवेश और सुरक्षा की दृष्टि से अधिक व्यापक इंतजाम किए गए है। संसद के नए भवन के उद्घाटन पर कांग्रेस प्रेरित विपक्षी दलों का विरोध अलोकतांत्रिक सोच एवम केवल गतिरोध पैदा करने के चरित्र की पहचान है।

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