अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस समारोह का आयोजन हुआ,मां के गर्भ से संबंध रखती है मातृभाषा- प्रो. नीलांबरी दवे



बिलासपुर। गुरू घासीदास विश्वविद्यालय (केन्द्रीय विश्वविद्यालय) में दिनांक 21 फरवरी, 2023 को सुबह 10.30 बजे रजत जयंती सभागार में अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस समारोह का आयोजन किया गया। समारोह की मुख्य अतिथि सौराष्ट्र विश्वविद्यालय राजकोट की पूर्व कुलपति प्रो. नीलांबरी दवे रहीं। विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो. ए.डी.एन. बाजपेयी, कुलपति अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय बिलासपुर एवं प्रो. बंश गोपाल सिंह, कुलपति पंडित सुंदर लाल शर्मा (मुक्त) विश्वविद्यालय बिलासपुर शामिल हुए। अध्यक्षता प्रभारी कुलपति प्रो. अमित कुमार सक्सेना ने की। अन्य मंचस्थ अतिथियों में विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. मनीष श्रीवास्तव, समारोह के संयोजक डॉ. एम.एन. त्रिपाठी, अधिष्ठाता छात्र कल्याण एवं सह-संयोजक श्री अखिलेश तिवारी हिंदी अधिकारी उपस्थित रहे।
समारोह की मुख्य अतिथि प्रोफेसर नीलांबरी दवे, कुलपति सौराष्ट्र विश्वविद्यालय राजकोट गुजरात ने कहा कि मातृभाषा का संबंध मां के गर्भ के समय के साथ ही होता है। मातृभाषा संस्कृति और सभ्यता का वहन करती है जिसे सीखना सहजता का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि मातृभाषा समावेशिता को विकसित करने में अहम योगदान देती है। प्रोफेसर दवे ने कहा कि भाषा बदलने से किसी भी राष्ट्र की संस्कृति और सभ्यता को खंडित किया जा सकता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में मातृभाषा में शिक्षा प्रदान किये जाने पर विशेष बल दिया गया है। हमें मातृभाषा के प्रति पूर्ण सजगता के साथ देशकाल और परिस्थिति के अनुरूप अपने बच्चों को शिक्षा प्रदान करनी होगी।
विशिष्ट अतिथि प्रो. बंश गोपाल सिंह, कुलपति पंडित सुंदर लाल शर्मा (मुक्त) विश्वविद्यालय बिलासपुर ने कहा कि उन्नति और अस्तित्व की शर्त को मातृभाषा पूरा करती है। बंगाली अस्मिता को बचाने भाषा के आधार पर शुरू हुए संघर्ष ने राष्ट्र की स्थापना की। उन्होंने कहा कि मातृभाषा संस्कृति और सभ्यता का अटूट अवयव है।
विशिष्ट अतिथि प्रो. ए.डी.एन. बाजपेयी, कुलपति अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय बिलासपुर ने कहा कि भाषा हमारी नागरिकता की परिचायक है जो साथ-साथ चलते हैं। भाषा संस्कृति का अहम हिस्सा है। तीन तरह की भाषा संस्कार, व्यवहार और व्यापार की भाषा के मध्य तालमेल और विश्व में शांति स्थापित करने मातृभाषा दिवस की शुरुआत हुई। उन्होंने कहा कि प्रयोग करने से भाषाएं जीवित रहती हैं।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रभारी कुलपति प्रो. अमित कुमार सक्सेना ने कहा कि विविधताओं वाले इस राष्ट्र में मातृभाषा की अहमियत है। हमारी अभिव्यक्ति का मूलभाव मातृभाषा के रूप में प्रकट होता है।


इससे पूर्व रजत जयंती सभागार में आयोजित कार्यक्रम में अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर मां सरस्वती एवं बाबा गुरू घासीदास जी की प्रतिमा पर पुष्पअर्पित किया गया। इस दौरान तरंग बैंड ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। तत्पश्चात नन्हें पौधे से मंचस्थ अतिथियों का स्वागत किया गया। स्वागत उद्बोधन कार्यक्रम के सह संजोयक एवं हिंदी अधिकारी श्री अखिलेश तिवारी ने दिया। इस अवसर पर समारोह के संयोजक अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ. एम.एन. त्रिपाठी ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
समारोह में मंचस्थ अतिथियों का शॉल, श्रीफल एवं स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मान किया गया। धन्यवाद ज्ञापन विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. मनीष श्रीवास्तव व संचालन श्री अविनाश त्रिपाठी ने किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के विभिन्न विद्यापीठों के अधिष्ठातागण, विभागाध्यक्ष, शिक्षकगण, अधिकारीगण, कर्मचारीगण, शोधार्थी एवं बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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