

हिंदू धार्मिक ग्रंथों और सनातन परंपराओं में व्यक्ति का सम्मान उसके कर्मों से होता है ना कि जाति से। इसके सबसे बड़े उदाहरण महर्षि बाल्मीकि और संत रविदास है। ऐसे ही महान संत रविदास की जयंती रविवार को मनाई गई। संत रविदास का जन्म माघ पूर्णिमा की तिथि संवत 1388 को हुआ था। उन्हें लोग रैदास के नाम से भी जानते हैं । संत रविदास का नाम मध्यकाल के सुधारवादी आंदोलनों से जुड़ा हुआ है। जिन्होंने आगे चलकर रैदासिया पंथ की स्थापना की। इन्हें सदगुरु और जगद्गुरु की उपाधि भी दी जाती है। इनके कई भजन गुरु ग्रंथ साहिब में भी शामिल किए गए हैं। माना जाता है कि इनका जन्म वाराणसी में हुआ था। संत रैदास ने आध्यात्मिक ज्ञान गुरु रामानंद से अर्जित किया था। रैदास संत कबीर के समकालीन माने जाते हैं। पेशे से चर्मकार और स्वभाव से भक्ति रस के कवि रैदास की कई कालजई रचना आज भी जगत प्रसिद्ध है। संत रविदास की 746 वी जयंती पर विविध कार्यक्रम आयोजित हुए। कर्बला में रविदास नगर में स्थित उनके मंदिर और प्रतिमा स्थल पर पहुंचकर संत रविदास की पूजा अर्चना की गई ।

संत रविदास की जयंती पर अलग-अलग संगठनों ने रविदास नगर में स्थित उनके मंदिर पहुंचकर उनकी पूजा अर्चना की। साथ ही कर्बला रविदास नगर में मौजूद उनके प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। इसी क्रम में विश्व हिंदू परिषद जिला एवं प्रांत के सदस्य और पदाधिकारी भी संत रविदास मंदिर पहुंचे, यहां उनका पुण्य स्मरण करते हुए पूजन अर्चना की गई, तो वहीं उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण भी किया गया। इस अवसर पर विश्व हिंदू परिषद के राजीव शर्मा ,संदीप गुप्ता, अभिषेक गौतम ,संदीप सिंह सेंगर, दीपेश पाटीदार और नवल वर्मा आदि मौजूद रहे।

