एकता गुप्ता
कैलेंडर क्या है
पूरी दुनिया में काल या समय की गणना के दो ही तरिके है- पहला सौर🌞 चक्र ,और दूसरा चंद्र 🌝चक्र. सौर चक्र के अनुसार पृथ्वी को सूर्य की एक परिक्रमा करने में 365 दिन और लगभग छह घंटे के समय लगते हैं. इसलिये सौर वर्ष पर आधारित कैलेंडर में साल में “365” दिन होते हैं जबकि चंद्र वर्ष पर आधारित कैलेंडरों में साल में “354” दिन होते हैं. इसी वजह से हर 3 साल में हिंदू पंचाग में 1 माह बढ़ जाता है जिसे हम मलमास/ अधिकमास या पुरुषोत्तम माह भी कहते हैं.
हिन्दू धर्म में चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को नवसंवत/नया साल की शुरुआत होती है. इसे भारतीय नववर्ष भी कहा जाता है. इसका आरम्भ राजा विक्रमादित्य ने किया था
उनके समय में सबसे बड़े खगोल शास्त्री वराहमिहिर थे. जिनके सहायता से विक्रम संवत के प्रसार में मदद मिली. ये अंग्रेजी/ कैलेंडर से 57 वर्ष आगे है, यानि वर्ष 2022 + 57 = 2079 विक्रम संवत वर्तमान में चल रहा है.
भारत में कैलेंडर का आविष्कार 22 मार्च 1957 को भारत सरकार द्वारा किया गया था जिसका नाम शक सवंत पंचांग था जिसे राष्ट्रीय कैलेंडर के नाम से जाना जाता है।
शक संवत (राष्ट्रिय पंचांग) को सरकारी रूप से अपनाने के पीछे ये वजह दी जाती है कि प्राचीन लेखों, शिला लेखो में इसका वर्णन देखा गया है. इसके अलावा यह संवत विक्रम संवत के बाद शुरू हुआ. अंग्रेजी कैलेंडर (ग्रेगोरियन कैलेंडर) से ये 78 वर्ष पीछे है, यानि साल 2022 – 78 = 1944 इस प्रकार अभी 1944 शक संवत चल रहा है.
दुनिया भर में नये साल का मतलब पहली जनवरी है.दुनिया का सबसे पहला कैलेंडर जूलियन कैलेंडर था इस कैलेंडर में साल की 10 महीने हुआ करते थे जो हमारे भौतिक और भौगोलिक जीवन से बिल्कुल अलग थे।
हम सभी जानते है कि पृथ्वी को एक चक्कर खत्म होने पर 1 साल होता है जिसमें 12 महीने होने चाहिए इसी को देखते हुए कैलेंडर में बदलाव करते हुए ग्रिगोरियन कैलेंडर को बनाया गया। पहला जूलियन कैलेंडर रूस में बनाया गया था उसके बाद ग्रिगोरियन कैलेंडर अमेरिका में बनाया गया। जिसे आज दुनिया के हर देशों ने अपनाया है,
ग्रेगोरियन के अलावा कई अन्य कैलेंडर भी काफी प्रचलित हैं.
ग्रेगोरियन कैलेंडर का आरंभ ईसाई धर्म के प्रवर्तक ईसा मसीह के जन्म के चार साल बाद हुआ. इसे एनो डोमिनी अर्थात ईश्वर का वर्ष भी कहते हैं. यह कैलेंडर सौर वर्ष पर आधारित है और पूरी दुनिया में इसका इस्तेमाल होता है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के महीने 30 और 31 दिन के होतें हैं, लेकिन फरवरी में सिर्फ 28 दिन होते हैं. फिर प्रत्येक चार साल बाद लीप ईयर आता है जिसमें फरवरी में 29 और वर्ष में 366 दिन होते हैं.
हिब्रू कैलेंडर ग्रेगोरियन कैलेंडर से भी पुराना है.
यहुदीयों ने अपने दैनिक काम-काज के लिए इसका प्रयोग किया करते थे. इस कैलेंडर का आधार चंद्र चक्र ही है, लेकिन बाद में इसमें चंद्र और सूर्य दोनों चक्रों का समावेश किया गया. इस कैलेंडर का पहला महीना शेवात 30 दिनों का और अंतिम महीना तेवेन 29 दिनों का होता है.
हिज़री कैलेंडर का आरंभ 16 जुलाई 622 को हुआ. ऐसा माना जाता है कि इस दिन इस्लाम के प्रवर्तक हजरत मुहम्मद मक्का छोड़कर मदीना को प्रस्थान कर गए थे. इस घटना को हिजरत और हिजरी संवत चंद्र वर्ष पर आधारित मानते हैं. इसमें साल में 354 दिन होते हैं. सौर वर्ष से 11 दिन छोटा होने के कारण कैलेंडर वर्ष के अंतिम माह में कुछ दिन जोड़ दिए जाते हैं.
~एकता गुप्ता ,करगी रोड कोटा, (“एक भारतीय एकता”)