आकाश दत्त मिश्रा
कूट रचनाकार शक्ति सिंह को जेल भेजने के मामले में सरकंडा पुलिस ने उत्कर्ष दुबे, अंकित दुबे और स्काई अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। 10 माह पहले शक्ति सिंह और उत्कर्ष के बीच हुई साधारण मारपीट में शक्ति सिंग के खिलाफ षडयंत्र करते हुए ऐसे दस्तावेज थाने में पेश किए गए थे जिसके आधार पर शक्ति के खिलाफ धारा 307 जोड़ा गया। जिसके बाद शक्ति सिंह की मां आशा सिंह ने मोर्चा संभालते हुए पूरे मामले को उजागर किया।
पता चला की मिलीभगत कर डॉक्टरों की जानकारी बिना ही उनका फर्जी हस्ताक्षर और सील के जरिये मेडिकल रिपोर्ट बनाकर पुलिस के पास क्वेरी रिपोर्ट पेश की गई थी, जिसे सच मानते हुए सिविल लाइन पुलिस ने शक्ति सिंह के खिलाफ धारा 307 जोड़कर उसे जेल भेज दिया था।
उस वक्त विवेकानंद अस्पताल के न्यूरो सर्जन डॉक्टर नरेश कुमार कृष्णानी ने फर्जी मेडिकल रिपोर्ट बनाने की शिकायत थाने में की थी । साथ ही अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉक्टर राजीव सकुजा ने भी सर्टिफिकेट फर्जी बताया था। उनकी जानकारी के बिना उनके हस्ताक्षर और सील का प्रयोग कर यह रिपोर्ट तैयार की गई थी।
असल में मारपीट में घायल उत्कर्ष दुबे का भाई अंकित दुबे स्काई अस्पताल का प्रबंधक था। खास बात यह है कि स्काई अस्पताल के बंद हो जाने के बाद इन लोगों ने कूट रचना करते हुए डॉक्टर राजीव सकुजा के फर्जी हस्ताक्षर से मेडिकल रिपोर्ट तैयार की, जिसमें रेडियोलॉजिस्ट प्रभात साहू के भी फर्जी हस्ताक्षर है।
इस मामले में सरकंडा पुलिस ने अस्पताल प्रबंधन सहित अन्य के खिलाफ धारा 120 बी, 420 467 468 471 के तहत मामला दर्ज कर लिया है। इस कार्रवाई के पीछे शक्ति सिंह की मां आशा सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका है उन्होंने बेटे के जेल जाने के बाद सभी जानकारियां जुटाई और प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मामले को उजागर किया। बिलासपुर में क्लब और शराब के कारोबार के चलते शक्ति सिंह और उत्कर्ष के बीच मारपीट हुई थी। इस साधारण मारपीट में गैर जमानती धारा जोड़ने के मकसद से ही पूरा षड्यंत्र किया गया था। शक्ति सिंह की मां आशा सिंह का आरोप है कि मैनेजर अंकित दुबे ने अपने भाई उत्कर्ष दुबे का फर्जी मेडिकल रिपोर्ट बनाने के लिए सांठगांठ की थी और बंद अस्पताल के नाम पर यह रिपोर्ट तैयार की गई थी। अस्पताल जनवरी 2022 से मई 2022 तक संचालित थी, इसके बाद वो बंद हो गया। अब पुलिस की जांच में यह पता चला कि निजी अस्पताल के संबंधित डॉक्टर ने ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं दी थी, उनके हस्ताक्षर और सील फर्जी है। शक्ति सिंह को फसाने के चक्कर में अब अंकित दुबे और उसके साथी खुद मकड़जाल में फंसते नजर आ रहे हैं।