
आकाश दत्त मिश्रा

साधारण मारपीट के मामले में फर्जी मेडिकल रिपोर्ट तैयार कर शक्ति सिंह पर हत्या के प्रयास का मामला दर्ज कराने का साजिश रचने वालों के खिलाफ पुलिस ने कार्रवाई शुरू कर दी है। जनवरी महीने में कथित तौर पर शक्ति सिंह ने उत्कर्ष दुबे के साथ मारपीट की थी। जिला अस्पताल में मेडिकल जांच में मारपीट को सामान्य बताया गया था। घटना के 10 माह बाद स्काई अस्पताल के दो चिकित्सकों के द्वारा पेश कथित क्वेरी रिपोर्ट के आधार पर पूर्व पत्रकार शक्ति सिंह के खिलाफ धारा 307 जोड़कर उसे जेल भेज दिया गया।

इधर पता चल रहा है कि स्काई अस्पताल के डॉक्टरों की इच्छा और जानकारी के बिना ही फर्जी सील और हस्ताक्षर कर मेडिकल रिपोर्ट तैयार किया गया है ।
असल में पीड़ित उत्कर्ष दुबे का भाई अंकित दुबे ही स्काई अस्पताल का मैनेजर था। बताया जा रहा है कि राजेंद्र नगर चौक में शक्ति सिंह और उत्कर्ष दुबे के बीच हुई मारपीट में गैर जमानती धारा जोड़ने के लिए शुरू से ही दबाव बनाया जा रहा था ।कामयाबी न मिलने पर अंकित दुबे ने अपने करीबी और स्काई अस्पताल की संचालक डॉ पलक जायसवाल से सांठगांठ कर अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉक्टर राजीव सकूजा और न्यूरो सर्जन डॉक्टर नरेश कृष्णानी का फर्जी हस्ताक्षर और सील लगाकर थाने में जमा कर दिया।

पुलिस को भी इस फर्जी क्वेरी रिपोर्ट की जानकारी नहीं थी इसलिए पुलिस ने मामले में धारा 307 जोड़ दिया, लेकिन शक्ति सिंह की मां आशा सिंह ने इस पूरे मामले का खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि जिस मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर शक्ति सिंह को जेल भेजा गया है वह स्काई अस्पताल तो कब का बन्द हो चुका है। हॉस्पिटल की संचालिका शहर की कथित समाजसेवीका डॉक्टर पलक जायसवाल है ।पलक जायसवाल ने स्काई हॉस्पिटल का संचालन जनवरी 2022 से मई 2022 तक किया था। इसके बाद अस्पताल बंद हो गया।

विजडम ट्री फाउंडेशन की प्रमुख को भी षड्यंत्र रचने के आरोप में नोटिस भेजा गया है। उनपर अपने मैनेजर के भाई के लिए फर्जी रिपोर्ट बनाने का आरोप है। पुलिस का कहना है कि फर्जी मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर ही धारा 307 जोड़ी गई है लेकिन अब मामले में जांच शुरू कर दी गई है। दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। उन्हें नोटिस भेजकर मूल दस्तावेज की मांग की गई है, जो अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है। अगर मेडिकल रिपोर्ट के फर्जी होने की पुष्टि होती है तो अंतिम प्रतिवेदन को उसी हिसाब से तैयार किया जाएगा।
इस पूरे मामले में अंकित दुबे और पलक जायसवाल का नाम आने से लोग सकते में है, क्योंकि यह स्वयं को समाजसेवी बताते है। वैसे पिछले दिनों कई विवादों में भी पलक जयसवाल का नाम बार-बार सामने आता रहा है। इस बार पलक जायसवाल की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है।
