बिलासपुर। गुरू घासीदास (केन्द्रीय विश्वविद्यालय) विश्वविद्यालय की भौतिकीय विज्ञान विद्यापीठ के अंतर्गत शुद्ध एवं अनुप्रयुक्त भौतिकी विभाग में भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा अनुदान प्राप्त सात दिवसीय डीएसटी स्तुति प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन दिनांक 01 से 07 नवंबर, 2022 तक किया जा रहा है।
दिनांक 01 नवंबर को सुबह 10 बजे मटेरियल कैरेक्टराइजेशन टेकनीकस विषय पर आयोजित कार्यशाला के उद्घाटन समारोह की मुख्य अतिथि प्रो. नीलांबरी दवे, पूर्व कुलपति सौराष्ट्र विश्वविद्यालय राजकोट गुजरात रहीं वहीं अध्यक्षता विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति महोदय प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने की। इसके साथ ही मंचस्थ अतिथियों में विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. मनीष श्रीवास्तव, समन्वयक प्रो. पी.के. बाजपेयी, संयोजक प्रो. एम.एन. त्रिपाठी व प्रो. एच.एस. तिवारी उपस्थित रहे।
मंचस्थ अतिथियों ने सर्वप्रथम दीप प्रज्जवलित कर मां सरस्वती एवं संत गुरु घासीदास प्रतिमा के समक्ष पुष्प अर्पित किये। तत्पश्चात नन्हें पौधे से अतिथियों का स्वागत किया गया। कार्यशाला के समन्वयक प्रो. पी.के. बाजपेयी ने स्वागत उद्वबोधन दिया, संयोजक प्रो. एम.एन. त्रिपाठी कार्यशाला की विषयवस्तु के विषय में जानकारी साझा की।


मुख्य अतिथि प्रो. नीलांबरी दवे, पूर्व कुलपति सौराष्ट्र विश्वविद्यालय राजकोट गुजरात ने कहा कि विद्यार्थियों को शोध एवं अनुसंधान के लिए यह सुअवसर है जहां वे बेहद संवेदनसील उपकरणों पर प्रयोग कर अनुभव प्राप्त कर सकते हैं। इस कार्यशाला के माध्यम से विद्यार्थियों के लिए गुणवत्तापूर्ण शोध का पथ प्रशस्त होगा। सभी युवा प्रतिभागियों को शुभकामनाएं प्रदान करते हुए उन्होंने कहा कि संसाधनों का संपूर्ण रूप में उपयोग करते हुए अंतरविषयक शोध को प्राथमिकता देनी चाहिए।
उद्घाटन कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति महोदय प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने कहा कि भारत सरकार के डीएसटी विभाग द्वारा संचालित स्तुति योजना के अंतर्गत आयोजित हो रही इस कार्यशाला से उभरते हुए युवा वैज्ञानिकों को लाभ होगा। विद्यार्थी शोध की बारीकी को समझकर नवाचार के लिए प्रेरित होंगे। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को अपनी क्षमता को पहचानकर दृढ़ संकल्प, पूर्ण आत्मविश्वास, बंधनों से मुक्त और तर्क के आधार पर अपने शोध को आगे बढ़ाना चाहिए। युवाओं को नवीन शोध के माध्यम से विभिन्न समस्याओं को स्थाई एवं सकारात्मक हल खोजने होंगे।


शॉल, श्रीफल एवं स्मृति चिह्न भेंट कर अतिथियों का सम्मान किया गया। विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. मनीष श्रीवास्तव ने धन्यवाद ज्ञापन एवं संचालन डॉ. टी. जी. रेड्डी सहायक प्राध्यापक शुद्ध एवं अनुप्रयुक्त भौतिकी विभाग ने किया। कार्यशाला में निर्धारित 30 प्रतिभागी सीट के लिए देश के विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों के 300 से ज्यादा अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। कार्यशाला में देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए प्रतिभागियों के साथ विभिन्न विद्यापीठों के अधिष्ठातागण, विभागाध्यक्षगण, अधिकारीगण, शिक्षकगण एवं शोधार्थी उपस्थित रहे।

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