
आलोक मित्तल

सोचिए क्या होगा, जब आपने जीवन भर हिंदी माध्यम में पढ़ाई की हो और कोई अचानक कॉलेज जाने पर यह कहे कि अब से आपको अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई करनी है। ऐसी ही विकट परिस्थितियों का सामना इन दिनों बिलासपुर के विज्ञान महाविद्यालय, जिसे ई राघवेंद्र राव स्नातकोत्तर विज्ञान महाविद्यालय के नाम से जाना जाता है, के छात्र-छात्राएं कर रहे हैं। राज्य सरकार ने अपनी महत्वकांक्षी योजना के तहत साइंस कॉलेज को आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम महाविद्यालय में परिवर्तित करने की घोषणा कर दी है। इसके बाद शासकीय स्तर पर इसकी तैयारी भी आरम्भ हो चुकी है। इसी बीच महाविद्यालय के शिक्षकों और विद्यार्थियों से इसे लेकर सहमति- असहमति पत्र लिया जा रहा है। कॉलेज में पढ़ने वाले अधिकांश छात्र इससे असहमत है। इस कॉलेज में पढ़ने वाले अधिकांश छात्र ग्रामीण इलाकों से आते हैं, जिन्होंने अब तक हिंदी माध्यम में पढ़ाई की है। जिनके लिए अचानक से अंग्रेजी माध्यम को अपनाना बहुत कठिन होगा। छात्रों द्वारा असहमति जताने के बावजूद शासन पर इसका खास असर नहीं पड़ रहा है।

महाविद्यालय के छात्रों ने यह सलाह भी दी थी कि महाविद्यालय को दो पालियों में चलाया जाए। एक पाली में हिंदी माध्यम में पढ़ाई हो तो दूसरी पाली में अंग्रेजी माध्यम में। लेकिन इस पर विचार करने की बजाय हिंदी माध्यम में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं के लिए किसी और महाविद्यालय को चुनने का विकल्प दिया जा रहा है। इसके विरोध में लामबंद छात्रों ने अपना विरोध प्रदर्शन आरंभ कर दिया है। शनिवार को एबीवीपी के नेतृत्व में महाविद्यालय के छात्र छात्राओं ने बिलासपुर विधायक शैलेश पांडे के बंगले का घेराव कर दिया। उन्होंने प्रशासन के रवैए के खिलाफ नारेबाजी करते हुए इस फैसले को वापस लेने की मांग की। हालांकि इस वक्त विधायक शैलेश पांडे अपने कार्यालय में मौजूद नहीं थे, फिर भी एबीवीपी के छात्रों के साथ महाविद्यालय के प्रभावित छात्रों ने जमकर नारेबाजी की और फैसला वापस लेने की मांग दोहराई। जिन्होंने कहा कि अचानक साइंस कॉलेज को अंग्रेजी माध्यम करने से उनकी पढ़ाई और कैरियर पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। आपको बता दें कि बिलासपुर में 1972 से संचालित विज्ञान महाविद्यालय का चयन बघेल सरकार ने स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी महाविद्यालय बनाने के लिए किया है, जिसे इसी सत्र से आरंभ करना है।
