
आलोक मित्तल

नवरात्रि के आठवें दिन और दुर्गा पूजा के महा अष्टमी तिथि पर देवी दुर्गा, देवी लक्ष्मी- सरस्वती, भगवान गणेश और कार्तिकेय की विशेष पूजा अर्चना की गई। बिलासपुर में भी बंगाल की ही भांति पूरे धार्मिक विधि विधान के साथ दुर्गा पूजा की जाती है ।विशेषकर रेलवे क्षेत्र और आसपास में इस पूजा को संपन्न कराने के लिए बंगाल से पुजारी, ढाकी और भोग तैयार करने वाले रसोइये अपने काम मे जुट गए हैं । महा सप्तमी के बाद सोमवार महा अष्टमी पर सुबह से ही पंडालों में मंत्रोच्चार के साथ दुर्गा पूजा आरंभ हो गई। यहां देवी दुर्गा की विशेष पूजा अर्चना के साथ कुमारी पूजन भी किया गया। बंगाल की परंपरा के अनुसार श्रद्धालु दुर्गा पंडालों में फल फूल मिष्ठान आदि लेकर उन्हें अर्पित करने पहुंचे। ढाक की थाप और काशी की स्वर लहरी के बीच देवी दुर्गा की विशेष पूजा चुनाव संपन्न होने के बाद भक्तों ने कतार लगाकर पुष्पांजलि दी।

बिलासपुर के रेलवे क्षेत्र में बंगाली स्कूल, कंस्ट्रक्शन कॉलोनी, आरटीएस कॉलोनी , बांग्ला यार्ड, तोरवा, पुराना पावर हाउस समेत सभी पंडालों में सुबह से ही मंत्रोच्चार के स्वर सुनाई पड़ने लगे, जहां पारंपरिक परिधानों में समाज के लोग दुर्गा देवी की आराधना के लिए पहुंचे हैं। वहीं बंगाल की परंपरा अनुरूप यहां आड्डा भी लग रहा है।
अन्य शहरों में रहने वाले बंगाली दुर्गा पूजा पर अपने घर जरूर लौटते हैं और दुर्गा पूजा पंडाल में ही पुराने मित्रों, परिचितों और रिश्तेदारों से मेल मुलाकात होती है, जिससे सामाजिक ताना-बाना और मजबूत होता है । इस परंपरा का निर्वहन बिलासपुर में भी लंबे वक्त से हो रहा है। दुर्गा पूजा पंडाल में पहुंचकर पुष्पांजलि अर्पित करना, प्रसाद ग्रहण करने के बाद मित्रों के साथ लंबी गप्पे लड़ा ना और फिर भोग ग्रहण कर घर को लौटना। इन नियमों का पालन पूरे 3 दिन तक किया जाना है, इसे लेकर सभी में अद्भुत उत्साह नजर आ रहा है। बंगाल से दूर रहने वाले बंगाली आज भी इन परंपराओं के साथ खुद को अपनी जमीन से जुड़ा हुआ अनुभव कर रहे हैं।

