श्री पीताम्बरा पीठ सुभाष चौक सरकंडा में शारदीय नवरात्र उत्सव 101 श्री मनोकामना घृत ज्योति कलश स्थापना पीताम्बरा मांँ बगलामुखी देवी का विशेष पूजन,श्रृंगार ब्रह्मचारिणी देवी के रूप में किया गया।जपात्मक यज्ञ श्री देवाधिदेव महादेव का रुद्राभिषेक एवं श्री दुर्गा सप्तशती पाठ ब्राह्मणों के द्वारा निरंतर चल रहा है।आचार्य पं. दिनेश चंद्र पांडेय जी महाराज ने बताया कि नवरात्र के तीसरे दिन मांँ बगलामुखी देवी का चंद्रघंटा देवी के रूप में पूजा-आराधना किया गया । देवी का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। इनके शरीर का रंग सोने के समान बहुत चमकीला है। इस देवी के दस हाथ हैं। वे खड्ग और अन्य अस्त्र-शस्त्र से विभूषित हैं।सिंह पर सवार इस देवी की मुद्रा युद्ध के लिए उद्धत रहने की है। इसके घंटे सी भयानक ध्वनि से अत्याचारी दानव-दैत्य और राक्षस कांपते रहते हैं। नवरात्रि में तीसरे दिन इसी देवी की पूजा का महत्व है। इस देवी की कृपा से साधक को अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं। दिव्य सुगंधियों का अनुभव होता है और कई तरह की ध्वनियां सुनाईं देने लगती हैं। इन क्षणों में साधक को बहुत सावधान रहना चाहिए। इस देवी की आराधना से साधक में वीरता और निर्भयता के साथ ही सौम्यता और विनम्रता का विकास होता है। इसलिए हमें चाहिए कि मन, वचन और कर्म के साथ ही काया को विहित विधि-विधान के अनुसार परिशुद्ध-पवित्र करके चंद्रघंटा के शरणागत होकर उनकी उपासना-आराधना करना चाहिए। इससे सारे कष्टों से मुक्त होकर सहज ही परम पद के अधिकारी बन सकते हैं। यह देवी कल्याणकारी है।
भगवती पीताम्बरा शत्रु नाशक श्री बगलामुखी दसमहाविद्या में आठवीं महाविद्या है यह मांँ बगलामुखी की स्तंभय शक्ति की अधिष्ठात्री है इन्हीं में संपूर्ण ब्रह्मांड की शक्ति का समावेश है ,माता बगलामुखी की उपासना विशेष रूप से वाद-विवाद, शास्त्रार्थ ,मुकदमें में विजय प्राप्त करने के लिए, अकारण आप पर कोई अत्याचार कर रहा हो तो उसे रोकने सबक सिखाने,बंधन मुक्त, संकट से उद्धार, ग्रह -शांति, शत्रुनाश ,एवं संतान प्राप्ति के लिए विशेष फलदायी है।