
आकाश दत्त मिश्रा

शासकीय कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से प्रायः प्रायः सभी सरकारीविभागों में ताले लटक गए हैं। स्कूलों में पढ़ाई नहीं हो रही ।जमीनों की रजिस्ट्री बंद है। वैक्सीनेशन का का काम बुरी तरह प्रभावित हुआ है, यहां तक ट्रेजरी में बिल नहीं लगने से हड़ताल कर रहे कर्मचारियों को समय पर वेतन भी नहीं मिल पाएगा।
छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन अपनी 2 सूत्रीय मांग पर हड़ताल पर है। हड़ताल के तीसरे दिन मुंगेली में भी कलेक्टर कार्यालय के समक्ष आंदोलन रत कर्मचारियों ने अपनी मांग दोहराई। बताया जा रहा है कि हड़ताल में 80 संगठनों के 20,000 से ज्यादा कर्मचारी शामिल है , इस वजह से सरकारी कामकाज बुरी तरह प्रभावित हो रहा है । केंद्रीय कर्मचारियों के समान महंगाई भत्ता और गृह भाड़ा भत्ता के मुद्दे पर कर्मचारी 25 से 29 जुलाई तक आंदोलन पर है , लेकिन कर्मचारियों का कहना है कि अगर इस दौरान उनकी मांग नहीं मानी गई तो आंदोलन को अनिश्चितकालीन वक्त के लिए बढ़ाया जा सकता है। राज्य के कर्मचारी केंद्रीय कर्मचारियों की तरह 34% महंगाई भत्ते की मांग कर रहे हैं ।वर्तमान में उन्हें केवल 22% महंगाई भत्ता ही मिल रहा है। कर्मचारियों का कहना है कि केवल छत्तीसगढ़ में ही 22% महंगाई भत्ता दिया जाता है ।कर्मचारियों को अभी भी साढ़े छह साल पुराने छठवें वेतनमान के अनुरूप ही मकान किराया भत्ता मिल रहा है, जो गैर वाजिब है ।

लंबी बातचीत के बावजूद सरकार ने ना केवल उनकी मांग नहीं मानी बल्कि हड़ताल की जानकारी होने के बावजूद किसी तरह की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की, जिसके चलते प्रदेश भर में सरकारी दफ्तरों से होने वाले कामकाज लगभग बंद हो गए हैं। जिससे आम लोगों को मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है, तो वहीं सरकार को भी राजस्व का बड़ा घाटा हो रहा है। सरकार विधानसभा सत्र में व्यस्त है, इसलिए इस मुद्दे पर किसी तरह का निर्णय नहीं लिया जा रहा है, जिससे लग रहा है कि कर्मचारियों का आंदोलन लंबा खींचने वाला है।
मुंगेली में आंदोलनरत कर्मचारियों ने कहा कि भले ही आंदोलनों से आम लोगों को परेशानी हो रही है लेकिन कर्मचारी इस बार आर-पार की लड़ाई के मूड में है, इसलिए आंदोलन को किसी भी कीमत पर वापस नहीं लिया जाएगा। मुमकिन है कि आने वाले दिनों में सरकार भी आंदोलनरत कर्मचारियों को लेकर कोई सख्त कदम उठाए। फिलहाल सरकारी कर्मचारियों के इस आंदोलन की वजह से सरकारी दफ्तरों में ताले लटक गए हैं। दफ्तरों में कामकाज लेकर पहुंचने वाले लोग बेवजह भटक रहे हैं तो वहीं शासकीय स्कूलों में पढ़ाई पूरी तरह ठप है। जिसका आम नागरिकों पर व्यापक असर पड़ता दिख रहा है।

