
स्टेट वर्सेस रंजना पांडे एवं अन्य के मामले में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने रंजना पांडे की अपील पर फैसला सुनाते हुए रंजना पांडे के हक में फैसला सुनाया है। सकरी निवासी आरती रानी पांडे पिता विद्या प्रकाश पांडे 29 वर्ष ने 21 फरवरी 2012 को अपने घर में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी। चकरभाटा पुलिस ने मर्ग कायम कर मामले को विवेचना में लिया था। इसी दौरान मृतिका के परिजनों द्वारा खुदकुशी के 7 दिन बाद एक सुसाइड नोट बरामद कर पुलिस को सौंपा गया था, जिसके आधार पर मृतिका की भाभी श्रीमती रंजना पांडे और भाभी की मां श्रीमती सुलोचना तिवारी के साथ भाभी के पिता कुबेर तिवारी एवं बड़े पिता बंशीलाल तिवारी बिहारी गली सरकंडा को आरोपी बनाया गया था।। आरोप लगाया गया था कि पारिवारिक विवाद के बाद भाभी रंजना पांडे ने मृतिका आरती रानी पांडे की अश्लील सीडी बना ली थी जिसके दम पर वह मृतिका को प्रताड़ित कर धमकी दे रही थी। दावा किया गया कि इसी प्रताड़ना से परेशान होकर आरती पांडे ने खुदकुशी कर ली थी । 26 जून 2009 को आरती रानी पांडे के भाई प्रवीण पांडे के साथ रंजना का विवाह हुआ था। इसी दौरान पारिवारिक विवाद के चलते रंजना पांडे ने अपने पति और उनके परिजनों के खिलाफ 6 जुलाई 2011 को दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज कराया था। जबकि 23 दिसंबर 2010 से रंजना अपने मायके में रह रही थी। आरती पांडे खुदकुशी मामले में उसके सुसाइड नोट को आधार बनाकर जिला सत्र न्यायाधीश ने 20 अप्रैल 2015 को इस मामले में मृतिका की भाभी रंजना पांडे एवं भाभी की मा सुलोचना तिवारी को आरती रानी पांडे को प्रताड़ित कर खुदकुशी करने के लिए मजबूर करने का दोषी पाया और मां बेटी को धारा 306 के तहत 7-7 वर्ष की सश्रम कारावास एवं 1000-1000 रु अर्थदंड की सजा सुनाई। इस मामले में रंजना पांडे के पिता कुबेर तिवारी और बड़े पिता बंशीलाल तिवारी को कोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया था। जिला एवं सत्र न्यायालय के फैसले के बाद रंजना पांडे ने 23 अप्रैल 2015 को हाईकोर्ट में अपील की थी, जिस पर जस्टिस आर पी शर्मा के सिंगल बेंच ने सुनवाई करते हुए दोनों पक्षों को सुना।
