वरिष्ठ साहित्यकार तुलसी देवी तिवारी की तीन कृतियों का भव्य विमोचन एवं सम्मान समारोह आयोजित, “साहित्य समाज को नयी दिशा देता है” — तोखन साहू”, बिलासपुर की समृद्ध साहित्यिक परंपरा रही है” — सुशांत शुक्ला

शशि मिश्रा

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ की प्रतिष्ठित लेखिका, कवयित्री और कथाकार श्रीमती तुलसी देवी तिवारी के साहित्यिक योगदान को सम्मानित करते हुए प्रयास प्रकाशन साहित्य अकादमी राष्ट्रीय समिति, बिलासपुर एवं अक्षय पब्लिकेशन प्रयागराज के संयुक्त तत्वावधान में उनके तीन नवीनतम साहित्यिक कृतियों का विमोचन एवं सम्मान समारोह का आयोजन स्थानीय होटल बल्ले बल्ले में किया गया।

समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भारत सरकार के केंद्रीय राज्य मंत्री श्री तोखन साहू, विशिष्ट अतिथि के रूप में बेलतरा विधायक श्री सुशांत शुक्ला, अध्यक्षता कर रहे थे डाॅ. विनय कुमार पाठक, पूर्व अध्यक्ष छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग एवं वर्तमान कुलपति थावे विद्यापीठ, गोपालगंज (बिहार)। आयोजन में न्यायामूर्ति श्री चंद्रभूषण वाजपेयी (पूर्व उच्च न्यायालय न्यायाधीश), कुलपति आचार्य ए.डी.एन. वाजपेयी (अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय), वरिष्ठ साहित्यकार श्री नंदकिशोर तिवारी, डाॅ. आरती पाठक (दिल्ली विश्वविद्यालय), डाॅ. भगवान प्रसाद उपाध्याय (प्रयागराज), श्री रामनाथ साहू, अजय शर्मा समेत देशभर से आए कई नामचीन साहित्यकार एवं समीक्षक मौजूद रहे।

विमोचित कृतियाँ:

  1. “साहित्य के आलोक में तुलसी” — एक संदर्भ ग्रंथ
  2. “पुकार जगन्नाथ की” — यात्रा संस्मरण
  3. “छत्तीसगढ़ की लोककथाएं” — छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर पर आधारित संकलन

कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना से हुई जिसे श्री राम निहोरा राजपूत ने प्रस्तुत किया तथा स्वागत गीत की प्रस्तुति आर्या तिवारी बहनों द्वारा की गई। डॉ. राघवेन्द्र कुमार दुबे ने साहित्य अकादमी द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी देते हुए कार्यक्रम का संचालन किया। संयोजक विमर्श तिवारी ने सभी आगंतुकों का स्वागत करते हुए तुलसी देवी तिवारी के साहित्यिक योगदान को रेखांकित किया।

मुख्य अतिथि का वक्तव्य:

तोखन साहू ने कहा कि “आज के समय में श्रेष्ठ साहित्य सृजन की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है। साहित्य न केवल व्यक्ति को संस्कारित करता है बल्कि समाज को नई दिशा देने की क्षमता रखता है।”

विधायक सुशांत शुक्ला ने बिलासपुर की समृद्ध साहित्यिक परंपरा की सराहना करते हुए कहा कि “यह नगर हमेशा से साहित्यिक गतिविधियों का केंद्र रहा है। ऐसे आयोजन युवा पीढ़ी को प्रेरित करते हैं।”

न्यायमूर्ति चंद्रभूषण वाजपेयी ने श्रीमती तुलसी देवी तिवारी को “गृहिणी, शिक्षिका और सृजनशील साहित्यकार” के रूप में त्रिविध व्यक्तित्व वाली प्रेरणादायी महिला बताया।

डाॅ. विनय कुमार पाठक ने अध्यक्षीय वक्तव्य में बताया कि श्रीमती तिवारी की अब तक 12 कहानी संग्रह, 1 उपन्यास, 4 यात्रा संस्मरण, 11 बाल साहित्य पुस्तकें, और एक नवीन काव्य संग्रह “दूर्वादल” प्रकाशित हो चुकी हैं। उन्हें 2013 में राष्ट्रपति पुरस्कार सहित कई राष्ट्रीय-राज्य स्तरीय सम्मान प्राप्त हैं।

कुलपति एडीएन वाजपेयी ने साहित्य सृजन को एक कठिन किन्तु प्रेरणादायी कार्य बताते हुए श्रीमती तिवारी को निरंतर सृजनशील रहने की शुभकामनाएं दीं।

समीक्षा गोष्ठी:

द्वितीय सत्र में आयोजित समीक्षा गोष्ठी में डाॅ आरती पाठक, नंदकिशोर तिवारी, डाॅ भगवान प्रसाद उपाध्याय, और रामनाथ साहू ने विमोचित कृतियों की विस्तृत समीक्षा की और उन्हें साहित्यिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण, गहन और संवेदनशील रचनाएं बताया। सभी ने तुलसी देवी तिवारी के साहित्यिक योगदान की सराहना की और उन्हें बधाई दी।

सम्मान एवं स्वागत:

इस अवसर पर श्रीमती तुलसी देवी तिवारी को शाल, श्रीफल एवं मोमेंटो भेंट कर सम्मानित किया गया। अतिथियों का स्वागत संतोष तिवारी, योगेश तिवारी, अनिता तिवारी, सुलेखा मिश्रा, आरती तिवारी, ज्ञान शर्मा, इंद्रजीत तिवारी, रंजना पाठक, विमर्श तिवारी आदि ने किया।

कार्यक्रम के अंत में आभार प्रदर्शन श्री अंजनी कुमार तिवारी ‘सुधाकर’ द्वारा किया गया। समारोह में डाॅ विवेक तिवारी, डाॅ बृजेश सिंह, डाॅ श्रीधर गौरहा, केशव शुक्ला, डाॅ मंतराम यादव, अजय शर्मा, शत्रुघ्न जैसवानी, डाॅ अनिता सिंह, डाॅ सुनीता मिश्रा, स्मृति वैष्णव, पूर्णिमा तिवारी, सहित नगर व अंचल के अनेक साहित्यप्रेमी उपस्थित रहे।

यह आयोजन बिलासपुर के साहित्यिक क्षेत्र के लिए एक प्रेरक क्षण बना, जिसने छत्तीसगढ़ की साहित्य साधना को नई ऊंचाई प्रदान की।

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