
आकाश मिश्रा

धमतरी।
जिले के रुद्री थाना क्षेत्र में दर्ज एक सनसनीखेज मामले—“एसीबी अधिकारी बनकर लूट”—ने अब नया मोड़ ले लिया है। एफआईआर में दर्ज घटनाक्रम जितना सरल दिखाई देता है, जांच में सामने आए तथ्य उतने ही उलझे और संदिग्ध साबित हो रहे हैं। एस भारत न्यूज़ की जांच में यह बात साफ हुई है कि यह मामला सिर्फ ‘लूट’ का नहीं, बल्कि किसी बड़े विवाद या गहरे विवादित लेन-देन से जुड़ा हो सकता है।
एफआईआर की कहानी– तीन युवक एसीबी अधिकारी बनकर घर में घुसे, 8 मोबाइल और लैपटॉप लूट लिया
शिकायतकर्ता का दावा है कि
- तीन युवक एसीबी (Anti-Corruption Bureau) अधिकारी बनकर उसके घर पहुंचे
- कार्रवाई की धमकी दी
- घर में मौजूद 8 मोबाइल फोन और एक लैपटॉप उठाकर चले गए
- और उसे ‘मामला सेट करने’ के लिए रायपुर बुलाया
सीसीटीवी फुटेज में तीनों की घर में एंट्री का वीडियो भी सामने आया, जिसके आधार पर FIR दर्ज हुई। दो आरोपी गिरफ्तार हुए और एक अभी भी फरार है।
लेकिन इस कथित लूट की कहानी जैसे-जैसे आगे बढ़ी, कई सवालों ने पूरे मामले पर शक की मोटी परतें चढ़ा दीं।
अब सवालों ने घेरा—क्या कहानी में छिपा है कोई बड़ा राज?
1. क्या कोई अपने ही गांव में ‘एसीबी अधिकारी’ बनकर लूट करेगा?
तीनों आरोपियों में से दो युवक—
- कोरिया भाजयुमो जिलाध्यक्ष
- धमतरी का बजरंग दल का बड़ा कार्यकर्ता
ये दोनों ही प्रदेशभर में पहचाने जाते हैं। खास बात यह कि एक आरोपी उसी इलाके का निवासी है जहां घटना घटी।
ऐसे में बड़ा सवाल—
क्या कोई इतना प्रसिद्ध व्यक्ति अपने ही गांव में पहचान छिपाकर ‘एसीबी अधिकारी’ बन सकता है?
उनकी पहचान को छिपा पाना लगभग असंभव था।
यही बात कहानी पर पहला बड़ा संदेह खड़ा करती है।
2. क्या यह कोई राजनीतिक/व्यक्तिगत विवाद का परिणाम?
तीनों आरोपियों में राजनीतिक संगठन से जुड़े लोगों की मौजूदगी ने यह सवाल उठाया है—
क्या यह मामला वास्तव में लूट का था या किसी निजी विवाद को “एसीबी लूट” का रूप दिया गया?
धमतरी और कोरिया दोनों जिलों में इस केस को लेकर राजनीतिक हलचल तेज है। विपक्ष और हिन्दू संगठनों के भीतर भी चर्चाएं तेज हैं कि मामला सिर्फ उतना नहीं है जितना एफआईआर में दर्ज हुआ है।
3. शिकायतकर्ता के घर में 8 मोबाइल फोन क्यों?
घटना का सबसे बड़ा संदेह यहीं से खड़ा होता है।
- एक सामान्य घर में 8 मोबाइल फोन का मिलना अत्यंत असामान्य
- घटना के समय प्रार्थी खुद भी घर में मौजूद नहीं था
- “घर में कौन 8 मोबाइल चला रहा था?”
- किस काम में इनका उपयोग हो रहा था?
जांचकर्ता सूत्रों का अनुमान:
- क्या यह ऑनलाइन बेटिंग?
- क्या मल्टी-डिवाइस ट्रांजैक्शन?
- कोई शेडी ऑनलाइन एक्टिविटी?
- या किसी और विवादित काम का “कवर-अप”?
यह सवाल इस मामले को लूट से ज्यादा किसी अवैध गतिविधि की ओर संकेत देता है।
4. सीसीटीवी का आधा फुटेज गायब—सबसे बड़ा संदेह
शिकायतकर्ता ने जो वीडियो पुलिस को दिया है उसमें—
- आरोपी घर में प्रवेश करते दिखते हैं
- लेकिन बाहर निकलते समय का फुटेज गायब है!
यह फुटेज—
- क्या जानबूझकर हटाया गया?
- यदि हटाया गया तो क्यों?
- क्या उसी फुटेज में असली राज छिपा था?
पुलिस ने क्या पूरा DVR जब्त किया?
यह सवाल अभी अनुत्तरित है।
5. पुलिस की जल्दबाज़ी—पहले FIR, फिर गिरफ्तारी, पर गहन जांच नहीं
फोरेंसिक, कॉल डिटेल, डिवाइस एनालिसिस, गवाह परख—इन सभी की जरूरत थी।
पर पुलिस ने:
- एफआईआर तुरंत दर्ज की
- दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया
- एक को फरार घोषित कर दिया
जबकि मामला स्वयं अपने भीतर तकनीकी, डिजिटल और संबंधों के कई रहस्य समेटे हुए है।
यह केस डीप इन्वेस्टिगेशन का था, न कि जल्दबाजी में गिरफ्तारी का।
6. शिकायतकर्ता ने तत्काल पहचान क्यों नहीं की?
जब दो आरोपी—
- प्रदेशस्तरीय पदाधिकारी
- हिन्दू संगठनों के जाने-माने चेहरे
तो शिकायतकर्ता कैसे न पहचान पाया?
या उसने जानबूझकर पहचान छिपाई?
क्या यह पूरे मामले को मोड़ देने की कोशिश थी?
भाजयुमो कोरिया जिला अध्यक्ष के पद पर ‘दूसरा विवाद’
- पूर्व अध्यक्ष अंचल राजवाड़े ठगी के मामले में हटाए गए
- वर्तमान अध्यक्ष हितेष प्रताप सिंह अब इस मामले में आरोपी
लगातार विवाद के कारण BJP पर भी दबाव है कि वह इस पद पर कार्रवाई करे।
क्या यह केवल लूट नहीं—किसी और बड़े विवाद का हिस्सा?
जांच में सामने आए सभी विरोधाभासों के आधार पर कई मजबूत संदेह उभरते हैं—
- 8 मोबाइलों की मौजूदगी
- आधा CCTV फुटेज गायब
- प्रसिद्ध आरोपियों की पहचान छिपाना असंभव
- प्रार्थी का उन पर विश्वास कर लेना संदेहास्पद
- संभावित आर्थिक/व्यक्तिगत विवाद
- राजनीतिक दबाव
- जल्दबाजी में की गई गिरफ्तारी
- तकनीकी जांच की कमी
ये सभी बिंदु संकेत देते हैं कि “एसीबी बनकर लूट” शायद कहानी का पूरा सच नहीं है।
कहानी के पीछे कोई बड़ा विवाद, आर्थिक टकराव, पुरानी रंजिश या गहरी साजिश छिपी हो सकती है।
मुख्य सवाल जो पुलिस को अब जवाब देने होंगे
- 8 मोबाइल किसके उपयोग में थे?
- सीसीटीवी का बाहर निकलने वाला फुटेज कहाँ है?
- क्या यह पूरा मामला किसी आर्थिक विवाद का परिणाम है?
- क्या प्रार्थी आरोपियों को पहले से जानता था?
- क्या आरोपियों ने सच में ‘एसीबी अधिकारी’ बताया, या यह कहानी बाद में बनाई गई?
- तीनों युवकों के कॉल रिकॉर्ड, चैट और मोबाइल डेटा क्या कहता है?
निष्कर्ष
इस पूरे प्रकरण में जितने तथ्य सामने आए हैं, वह स्पष्ट संकेत देते हैं कि धमतरी रुद्री घटना केवल एक साधारण लूट का मामला नहीं है, बल्कि इसके परतों में किसी बड़ी सच्चाई का बीज छिपा हुआ है।
पुलिस को अब गहराई में जाकर—
- डिजिटल फोरेंसिक
- कॉल रिकॉर्ड
- मोबाइल डेटा
- गायब CCTV फुटेज
- दोनों पक्षों के संबंध
—की विस्तृत जांच करनी ही होगी।
यह मामला सिर्फ गिरफ्तारी में नहीं, जांच की सच्चाई में छिपा है।
(संपादकीय डिस्क्लेमर: यह रिपोर्ट उपलब्ध तथ्यों और उभरे विरोधाभासों पर आधारित है। पुलिस जांच जारी है, और अंतिम निष्कर्ष जांच रिपोर्ट के बाद ही स्पष्ट होंगे।)
