क्या बिलासपुर का सेंट्रल यूनिवर्सिटी चल पड़ा है जेएनयू बनने की राह पर?  आखिर एनएसएस कैंप में 155 हिंदू छात्र-छात्राओं को जबरन नमाज पढ़ाने का क्या है उद्देश्य ? अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद यूनिवर्सिटी का करेगा घेराव

लगता है बिलासपुर का गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी अवैध धर्मांतरण का अड्डा बन चुका है । यहां छात्रों को कक्षाओं में कभी जबरन बाइबल पढ़ाई जाती है तो कभी उनसे नमाज पढ़ाया जाता है, इसीलिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने आरोप लगाया कि बिलासपुर का सेंट्रल यूनिवर्सिटी जेएनयू की राह पर चल पड़ा है।

एनएसएस का गठन छात्रों में अनुशासन और देशभक्ति की भावना उत्पन्न करने के लिए किया गया था लेकिन इसी एनएसएस कैंप में कॉर्डिनेटर द्वारा छात्रों को जबरन नमाज पढ़ाई गई । यह पूरा मामला प्रकाश में आया तो हड़कंप मच गया। दरअसल सेंट्रल यूनिवर्सिटी के राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई की ओर से कोटा ब्लॉक के वनांचल क्षेत्र शिव तराई में 26 मार्च से 1 अप्रैल तक कैंप लगा था। एनएसएस कैंप में रोज सुबह योग क्लास लगाई जाती थी। सभी छात्र सुबह 6:15 बजे से 7:00 तक योग व्यायाम करते थे । इस कैंप में कुल 159 छात्र थे, जिनमें से केवल चार ही मुस्लिम थे।

इसी बीच 31 मार्च को ईद उल फितर का त्योहार आया। अचानक कोऑर्डिनेटर ने चार मुस्लिम छात्रों को मंच पर बुलाया और उन्हें नमाज पढ़ने को कहा। साथ ही अन्य हिंदू छात्र-छात्राओं को कहा गया कि वे भी वो चारों जो प्रक्रिया अपना रहे हैं उसे जस का तक दोहराएं । छात्रों ने इसका विरोध किया तो उन्हें धमकी दी गई और सर्टिफिकेट नहीं देने की भी चेतावनी दी गई।

प्रोग्राम ऑफिसर डॉक्टर वसंत कुमार और कोऑर्डिनेटर दिलीप झा समिति अन्य स्टाफ पता नहीं किस कारण से इस साजिश में शामिल रहा। आखिर क्या जरूरत थी हिंदू छात्रों से नमाज पढ़वाने की और यह सब कुछ साजिश इसलिए है क्योंकि सब कुछ योजना बद्ध तरीके से की गई । मामले में कोई प्रमाण ना आए इसलिए पहले ही छात्र छात्राओं के मोबाइल जमा कर लिए गए ।कई छात्रों ने इसका विरोध किया तो उन्हें धमकी दी गई। उस दौरान तो छात्र चुप रहे लेकिन फिर बिलासपुर आने पर उन्होंने कोनी थाने में इसकी शिकायत की।

मामले की जानकारी होने पर हंगामा मच गया। विश्वविद्यालय प्रबंधन से भी जानकारी मांगी गई लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। एनएसएस कैंप में 155 हिंदू छात्रों को जबरन नमाज पढ़ाने का खुलासा होने पर कुलपति प्रोफेसर आलोक चक्रवाल ने एनएसएस कोऑर्डिनेटर को पद से हटा दिया है। वही मामले की जांच के लिए फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन किया गया है। इधर एसएसपी रजनेश सिंह ने भी यूनिवर्सिटी प्रबंधन से रिपोर्ट मांगी है। इस मामले में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने जबरदस्त विरोध किया है और बुधवार को यूनिवर्सिटी परिसर का घेराव करने का फैसला भी लिया गया है, जिनका आरोप है कि बिलासपुर सेंट्रल यूनिवर्सिटी को जेएनयू बनाने की साजिश की जा रही है। यहां कई वामपंथी सोच वाले प्रोफेसर है जिनके द्वारा पहले भी कक्षाओं में जबरन बाइबल पढ़ाई गई और अब हिंदू छात्र-छात्राओं से जबरन नमाज पढ़ाई जा रही है। लगातार उनका ब्रेनवाश किया जा रहा है ताकि धर्म परिवर्तन कराया जा सके। मामला सामने आने पर कई छात्र सामने आए हैं जिन्होंने बताया कि पहले भी कक्षाओ में जबरन बाइबल पढ़ाए गए हैं । कुछ प्रोफेसर्स कक्षाओं में बाइबल पढ़ाते हैं। इस तरह से यूनिवर्सिटी का माहौल खराब किया जा रहा है। छात्र नेताओं ने इस पूरे मामले में उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। बड़ा सवाल यही है कि एनएसएस कैंप में आखिर ऐसी क्या मजबूरी थी कि हिंदू छात्र-छात्राओं से नमाज पढ़ाई जाए, जबकि वे ऐसा नहीं चाहते हैं। और मामले का खुलासा होने पर भी इस पूरे मामले को दबाने की भरसक कोशिश जारी है। हिंदू संगठन और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने इस पूरे प्रकरण के बाद मोर्चा खोल दिया है।
जरा कल्पना कीजिये कि अगर इसी का उल्टा किया होता तो फिर वामपंथी और भारत का विपक्ष किस कदर हंगामा खड़ा करता। बड़ा सवाल यह है कि आखिर हिंदू नाम वाले ऐसे प्रोफेसर और कोऑर्डिनेटर यह साजिश किस वजह से कर रहे हैं ?इसकी पुख्ता जांच और सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है।

दरअसल धर्म परिवर्तन कोई धार्मिक मामला नहीं है, यह एक समूह को बड़ा और ताकतवर बनाने की साजिश है ताकि देश की राजनीति और सत्ता पर काबिज हुआ जा सके।

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