
शशि मिश्रा

मुंगेली (छ.ग.) — जनपद पंचायत मुंगेली में पदस्थ उप-अभियंता सोनल जैन द्वारा विभागीय अधिकारियों पर लगाए गए गंभीर आरोपों ने प्रशासनिक तंत्र और स्थानीय महकमे में खलबली मचा दी है। जैन ने अपने कथित सुसाइड नोट में जिला पंचायत के प्रभारी अधिकारी प्रभाकर पाण्डेय, जनपद पंचायत सीईओ राकेश साहू, जनपद सदस्य उमाशंकर साहू, राज साहू सहित कई अन्य अधिकारियों और सहकर्मियों के नाम लिखे हैं और कहा है कि लगातार मानसिक व व्यवहारिक दबाव के कारण वे आत्महत्या तक के कदम उठाने को मजबूर हैं।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार सोनल जैन महीनों से कार्यालय में तनावग्रस्त थीं और उनका आरोप है कि फाइलें रोकी जाती थीं, बेवजह आपत्तियाँ लगाई जाती थीं और बैठकों में दबाव बनाने वाले सवाल पूछे जाते थे। जैन ने दावा किया कि इन परिस्थितियों ने उन्हें मानसिक रूप से टूट जाने के कगार तक पहुँचा दिया था। कार्यस्थल के कुछ अन्य कर्मचारियों ने भी कार्यालय का माहौल पिछले समय से तनावपूर्ण होने की बात स्वीकार की है।
अत्यधिक भावुक कदम — अस्पताल में भर्ती
सूत्रों ने बताया कि मानसिक तनाव से पीड़ित सोनल जैन ने फिनाइल पी लेने का प्रयास किया, जिसके बाद उन्हें जिला अस्पताल मुंगेली में भर्ती कराया गया। अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. एम. के. राय ने बताया कि प्रथम जांच में मरीज ने फिनाइल पीने की बात कही। साथ ही मौजूद डॉक्टर डॉ. सिदार ने कहा कि सोनल ‘मेंटली डिस्टर्ब’ थीं। उन्हें गुरुवार शाम लगभग 5:30 बजे अस्पताल लाया गया था। इलाज के दौरान उनके साथ उनके दस से बारह वर्ष के पुत्र ही मौजूद थे; उन्होंने बताया कि सोनल ने अपने घरवालों को आने से मना किया था और डिस्चार्ज लेकर शुक्रवार शाम को चली गईं। अस्पताल प्रशासन ने कहा है कि भविष्य में किसी भी परेशानी से बचने के लिए उन्हें नियमित जांच की सलाह दी गई है।
सुसाइड नोट में नामों की सूची
प्राप्त जानकारी के अनुसार सोनल जैन के लिखे कथित सुसाइड नोट में जिन नामों का उल्लेख है उनमें प्रमुख रूप से—प्रभाकर पाण्डेय (जिला पंचायत प्रभारी), राकेश साहू (सीईओ, जनपद पंचायत), सदस्य उमाशंकर साहू, सदस्य राज साहू, उप-अभियंता आरईएस चंद्रकांत कटकवार, उप-अभियंता आरईएस शिल्पी डे तथा तकनीकी सहायक त्रिभुवन कंवर शामिल हैं। नोट में इसके अलावा कार्यालय स्तर पर निरंतर मानसिक व शारीरिक प्रताड़ना का आरोप भी लगाया गया है।
राजनीय व कर्मचारी प्रतिक्रिया — निष्पक्ष जांच की माँग
युवा कांग्रेस के जिला अध्यक्ष राजेश छैदईया ने इस घटना को गंभीर बताते हुए कहा है कि मामले की तफ्तीश होकर दोषियों को दंडित किया जाए। छैदईया ने आरोप लगाया कि नोट में स्पष्ट रूप से भाजपा नेताओं तथा विभागीय अधिकारियों के दबाव का जिक्र है और कांग्रेस पूरी तरह पीड़िता के साथ है। स्थानीय पंचायत कर्मियों और कर्मचारियों ने भी निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच की मांग उठाई है ताकि सत्य सामने आ सके और भविष्य में ऐसी घटनाएँ दोबारा न हों।
आरोपियों का बयान
जनपद पंचायत सदस्य उमाशंकर साहू ने बताया कि उनका सोनल से कोई व्यक्तिगत संबंध नहीं है और वे पदभार ग्रहण किये हुए मात्र दो माह हुए हैं; उन्होंने कहा कि सुसाइड नोट में उनका नाम लिखे जाने का उन्हें कोई लेना-देना नहीं है और वे जांच के लिए पूरी तरह तैयार हैं। वहीं जनपद पंचायत सीईओ राकेश साहू ने भी आरोपों को निराधार बताया और कहा कि अरोपों की बारीकी से जांच होनी चाहिए। अन्य जिन अधिकारियों का नाम नोट में है, उनकी ओर से भी अभी विस्तृत बयान नहीं मिला है।
प्रशासन की स्थिति
प्रशासनिक हलकों में इस प्रकरण को लेकर हड़कंप का माहौल है और स्थानीय अधिकारियों के बीच चर्चा जारी है। सूत्रों का कहना है कि मामले की गंभीरता के चलते उपयुक्त कार्रवाई व जांच कराए जाने की माँग उठ रही है। हालांकि प्रशासन की ओर से इस संबंध में अभी तक कोई औपचारिक बयान सार्वजनिक नहीं किया गया है। पुलिस/प्रशासन से जब आधिकारिक टिप्पणी माँगी गई तो कोई अंतिम प्रतिक्रिया उपलब्ध नहीं हुई।
स्थिति स्पष्ट करने और निष्पक्षता बनाए रखने का आह्वान
स्थानीय कार्यकर्ता और कर्मचारी समुदाय कह रहे हैं कि किसी भी कर्मचारी द्वारा मानसिक प्रताड़ना के आरोपों को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए और यदि आरोप सत्य पाए जाते हैं तो जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ उचित प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए। फिलहाल मामले की सत्यता जानने के लिए पीड़िता के कथनों, अस्पताल की रिपोर्ट और विभागीय रिकॉर्ड की बारीकी से जांच आवश्यक बताई जा रही है।
