

बरेली (उ प्र) के शाही में ढाई दशक पूर्व गांव काशीपुर निवासी ओम प्रकाश 15 वर्ष की आयु में घर से नाराज होकर चले गए थे। ओम प्रकाश दिल्ली में गुम हो गए। दिल्ली में किराये का कमरा लेने के लिए आईडी की अड़चन आई तो वहां के लोगों ने उनका नाम सलीम पुत्र ताहिर हुसैन रख दिया । उस्मानपुर दिल्ली का पता दर्ज कराते हुए वोटर कार्ड बनवा दिया। मोहल्ले की शाहरबानो से उनका निकाह भी हो गया। अब उनकी चार पुत्रियां रुखसाना, रुखसार, रूपा, कुप्पा और 15 वर्षीय बेटा जुम्मन है। वह तीन बेटियों का निकाह भी कर चुके हैं। उन्हें सलीम की पहचान मिल गई। चार बच्चे हुए। मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान शुरू हुआ तो दिल्ली में उनका कोई रिकॉर्ड न मिलने पर उन्होंने गांव का रुख किया।
यहां फूलमालाओं और बैंडबाजे के साथ उनका स्वागत किया गया। 28.11.2025 को शुद्धिकरण के बाद उन्होंने फिर से वैदिक धर्म अपना लिया। ग्रामीणों ने ओमप्रकाश और उनके साथ आए उनके 15 वर्षीय बेटे जुम्मन का फूलमालाओं व बैंडबाजे से स्वागत किया।
ओमप्रकाश के आने पर उनके छोटे भाई रोशन लाल, भतीजे कुंवर सेन, वीरपाल सहित प्रधान वीरेंद्र राजपूत, रामवीर और अन्य ग्रामीणों ने खुशी जताई। ओम प्रकाश ने बताया कि अब उनकी इच्छा परिवार के साथ गांव में ही रहने की है। वह गांव के पते पर ही अपनी आईडी बनवाएंगे।
