व्यापार विहार की जमीन पर रेलवे और निगम का टकराव जारी: छह बार सीमांकन, दो लेआउट के बाद भी विवाद जस का तस; तीसरी बार लेआउट तैयार

व्यापार विहार स्थित 56 प्लॉटों का विवाद लगातार गहराता जा रहा है। छह बार सीमांकन और दो लेआउट तैयार होने के बाद भी मामला सुलझ नहीं पाया है। डी-सीरीज के 6 प्लॉटों पर रेलवे और नगर निगम दोनों अपना दावा कर रहे हैं, जिसके कारण खरीददार तीन साल से रजिस्ट्री और कब्जे के इंतजार में भटक रहे हैं। निगम का दावा है कि जमीन विवादमुक्त है और 51 खरीददार भुगतान करेंगे तो तुरंत रजिस्ट्री शुरू कर दी जाएगी, जबकि रेलवे का कहना है कि विवाद अब भी खत्म नहीं हुआ और निगम प्लॉटों पर स्वामित्व नहीं जता सकता।

2021 में हुई थी ई-निविदा, लाखों की राशि फंसी

2 सितंबर 2021 को खसरा नंबर 860/1, 30/1, 31/1 और 34/1 की भूमि पर स्थित इन 56 प्लॉटों की ई-निविदा जारी हुई थी। 12.50×30 आकार के 31 और 20×50 आकार के 22 प्लॉट शामिल थे। निगम ने 4500 रुपये प्रति वर्गफुट दर तय की थी, जबकि खरीददारों ने 4600 से 4700 रुपये तक बोली लगाई। अधिकांश खरीददार 5 से 10 लाख तक की अग्रिम राशि जमा भी कर चुके हैं।

सिर्फ 6 प्लॉट विवादित, पर पूरा प्रोजेक्ट अटका

खरीददारों का कहना है कि 56 प्लॉटों में से सिर्फ डी-सीरीज के छह प्लॉट
D-13, D-15, D-16, D-17, D-18 और D-19
विवादित हैं, पर इसी कारण पूरे प्रोजेक्ट पर असर पड़ रहा है। इन प्लॉटों की कीमत 46–47 लाख रुपए के बीच है।

खरीदार हितेश पाटनवार ने बताया कि लेआउट में प्लॉट के सामने 30 फीट सड़क और पार्किंग दिखाई गई है, लेकिन मौके पर रेलवे पूरा हिस्सा अपना बता रहा है। इससे जमीन के उपयोग और निवेश की सुरक्षा पर सवाल खड़े हैं।

निगम कह रहा—जमीन हमारी, रेलवे कह रहा—विवाद खत्म नहीं

निगम के इंजीनियर जुगल सिंह का दावा है—
“जमीन में अब कोई विवाद नहीं। 51 खरीददार भुगतान करेंगे तो तुरंत रजिस्ट्री और कब्जा दे दिया जाएगा।”

इसके उलट रेलवे के सीनियर डीसीएम अनुराग सिंह का कहना है—
“व्यापार विहार की जमीन पर विवाद अभी खत्म नहीं हुआ। निगम इस पर दावा नहीं कर सकता।”

सीमांकन में भी अड़चन—दो पटवारी हल्कों में आती है जमीन

विवादित हिस्सा सिरगिट्टी और जूना बिलासपुर दोनो पटवारी हल्कों में आता है। समतलीकरण के बाद चांदा-मुनारा और अन्य सीमांकन संकेत मिट चुके हैं। जीडीपीएस सिस्टम से पंचनामा तो बना, लेकिन अब तक सीमांकन पूर्ण नहीं हो सका है।

खरीददारों की मुख्य मांगें

  • रेलवे की ओर से स्पष्ट लिखित जवाब
  • विवादित जमीन का अंतिम सीमांकन
  • नया लेआउट जारी
  • रजिस्ट्री और नामांतरण की समयसीमा तय
  • डी-सीरीज के 6 विवादित प्लॉटों का जल्द समाधान

तीसरी बार तैयार हो रहा लेआउट

रेलवे के आपत्ति और खरीददारों की चिंता के चलते निगम अब तीसरी बार नया लेआउट तैयार कर रहा है। इससे पहले विवादित हिस्से में उगी झाड़ियों को हटाकर जमीन की सफाई कराई गई है।

तीन साल से दिलाई गई ‘जल्द कब्जे’ की आश्वासन अब भी कागजों में ही है, जबकि खरीददार लगातार अनिश्चितता में फंसे हुए हैं।

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