छठ पूजा के लिए पूरी तरह तैयार बिलासपुर तोरवा का छठ घाट , विश्व के सबसे बड़े स्थाई छठ घाट में छठ पूजा समिति ने चलाया सफाई अभियान

प्रवीर भट्टाचार्य

प्रकृति पूजन का अद्भुत महापर्व है छठ, जिसमें सूर्य देव और उनकी बहन छठी मैया की आराधना की जाती है। चार दिवसीय उत्सव में व्रती 36 घंटे का निर्जला उपवास रखते हैं ।संतान और परिवार की मंगल कामना के साथ इस व्रत को महिला और पुरुष दोनों करते हैं। इस व्रत की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें स्वच्छता और पवित्रता का अत्यधिक ध्यान रखा जाता है। सूर्य को अर्घ्य देने के लिए व्रती नंगे पांव घाट पर आते हैं, वहीं व्रतियों के लिए घाट पर भी स्वच्छता का ध्यान रखना पड़ता है। पिछले पखवाड़े भर से छठ पूजा समिति के सदस्य घाट की साफ सफाई में लगे हुए हैं। शनिवार को तोरवा स्थित छठ घाट में अरपा मैया की महा आरती की गई ,साथ ही दीपदान भी किया गया। इसके बाद पुनः घाट में सफाई की आवश्यकता महसूस की जाने लगी, जिसे पूरा करने के लिए छठ पूजा समिति के सदस्य और पदाधिकारी गण रविवार सुबह कमर कसकर मैदान में उतर पड़े। पानी के फव्वारे के साथ घाट के एक-एक कोने को धो पोंछ कर साफ किया गया जिसके बाद पूरा घाट चमचमाने लगा है ।


करीब 7 एकड़ क्षेत्रफल में फैले पक्के घाट की लंबाई करीब 800 मीटर और कच्चे घाट की लंबाई 50 मीटर है। इस तरह से यह 850 मी घाट विश्व का सबसे बड़ा स्थाई छठ घाट है, जहां घाट की साफ सफाई कर इसे अब आयोजन के लिए पूरी तरह तैयार कर लिया गया है।
रविवार को व्रती खरना का प्रसाद तैयार करेंगे तो वही 27 अक्टूबर सोमवार संध्या 5 बज कर 29 मिनट पर अस्त होते सूर्य देव को अर्घ्य प्रदान किया जाएगा। इस अवसर पर व्रती दउरा सजाकर घाट में पहुंचेंगे और नदी तट पर बेदी सजाकर सूर्य देव और छठी मैया की उपासना करते हुए जल और दूध का अर्घ्य प्रदान करेंगे तो वहीं अगले दिन 28 अक्टूबर मंगलवार सुबह 6:03 पर उदित होते सूर्य देव को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाएगा।

रविवार को घाट की सफाई अभियान में डॉ. धर्मेंद्र कुमार दास, प्रवीण झा, अभय नारायण राय, सुधीर झा, बी.एन. ओझा, एस.पी. सिंह, विजय ओझा, रौशन सिंह, रामप्रताप सिंह, हरिशंकर कुशवाहा, धनंजय झा, डॉ. कुमुद सिंह,अशोक झा,हेमंत झा ,दिलीप चौधरी,रामसखा चौधरी,शशि नारायण मिश्रा, चंदन सिंह, विनोद सिन्हा ,धीरज झा, मुन्ना सिंह, लव ओझा,पंकज सिंह ,ए.के. कंठ सहित समिति के सभी सदस्यों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

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