

बिलासपुर। रेलवे के विकास की कीमत अब शहर की हरियाली को चुकानी पड़ रही है। लोको खोली क्षेत्र में रेलवे ने नए भवनों के निर्माण, सड़क चौड़ीकरण और रेलवे लाइन विस्तार के लिए करीब 100 से अधिक हरे-भरे पेड़ों को काट दिया है। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, जल्द ही 500 और पेड़ों की कटाई की जाएगी।
स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले जहां इस इलाके में हरियाली और ठंडक महसूस होती थी, वहीं अब कटे हुए पेड़ों के तने और लकड़ियां सड़क किनारे ढेर में पड़ी नजर आ रही हैं।
रेलवे का दावा — ली गई है अनुमति
रेलवे प्रशासन का कहना है कि पेड़ों की कटाई पूरी तरह अनुमति लेकर की जा रही है।
अनुराग कुमार सिंह, सीनियर डीसीएम, बिलासपुर मंडल ने बताया —
“रेलवे क्षेत्र में चल रहे निर्माण कार्यों के लिए जितने भी पेड़ काटे जा रहे हैं, उसकी अनुमति बाकायदा वन विभाग से ली गई है। कितने पेड़ काटे जाने हैं, इसकी पूरी जानकारी दी गई है।”
वन विभाग के नियमों पर उठे सवाल
हालांकि वन विभाग के नियमानुसार, सरकारी या अर्धशासकीय परियोजनाओं में किसी भी पेड़ की कटाई राजस्व विभाग को सूचित करके और वन विभाग की देखरेख में की जानी चाहिए।
रेंज अफसर शुभम मिश्रा ने बताया —
“किसी भी शासकीय परियोजना के अंतर्गत पेड़ों की कटाई के लिए एसडीओ राजस्व को सूचना देना अनिवार्य है। आवश्यक हुआ तो कटाई वन विभाग के माध्यम से करवाई जा सकती है।”
लेकिन मौके पर वन विभाग की मौजूदगी नहीं दिखी। कटाई का कार्य ठेकेदारों के माध्यम से किया जा रहा है, और यह स्पष्ट नहीं है कि यह लकड़ी कहां जा रही है।
हर पेड़ की जगह लगने चाहिए 10 पौधे
नियमों के अनुसार, जितने भी पेड़ काटे जाते हैं, उनका 10 गुना पौधरोपण अनिवार्य है। लेकिन फिलहाल क्षेत्र में कहीं भी पौधरोपण के संकेत नहीं दिख रहे।
पर्यावरण प्रेमियों की चिंता
पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि रेलवे चाहे विकास कर रहा हो, लेकिन इस अंधाधुंध कटाई से शहर का पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ जाएगा। सैकड़ों साल पुराने पेड़ों को बचाया जा सकता था, परंतु “विकास” की दौड़ में विनाश को प्राथमिकता दी जा रही है।
(रिपोर्ट: एस भारत न्यूज़ | बिलासपुर)
