

श्री पीताम्बरा पीठ सुभाष चौक सरकण्डा बिलासपुर छत्तीसगढ़ स्थित त्रिदेव मंदिर में आषाढ़ गुप्त नवरात्र उत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है।पीताम्बरा पीठाधीश्वर आचार्य दिनेश जी महाराज ने बताया कि पीताम्बरा यज्ञ की चौथे दिन एवं नवरात्र के तीसरे दिन माँ श्री ब्रह्मशक्ति बगलामुखी देवी का विशेष पूजन श्रृंगार षोडशी देवी के रूप में किया गया।इस अवसर पर श्री पीताम्बरा पीठ त्रिदेव मंदिर में स्थित श्री ब्रह्मशक्ति बगलामुखी देवी का विशेष पूजन,श्रृंगार ,एवं विशेष रूप से रात्रिकालीन हवनात्मक यज्ञ रात्रि 9:00 बजे से 1:00 बजे तक किया जा रहा है।साथ ही प्रातःकालीन श्री शारदेश्वर पारदेश्वर महादेव का रुद्राभिषेक,पूजन एवं परमब्रह्म मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम जी का पूजन,श्रृंगार एवं श्री महाकाली,महालक्ष्मी,महासरस्वती राजराजेश्वरी,त्रिपुरसुंदरी देवी का श्रीसूक्त षोडश मंत्र द्वारा दूधधारियाँ पूर्वक अभिषेक किया जा रहा। रात्रि कालीन पीताम्बरा हवनात्मक यज्ञ पीठाधीश्वर आचार्य दिनेश जी महाराज के आचार्यत्व मे ब्राह्मणों द्वारा संपन्न हो रहा है।

पीठाधीश्वर आचार्य दिनेश जी महाराज ने बताया कि गुप्त नवरात्रि के चौथे दिन एवं पीताम्बरा यज्ञ के पांचवे दिन माँ बगलामुखी देवी का पूजन श्रृंगार त्रिपुरभैरवी देवी के रूप में किया जाएगा।त्रिपुर-भैरवी, संहार तथा विध्वंस की पूर्ण शक्ति है। त्रिपुर शब्द का अर्थ है, तीनो लोक “स्वर्ग, विश्व और पाताल” और भैरवी विनाश के एक सिद्धांत के रूप में अवस्थित हें, तात्पर्य है तीन लोको में सर्व नष्ट या विध्वंस कि जो शक्ति है, वह भैरवी है।देवी त्रिपुर भैरवी का घनिष्ठ सम्बन्ध ‘काल भैरव’ से है, जो जीवित तथा मृत मानवो को अपने दुष्कर्मो के अनुसार दंड देते है तथा अत्यंत भयानक स्वरूप वाले तथा उग्र स्वाभाव वाले हैं। काल भैरव, स्वयं भगवान शिव के ऐसे अवतार है, जिन का घनिष्ठ सम्बन्ध विनाश से है तथा ये याम राज के भी अत्यंत निकट हैं, जीवात्मा को अपने दुष्कर्मो का दंड इन्हीं के द्वारा दी जाती हैं। इनका रंग लाल है। ये लाल वस्त्र पहनती हैं, गले में मुंडमाला धारण करती हैं और शरीर पर रक्त चंदन का लेप करती हैं। ये अपने हाथों में जपमाला, पुस्तक तथा वर और अभय मुद्रा धारण करती हैं। ये कमलासन पर विराजमान हैं। भगवती त्रिपुरभैरवी ने ही मधुपान करके महिषका हृदय विदीर्ण किया था। रुद्रयामल एवं भैरवी कुल सर्वस्व में इनकी उपासना करने का विधान है।इन्होंने भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या करने का दृढ़ निर्णय लिया था। बड़े-बड़े ऋषि-मुनि भी इनकी तपस्या को देखकर दंग रह गए। इससे सिद्ध होता है कि भगवान शंकर की उपासना में निरत उमा का दृ़ढ़निश्चयी स्वरूप ही त्रिपुरभैरवी का परिचालक है। त्रिपुरभैरवी की स्तुति में कहा गया है कि भैरवी सूक्ष्म वाक् तथा जगत में मूल कारण की अधिष्ठात्री हैं। भवदीय पं. मधुसूदन पाण्डेय 'व्यवस्थापक' "श्री पीताम्बरा पीठ" सुभाष चौक सरकण्डा बिलासपुर छत्तीसगढ़ मो. नं.- 7354678899

