

बिलासपुर। सीपत क्षेत्र में बुधवार रात सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के चावल की कालाबाजारी का मामला सामने आया है। ग्रामीणों की सूचना पर पुलिस ने एक पिकअप वाहन से 60 बोरी चावल जब्त किया, जिसे सीपत सहकारी समिति का लेखापाल धनवंतरी भूषण कौशिक प्लास्टिक की बोरियों में भरकर बेचने ले जा रहा था। चौंकाने वाली बात यह है कि आरोपी ने पुलिस पूछताछ में चावल बेचने की बात भी स्वीकार कर ली, लेकिन थानेदार ने अपराध दर्ज करने के बजाय मामले की जांच खाद्य विभाग को सौंप दी।
बुधवार शाम करीब 7 बजे सीपत सहकारी समिति परिसर में लेखापाल पिकअप (क्रमांक सीजी 10 बीके 4075) में चावल लोड कर रहा था। ग्रामीणों ने शक होने पर इसकी सूचना पुलिस को दी। टीआई गोपाल सतपथी टीम के साथ मौके पर पहुंचे और वाहन सहित चावल जब्त कर थाने ले आए।
पूछताछ में लेखापाल धनवंतरी कौशिक ने स्वीकार किया कि चावल बेचने के लिए ले जाया जा रहा था। टीआई ने पहले लिखापढ़ी शुरू की, पर बाद में कार्रवाई रोक दी और खाद्य विभाग को जांच के लिए पत्र भेज दिया। पत्र में लिखा गया कि चावल झलमला समिति ले जाया जा रहा था, जबकि न तो किसी आदेश की प्रति थी, न ही किसी अधिकारी की अनुमति।
गुरुवार सुबह एएफओ अजय मौर्य सीपत थाने पहुंचे और जांच की। पूछताछ में लेखापाल ने कहा कि झलमला दुकान में चावल की कमी थी, इसलिए वह वहां वितरण के लिए माल ले जा रहा था। हालांकि, खाद्य विभाग के नियमों के मुताबिक बिना अधिकारी या कलेक्टर की अनुमति के पीडीएस का अन्न एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजना अपराध है।
ग्रामीणों के गंभीर आरोप
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि यही पिकअप (सीजी 10 बीके 4075) लंबे समय से बलौदा, सीपत और आसपास के क्षेत्रों में पीडीएस चावल बेचने के लिए उपयोग में लाई जा रही है। एक ग्रामीण ने बताया कि लेखापाल हर उपभोक्ता के हिस्से का करीब 1 से 1.5 किलो चावल कम देता है और बचा हुआ माल इसी तरह बाहर बेचा जाता है।
लोगों की मांग — निष्पक्ष जांच और एफआईआर हो
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि मामले में पुलिस और समिति कर्मचारियों के बीच लेनदेन का खेल चल रहा है, जिससे कार्रवाई दबा दी गई। उन्होंने प्रशासन से मामले की निष्पक्ष जांच कराने और लेखापाल समेत जिम्मेदार अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की है।
