

बिलासपुर। हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा फरार कैदी रमेश कांत आखिरकार गुरुवार को पुलिस के हत्थे चढ़ गया। सेंट्रल जेल अंबिकापुर से फरारी के बाद उसने नाटकीय अंदाज में कलेक्टर के समक्ष शिकायत के साथ सरेंडर किया। बिलासपुर सिम्स अस्पताल में इलाज के बाद अंबिकापुर पुलिस उसे वापस ले गई।
जेल प्रशासन ने आरोप लगाया है कि कैदी ने बिलासपुर जेल में ट्रांसफर होने के लिए यह पूरा ड्रामा पहले से प्लान किया था।

वॉशरूम का बहाना बनाकर भागा था कैदी
जानकारी के अनुसार, रमेश कांत को एक जनवरी 2024 को अंबिकापुर सेंट्रल जेल भेजा गया था। 6 अक्टूबर की सुबह इलाज के लिए भर्ती मेडिकल कॉलेज अस्पताल से वह वॉशरूम जाने का बहाना बनाकर कैदी वार्ड से बाहर निकला और भीड़ का फायदा उठाकर फरार हो गया।
इसके बाद वह सीधे बिलासपुर पहुंचा और अपनी पत्नी व वकील की मदद से कलेक्टर को शिकायत पत्र देकर सरेंडर किया।
जहर खाने का नाटक, दरअसल पेन किलर निकली दवा
सरेंडर के समय उसने नाटकीय अंदाज में डाइक्लोफिनेक की 10 गोलियां और थोड़ा सा सेनिटाइजर पी लिया। अस्पताल में भर्ती होने के बाद उसकी हालत खतरे से बाहर बताई गई।
एसएसपी रजनेश सिंह ने बताया कि डाइक्लोफिनेक एक पेन किलर दवा है, जिसे नशेड़ी वर्ग के लोग अक्सर इस्तेमाल करते हैं। इस दवा से जान को कोई गंभीर खतरा नहीं था।
पत्नी की शिकायत में तारीखों का मेल नहीं
कैदी की पत्नी द्वारा कलेक्टर को सौंपे गए शिकायत पत्र में फरारी की तारीख 5 अक्टूबर लिखी गई है, जबकि पुलिस रिकॉर्ड में 6 अक्टूबर को उसके भागने की पुष्टि हुई है।
अधिकारियों ने कहा कि यह विरोधाभास जांच का विषय है।
पत्नी के खाते से रिश्वत ट्रांसफर के सबूत
रमेश कांत की पत्नी, जो खुद स्टाफ नर्स है, ने जेल स्टाफ पर प्रताड़ना और ऑनलाइन रिश्वत लेने के आरोप लगाए हैं। उसने अपने शिकायत पत्र के साथ फोन पे ट्रांजेक्शन के स्क्रीनशॉट भी जमा किए हैं।
अधीक्षक को सौंपी गई जांच
कैदी की शिकायत के बाद जेल अधीक्षक सूरजपुर को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, प्रारंभिक जांच में आरोपों की पुष्टि होने पर जिम्मेदार कर्मचारियों पर कार्रवाई की जाएगी।
