

अंबिकापुर/बिलासपुर। हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा कैदी मुकेश कांत पिता हर प्रसाद एक बार फिर फरार हो गया है। हैरानी की बात यह है कि इस बार उसकी फरारी जेल और पुलिस प्रशासन के बीच तालमेल की कमी के कारण हुई। मामला इतना उलझा कि सेंट्रल जेल में दाखिल किए जाने के दो घंटे बाद ही जेल प्रहरी कैदी को थाने के सामने छोड़कर चले गए। इसके बाद वह वहां से फिर फरार हो गया।
🔹 कैदी का बैकग्राउंड
बिलासपुर जिले के मस्तूरी थाना क्षेत्र के ग्राम मल्हार निवासी मुकेश कांत हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था। उसे उम्रकैद की सजा मिली थी और प्रारंभ में बिलासपुर केंद्रीय जेल में रखा गया था।
साल 2024 में जेल में हुए एक मारपीट प्रकरण के बाद उसे अंबिकापुर केंद्रीय जेल भेज दिया गया था, जहां वह पिछले कई महीनों से सजा काट रहा था।
🔹 अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज से फरारी
4 अक्टूबर (शनिवार) को तबीयत खराब होने पर उसे जेल से अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। इलाज के दौरान वह पुलिस की निगरानी से भाग निकला। उसकी फरारी के बाद मणिपुर थाना में मुकदमा दर्ज किया गया और उसकी तलाश शुरू हुई।
🔹 बिलासपुर में सरेंडर
मंगलवार को मुकेश कांत अचानक बिलासपुर कलेक्टोरेट पहुंचा। उसने अधिकारियों के समक्ष बताया कि वह “पैरोल पर था और समय पर वापस नहीं लौटा।” खुद को आत्मसमर्पण करने की बात कहकर वह पुलिस के हवाले हो गया।
सिविल लाइन पुलिस ने औपचारिक प्रक्रिया पूरी करते हुए उसे बिलासपुर सेंट्रल जेल दाखिल किया और जेल प्रशासन को उसकी पावती भी दे दी।
🔹 2 घंटे बाद कैदी को थाने के बाहर छोड़ दिया गया
जेल में दाखिल होने के दो घंटे बाद अंबिकापुर से सूचना आई कि यह वही कैदी है, जो मेडिकल कॉलेज से फरार हुआ था और जिसके खिलाफ वहां मामला दर्ज है।
सूचना मिलते ही जेल प्रशासन ने उसे दोबारा सिविल लाइन थाने बुलाया। लेकिन जब थाना प्रभारी ने उसे दोबारा लेने से इंकार किया, तो जेल प्रहरी कैदी को थाने के बाहर छोड़कर चले गए।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, कैदी करीब आधे घंटे तक थाने के सामने सड़क पर घूमता रहा। कुछ देर बाद उसकी पत्नी और एक अन्य युवक बाइक से आए और तीनों वहां से निकल गए।
🔹 विवाद पर दोनों विभागों के बयान
खोमेश मंडावी, जेल अधीक्षक बिलासपुर:
“कैदी अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज से फरार था। उसके खिलाफ मणिपुर थाने में मामला दर्ज है। जब उसने सरेंडर किया तो सिविल लाइन थाने में सूचना दी गई, लेकिन पुलिस ने उसे लेने से इंकार कर दिया। ऐसे में प्रहरी उसे थाने में छोड़ने गए थे। पूरी घटना की फोटो और वीडियो रिकॉर्डिंग कराई गई है। वरिष्ठ अधिकारियों को मेल से सूचना भेज दी गई है।”
रजनेश सिंह, एसएसपी बिलासपुर:
“मुझे इस घटना की जानकारी आपसे मिल रही है। यह चौंकाने वाली बात है कि हत्या के कैदी को जेल दाखिल करने और पावती देने के बाद भी उसे कैसे छोड़ा जा सकता है। मैं इस मामले में तुरंत अधिकारियों से बात करूंगा।”
🔹 तालमेल की कमी से अपराध नियंत्रण पर सवाल
इस घटना ने पुलिस और जेल प्रशासन के बीच समन्वय की गंभीर कमी को उजागर कर दिया है।
पहले अंबिकापुर से कैदी का भागना, फिर बिलासपुर में सरेंडर के बाद दोबारा फरारी – यह दर्शाता है कि विभागीय स्तर पर सूचना का आदान-प्रदान और जिम्मेदारी तय करने में भारी लापरवाही हुई है।
🔹 वीडियो सबूत और जांच की संभावना
सूत्रों के अनुसार, जेल प्रहरियों ने कैदी को थाने के सामने छोड़ते समय बाकायदा वीडियो और फोटो सबूत तैयार किए हैं। अब यह फुटेज विभागीय जांच का आधार बन सकता है।
वरिष्ठ अधिकारी इस पूरे घटनाक्रम की विस्तृत जांच कराने की बात कह रहे हैं।
हत्या के मामले में सजा काट रहा कैदी दो बार फरार — पहली बार मेडिकल कॉलेज से और दूसरी बार प्रशासनिक भ्रम के कारण — यह न केवल कानून व्यवस्था पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि दो विभागों के बीच समन्वय की कमी कैसे अपराधियों को दोबारा आज़ादी दिला सकती है।
